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भारतीय अर्थव्यवस्था

IMD वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक रैंकिंग

  • 30 May 2019
  • 5 min read

हाल में संपन्न IMD की वैश्विक रैंकिंग में सर्वाधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने 43वाँ स्थान प्राप्त किया है। हालाँकि 2016 की रैंकिंग में भारत 41वें स्थान पर और वर्ष 2017 की रैंकिंग में 45वें स्थान पर था। IMD की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक रैंकिंग की शुरुआत वर्ष 1989 में हुई थी। यह 63 रैंक हेतु लगभग 235 आर्थिक संकेतकों के आधार पर प्रतिस्पर्द्धी देशों की क्षमता का मूल्यांकन करती है जिसका उद्देश्य सतत् विकास, रोज़गार के अवसर सृजित कर नागरिकों के कल्याण हेतु अनुकूल माहौल मुहैया कराना है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • IMD बिज़नेस स्कूल के अनुसार, इस प्रतिस्पर्द्धा रैंकिंग में वृहद् स्तर के आँकड़ों का समावेश किया जाता है जैसे- बेरोज़गारी, जीडीपी, सरकार द्वारा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च की जा रही मदें।
  • साथ-ही-साथ सामाजिक समरसता, वैश्वीकरण और भ्रष्टाचार जैसे विषयों को भी सर्वेक्षण में सम्मिलित किया जाता है।
  • भारत ने अपने सशक्त आर्थिक विकास, वृहद श्रम बल एवं विशाल बाज़ार के कारण यह  वैश्विक रैंक को प्राप्त किया है।
  • इसके साथ ही वास्तविक जीडीपी दर और शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि तथा व्यापार कानूनों में सुधार के कारण भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है।
  • IMD द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि रैंक में सुधार होने के बावजूद भारत के समक्ष अभी भी अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं।
  • भारत की प्रमुख चुनौतियों में रोज़गार सृजन, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट बैंडविड्थ, राजकोषीय अनुशासन के प्रबंधन के साथ-साथ वस्तु एवं सेवा कर का  कार्यान्वयन तथा बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये संसाधन जुटाने से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
  • गौर करने वाली बात यह है कि वर्ष 2019 की रैंकिंग में भारत ने कई आर्थिक मापदंडों और कर नीतियों के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन सार्वजनिक वित्त, सामाजिक ढाँचे शिक्षा के बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य और पर्यावरण के मामले में यह पिछड़ गया है।
  • विश्व के अन्य देशों की बात की जाए तो स्विट्ज़रलैंड इस रैंकिंग में पाँचवे से चौथे पायदान पर आ गया है।
  • स्विट्ज़रलैंड की रैंकिंग में सुधार का कारण आर्थिक विकास, स्विस फ्रैंक की स्थिरता और उच्च गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचा है।
  • अल्पाइन देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार का कारण उच्च शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि रही।
  • संयुक्त-अरब-अमीरात पहली बार इस रैंकिंग में शीर्ष पाँच देशों में सम्मलित हुआ है।
  • इस वर्ष का सर्वाधिक प्रतिस्पर्द्धी देश सऊदी अरब रहा, जो 26वें स्थान से सीधा 13वें स्थान पर आ पहुँच गया।
  • रैंकिंग में सबसे निचले स्थान पर वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था है। मुद्रास्फीति में कमी, ऋण वितरण के लिये प्रभावी तंत्र का आभाव एवं कमज़ोर अर्थव्यवस्था के कारण वेनेजुएला की रैंकिंग में गिरावट आई है।
  • शीर्ष स्थान से फिसलने वाले अमेरिका के विषय में, अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कर नीतियों से शुरू में लोगों में उत्साह का संचार हुआ, परंतु धीरे-धीरे इस उत्साह में कमी आई। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर परिलक्षित होता है।

स्रोत: बिजनेस लाइन

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