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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत द्वारा मालदीव के लिये आर्थिक सहायता की घोषणा

  • 14 Aug 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

मालदीव की भौगोलिक अवस्थिति, COVID-19

मेन्स के लिये

भारत सरकार द्वारा की गईं प्रमुख घोषणाएँ और उनका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने मालदीव की आर्थिक सहायता के लिये 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर और ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लिये 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्तीय पैकेज की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • संबंधित उपायों की घोषणा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मालदीव में उनके समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद के बीच आयोजित एक आभासी बैठक के दौरान की गई।
  • घोषणा: भारत सरकार मालदीव को कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक अनिश्चितता से निपटने और मालदीव की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिये 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 
    • महत्त्व: इस संबंध में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि यह आर्थिक सहायता महामारी के प्रभाव का सामना कर रही मालदीव की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी।
  • घोषणा: बैठक के दौरान ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (Greater Malé Connectivity Project) के लिये 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करने की भी घोषणा की गई।
  • ध्यातव्य है कि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) मालदीव में सबसे बड़ी नागरिक बुनियादी ढाँचा परियोजना होगी, जिसके माध्यम से मालदीव की राजधानी माले (Malé) को पड़ोस के तीन द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) और थिलाफूसी (Thilafushi) से जोड़ा जाएगा।
  • भारत सरकार के 500 मिलियन डॉलर के वित्तीय पैकेज में 100 मिलियन डॉलर का अनुदान और 400 मिलियन डॉलर की एक नई लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) शामिल है।
  • मालदीव की राजधानी माले (Malé) को तीनों पड़ोसी द्वीपों से जोड़ने के लिये लगभग 6.7 किलोमीटर लंबे सेतु का निर्माण किया जाएगा।
    • महत्त्व: पूरी होने के पश्चात् यह ऐतिहासिक परियोजना चारों द्वीपों के बीच कनेक्टिविटी को सुव्यवस्थित करेगी, जिससे इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार सृजन में सहायता मिलेगी और माले क्षेत्र में समग्र शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • घोषणा: जल्द ही भारत और मालदीव के बीच एयर बबल समझौते (Air Bubble Agreement) के तहत अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत की जाएगी।
    • महत्त्व: यह दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थित पहला एयर बबल (Air Bubble) होगा, इस घोषणा के साथ, दोनों देशों के बीच नियमित रूप से निर्धारित उड़ानें शुरू हो जाएंगी, जो दोनों देशों के पारंपरिक रूप से बेहतर संबंधों को और मज़बूत बनाएगा। साथ ही यह एयर बबल मालदीव में पर्यटन के आगमन और राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगा।
  • घोषणा: भारत और मालदीव के बीच जल्द ही कार्गो फेरी (Cargo Ferry) सेवाएँ शुरू की जाएगी।
    • महत्त्व: कार्गो फेरी (Cargo Ferry) सेवा के माध्यम से दोनों देशों के बीच समुद्री संपर्क में बढ़ोतरी होगी और इससे भारत तथा मालदीव के व्यापारियों को भी सहायता मिलेगी।
  • घोषणा: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मालदीव को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति हेतु निर्धारित कोटा को नवीनीकृत करने के निर्णय से भी अवगत कराया। 
  • ध्यातव्य है कि इन आवश्यक वस्तुओं में खाद्य पदार्थों के अलावा निर्माण कार्य के लिये आवश्यक वस्तुएँ भी शामिल हैं।
    • महत्त्व: यह कोटा मालदीव में खाद्य सुरक्षा और निर्माण कार्य के लिये आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का आश्वासन देता है और इस प्रकार आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर मालदीव में इन वस्तुओं के मूल्य को स्थिरता प्रदान की जा सकेगी।

भारत की सहायता के निहितार्थ

  • भारत सरकार की इस घोषणा के माध्यम से मौजूदा कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के बीच दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मज़बूत करने में सहायता मिलेगी।
  • ध्यातव्य है कि मालदीव, भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को दी गई आर्थिक सहायता का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, जब वैश्विक स्तर पर महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया था तो भारत ने मई माह में 580 टन खाद्य पदार्थ समेत मालदीव को आवश्यक खाद्य और निर्माण सामग्री की आपूर्ति की थी। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में और मज़बूती आई थी।
  • ध्यातव्य है की मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान भारत-मालदीव संबंधों में कुछ गिरावट दर्ज की गई थी और मालदीव चीन के काफी करीब जाता दिखाई दे रहा है, हालाँकि मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का कार्यकाल शुरू होने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में सुधार आया है।
    • मालदीव रणनीतिक रूप से भारत के नज़दीक और हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर स्थित है। मालदीव में चीन जैसी किसी प्रतिस्पर्द्धी शक्ति की मौजूदगी भारत के सुरक्षा हितों के संदर्भ में उचित नहीं है, इसलिये ऐसे निर्णय काफी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • चीन वैश्विक व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान के माध्यम से मालदीव जैसे देशों में तेज़ी से अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। ऐसे में मालदीव के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) में निवेश करके मालदीव में चीन के वर्चस्व को कम करने में मदद मिल सकती है।

मालदीव

  • मालदीव भारतीय उपमहाद्वीप के करीब हिंद महासागर में स्थित 1,192 प्रवाल द्वीपों का एक समूह है। यहाँ तकरीबन 300,000 लोग निवास करते हैं जो 192 द्वीपों पर रहते हैं। शेष द्वीपों पर अब तक मानवीय निवास संभव नहीं हो पाया है।
  • उल्लेखनीय है यहाँ के लगभग 90 प्रतिशत रहने योग्य द्वीपों को पर्यटक रिसॉर्ट्स के रूप में विकसित किया गया है और शेष द्वीपों को कृषि अथवा अन्य आजीविका उद्देश्यों के लिये उपयोग किया जाता है। इसलिये पर्यटन इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • यहाँ का सबसे बड़ा धार्मिक संप्रदाय मुस्लिम धर्म है। मालदीव की राजधानी माले है, जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है।

Maldives

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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