मुख्य परीक्षा
जलवायु कार्रवाई हेतु राज्य के कर्त्तव्यों पर ICJ की एडवाइजरी
- 25 Jul 2025
- 42 min read
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने एक लैंडमार्क एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि देशों को जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिये कानूनी रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
- इससे पहले, वर्ष 2021 में वानुआतु ने जलवायु परिवर्तन पर ICJ से एडवाइजरी मांगी थी, जिसे मार्च 2023 में अन्य संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त हुआ।
जलवायु परिवर्तन पर राज्यों की ज़िम्मेदारियों को लेकर ICJ का रुख क्या है?
- जलवायु कार्रवाई एक कानूनी कर्त्तव्य है: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत राज्यों पर यह बाध्यता है कि वे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करें और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन की दिशा में कार्य करें।
- ये ज़िम्मेदारियाँ केवल जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) और वर्ष 2015 के पेरिस समझौते (जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान को औद्योगिक पूर्व स्तर से अधिकतम 1.5°C तक सीमित करना है) तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें अन्य पर्यावरणीय संधियाँ भी शामिल हैं, जैसे — मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, जैव विविधता पर कन्वेंशन, मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और समुद्री कानून (Law of the Seas)।
- ये ज़िम्मेदारियाँ केवल वर्तमान पीढ़ी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों के अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा के लिये भी हैं।
- विफलता एक अनुचित कृत्य है: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने यह स्पष्ट किया है कि हर देश, चाहे वह आकार या विकास स्तर में कोई भी हो, उसकी जलवायु परिवर्तन से संबंधित ज़िम्मेदारियाँ अनिवार्य हैं।
- यह स्थिति जलवायु क्षतिपूर्ति और "हानि और क्षति" (Loss and Damage) वित्तपोषण के लिये वैश्विक स्तर पर उठ रही मांगों को और अधिक बल प्रदान करती है।
- विकसित देशों की भूमिका: विकसित देशों (विशेषकर UNFCCC के अनुलग्नक I में सूचीबद्ध देशों) को उत्सर्जन कम करने तथा अन्य देशों को सहयोग देने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिये।
- मुख्य न्यायाधीश (CJ) ने यह उल्लेख किया कि जलवायु का संरक्षण करना, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को पूरा करने का एक अभिन्न हिस्सा है।
- महत्त्व: हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की यह राय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, फिर भी इसका प्रभाव अत्यधिक महत्त्वपूर्ण माना जा रहा
- परिचय: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की स्थापना वर्ष 1945 में की गई थी और यह वर्ष 1946 से सक्रिय है। यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है।
- यह राज्यों सलाहकार राय के बीच कानूनी विवादों का निपटारा करता है तथा अइसके फैसले अंतिम और बाध्यकारी होते हैं, जिन पर कोई अपील नहीं की जा सकती। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 94 के तहत, संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को इसका पालन करना होगा। सलाहकार राय बाध्यकारी नहीं होती हैं।
- यह राय ब्राज़ील में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 30) के 30वें सत्र में वैश्विक जलवायु नीति निर्धारण को प्रभावित कर सकती है।
- यह राय जलवायु कार्रवाई को और अधिक सशक्त बनाने की वैश्विक मांग को बल देती है, विशेषकर उन देशों से जो ऐतिहासिक रूप से उच्च उत्सर्जनकर्त्ता रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ((ICJ)) क्या है?
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की उत्पत्ति विश्व स्तर पर विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों से हुई। इसकी शुरुआत वर्ष 1899 की हेग शांति सम्मेलन से हुई, जिसमें स्थायी पंचाट न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) की स्थापना की गई। इसके बाद वर्ष 1922 में राष्ट्र संघ (League of Nations) के तहत स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (PCIJ) की स्थापना की गई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद PCIJ को समाप्त कर दिया गया और उसकी जगह वर्ष 1945 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की स्थापना की गई।
- संरचना: इस न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
- महत्त्व: यह शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देता है, अंतर्राष्ट्रीय कानून को कायम रखता है, वैश्विक कानूनी मानदंडों (जैसे जलवायु परिवर्तन, आत्मनिर्णय) को स्पष्ट करता है, मानवाधिकारों का समर्थन करता है, और बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करता है।
- ICJ के साथ भारत की सहभागिता:
- भारतीय क्षेत्र में आवागमन का अधिकार (पुर्तगाल बनाम भारत, 1960): पुर्तगाल को नागरिकों के लिये आवागमन का अधिकार दिया गया था, लेकिन भारत अपनी संप्रभुता की पुष्टि करते हुए सैन्य या राजनीतिक पहुँच को अवरुद्ध कर सकता था।
- कुलभूषण जाधव मामला (भारत बनाम पाकिस्तान, 2019): ICJ ने फैसला सुनाया कि पाकिस्तान ने भारत को वाणिज्य दूतावास संबंधी पहुँच से वंचित कर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है और उसने पाकिस्तान को सज़ा की समीक्षा करने का आदेश दिया।
नोट: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) से अलग है। ICC व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है, जबकि ICJ देशों के बीच कानूनी विवादों से संबंधित होता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का अधिकार-क्षेत्र और जलवायु शासन में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये? |
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