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भारत का सबसे बड़ा हाइपरस्केल डेटा सेंटर

  • 01 Nov 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

5G, Yotta D1, NIC, ई-गवर्नेंस

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय डेटा केंद्र नीति की आवश्यकता, ई-गवर्नेंस में डेटा केंद्रों की भूमिका।

चर्चा में क्यों?

 उत्तर भारत के पहले हाइपरस्केल डेटा सेंटर 'योट्टा D1' का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य ने अपनी डेटा सेंटर नीति शुरू करने के एक साल के भीतर 20,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 250 मेगावाट भंडारण क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य हासिल किया है।

योट्टा D1 (Yotta D1):

  • परिचय:
    • 5,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया Yotta D1, देश का सबसे बड़ा और उत्तर प्रदेश का पहला डेटा सेंटर है।
      • यह डेटा सेंटर पार्क, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में 3 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • महत्त्व:
    • डेटा सेंटर देश की डेटा भंडारण क्षमता को बढ़ाएगा, जो अब तक केवल 2% थी, जबकि इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया का 20% डेटा भारतीयों द्वारा उपभोग किया जाता है।
    • निवेश और विशाल रोज़गार के नए अवसर पैदा करते हुए इससे सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में उल्लेखनीय वृद्धि होने की भी उम्मीद है।
    • Yotta D1 में वैश्विक क्लाउड ऑपरेटरों के लिये इंटरनेट पीयरिंग एक्सचेंज और डायरेक्ट फाइबर कनेक्टिविटी की सुविधा है, जो इसे वैश्विक कनेक्टिविटी के लिये बेहद उपयोगी बनाता है।
      • Yotta D-1 उत्तर भारत की 5G क्रांति का पहला स्तंभ होगा।
    • भारत का डेटा एनालिटिक्स उद्योग वर्ष 2025 तक 16 बिलियन डॉलर से अधिक पहुँचने का अनुमान है। इसलिये डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देना सही दिशा में एक कदम है।
    • डेटा पार्क की मौजूदगी से गूगल और ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियों को डेटा को होस्ट करने, संसाधित करने एवं संग्रहीत करने के लिये डेटा केंद्र स्थापित करने की अनुमति मिल जाएगी।
      • इस केंद्र से 5जी और एज़ डेटा सेंटर शुरू होने से उपभोक्ताओं को तेज़ गति से वीडियो और बैंकिंग सुविधाओं तक आसान पहुँच प्राप्त होगी।

भारत के डेटा उद्योग की विकास यात्रा: 

  • कोविड-19 का प्रभाव:
    • भारतीय डेटा सेंटर बाज़ार वर्तमान में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और कोविड -19 संकट ने डेटा सेंटर व्यवसाय को एक अप्रत्याशित गति और विस्तार प्रदान किया।
    • विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी अपनाने के साथ ही डिजिटलीकरण को विश्व स्तर पर तेज़ी से विस्तारित किया गया और भारत ने भी विगत कुछ वर्षों में कम-से-कम एक दशक की छलाँग लगाई है।
    • लॉकडाउन और उसके बाद के प्रतिबंध बैंकिंग, शिक्षा एवं खरीदारी आदि जैसे क्षेत्रों में डिजिटलीकरण हेतु काफी सहायक बने।
      • इससे देश भर में डेटा खपत और इंटरनेट बैंडविड्थ का उपयोग बढ़ गया।
  • NIC डेटा सेंटर:
    • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और भुवनेश्वर में NIC मुख्यालयों एवं विभिन्न राज्यों की राजधानियों में 37 छोटे डेटा केंद्रों में अत्याधुनिक राष्ट्रीय डेटा केंद्र (NDC) स्थापित किये हैं।
      • पहला डेटा सेंटर 2008 में हैदराबाद में शुरू किया गया था।
    • ये NDC भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न ई-गवर्नेंस पहलों के तहत सेवाएँ प्रदान करने भारत में ई-गवर्नेंस अवसंरचना की मूल हैं।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र (NEDC) के लिये पहले NDC की आधारशिला फरवरी 2021 में गुवाहाटी, असम में रखी गई थी।
  • वर्तमान और आगामी डेटा केंद्र:
    • वर्तमान में भारत में लगभग 138 डेटा केंद्र हैं, जिनमें वर्तमान आईटी क्षमता का 57% मुंबई और चेन्नई में है।
      • मुंबई भारत का प्रमुख कॉलोकेशन डेटा सेंटर क्षेत्र है, जो पश्चिमी तट पर अवस्थित है, यह जल के नीचे वहाँ पहुँचने वाले विभिन्न केबलों के माध्यम से मध्य-पूर्व और यूरोप से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
    • भारतीय डेटा सेंटर उद्योग की क्षमता में पाँच गुना वृद्धि होने की उम्मीद है जिसमें आने वाले पाँच वर्षों में 1.05-1.20 लाख करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।
      • वर्ष 2025 के अंत तक भारत में 45 से अधिक डेटा केंद्र स्थापित करने की योजना है।
      • अनुमानित नई आईटी क्षमता (लगभग 1,015 मेगावाट) का 69% से अधिक केवल मुंबई में 51% के साथ मुंबई और चेन्नई में बनाया जाएगा।
      • इससे भारत में लगभग 2,688 मेगावाट अप्रत्याशित भावी आपूर्ति की अतिरिक्त संभावना है।
  • डेटा केंद्रों के लिये कानूनी प्रावधान:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जल्द ही डेटा सेंटर के लिये एक राष्ट्रीय नीतिगत ढाँचा तैयार करने की योजना बनाई है, जिसके तहत 15,000 करोड़ रुपए तक के प्रोत्साहन की भी योजना है।
      • वर्ष 2020 में एक मसौदा डेटा केंद्र नीति भी लाई गई थी।
    • हालाँकि तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों की अपनी डेटा केंद्र नीतियाँ हैं।

आगे की राह

  • वर्ष 2025 तक भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार $ 1 ट्रिलियन तक होने का अनुमान है और उत्तर भारत पहले से ही फॉर्च्यून 500 कंपनियों के लिये एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है।
    • इस क्षेत्र की क्षमता और डेटा सेंटर की मांग को स्वीकार करते हुए डेटा केंद्रों में निरंतर निवेश, डिजिटल इंडिया के लिये एक मज़बूत नींव का निर्माण करेगा।
  • दुनिया भर में कंपनियाँ इस बात पर फिर से विचार कर रही हैं कि वे अपने डेटाबेस और प्रौद्योगिकी सुविधाओं का निर्माण, वितरण आदि कहाँ करना चाहती हैं।
    • डेटा केंद्र वर्तमान में बहुत सारे निर्णय लेने का आधार हैं (विशेष रूप से एशिया प्रशांत और भारत में)।
    • भारत में नई परियोजनाएँ स्थापित करने की क्षमता है, हालाँकि मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करते हुए इस क्षमता का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग होना चाहिये।
  • भारत को डेटा केंद्रों में अग्रणी बनाने के लिये बिजली की लागत को कम करने की आवश्यकता है क्योंकि डेटा केंद्र के संचालन में यह प्रमुख लागतों में से एक है।  
    • यह सुनिश्चित करना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इसमें यथासंभव नवीकरणीय ऊर्जा का भी उपयोग किया जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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