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भूगोल

हिमशैल A68a

  • 29 Dec 2020
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पता चला है कि हिमशैल (Iceberg) A68a दक्षिण जॉर्जिया द्वीप (Georgia Island) के तट की तरफ खिसक रहा है। यह हिमखंड वर्ष 2017 में अंटार्कटिका से अलग हो गया था।

  • इससे जॉर्जिया द्वीप के वन्य जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

हिमशैल:

  • हिमशैल उसे कहते हैं जो हिमनद (Glacier) या शेल्फ बर्फ (Shelf Ice) से विखंडित होकर खुले पानी में तैरता रहता है।
  • हिमशैल समुद्र की धाराओं के साथ तैरते हैं, लेकिन मार्ग में उथला पानी या तटीय क्षेत्र की उपस्थिति में स्थिर हो जाते हैं।
  • यू.एस. नेशनल आइस सेंटर (US National Ice Center) एकमात्र ऐसा संगठन है जो अंटार्कटिक हिमखंडों का नामकरण करता है और उन पर नज़र रखता है।
    • हिमशैलों का नामकरण उस अंटार्कटिक चतुर्थांश (Antarctic Quadrant) के आधार पर रखा जाता है जिसमें उन्हें देखा जाता है।

हिमशैल A68a :

  • हिमशैल A68a का आकार बंद मुट्ठी से इंगित करती हुई एक उंगली की तरह है जो वर्ष 2017 में पश्चिम अंटार्कटिक प्रायद्वीप (West Antarctic Peninsula) के लार्सन आइस शेल्फ (Larsen Ice Shelf) से अलग हो गया था। इस हिमशैल का तापमान पृथ्वी के दक्षिणी महाद्वीप के किसी भी अन्य हिस्से की तुलना में तेज़ी से बढ़ा है।
  • आगे बढ़ने पर इससे छोटे हिमखंड अलग होते गए, जिसके बाद शेष बचे हुए बड़े हिस्से को A68a नाम दिया गया जिसका विस्तार लगभग 2,600 वर्ग किमी. क्षेत्र में है।
    • हाल ही में A68a से अलग हुए दो हिमशैलों को USNIC द्वारा A68e और A68f नाम दिया गया।
  • सभी हिमखंड के टुकड़े दक्षिणी अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट फ्रंट (Southern Antarctic Circumpolar Current Front) नामक पानी की एक तेज़ धारा के साथ बह रहे हैं।
    • अंटार्कटिक सर्कम्पोलर धारा (Antarctic Circumpolar Current) दक्षिणी महासागर की सबसे महत्त्वपूर्ण धारा है, यह एकमात्र धारा है जो पृथ्वी के चारों ओर बहती है ।
    • यह धारा अंटार्कटिक महाद्वीप के चारों ओर घेरा बनाते हुए अटलांटिक, हिंद और प्रशांत महासागर के दक्षिणी भागों में पूर्व की ओर बहती है।
  • यह हिमशैल एक ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र (British Overseas Territory) दक्षिण जॉर्जिया के द्वीप की ओर खिसक रहा है।
    • इससे द्वीप पर मौजूद उन स्थानीय वन्यजीवों का विलोपन हो सकता है जो आस-पास के समुद्र से भोजन प्राप्त करते हैं। पेंगुइन और सील को भोजन की तलाश में दूर तक जाना पड़ सकता है।
    • खुले समुद्रों में हिमशैल की मौजूदगी के कुछ सकारात्मक परिणाम भी हैं, जैसे- हिमशैलों के साथ इन क्षेत्रों में धूल (Dust) आती है, जो महासागरीय प्लवक (Plankton) के विकास में उर्वरक का काम करती है। प्लवक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के अच्छे अवशोषक होते हैं।
  • ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (British Antarctic Survey) पारिस्थितिकी तंत्र पर A68a के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये एक शोध मिशन शुरू करेगा।
    • BAS प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद (Natural Environment Research Council) का एक घटक है तथा NERC, यू.के. रिसर्च एंड इनोवेशन (UK Research and Innovation) का हिस्सा है।
    • यह ध्रुवीय क्षेत्रों में विश्व को अग्रणी अंतःविषयक अनुसंधान प्रदान करता है।

हिमनद का खंडन

अर्थ:

  • खंडन (Calving), ग्लेशियोलॉजिकल (Glaciological) शब्द है, जिसका इस्तेमाल हिमनद के किनारे की बर्फ के टूटने पर किया जाता है।
  • पानी (झीलों या महासागरों) पर बहते हिमनद में खंडन की घटना एक सामान्य बात है, लेकिन यह घटना सूखी भूमि पर भी हो सकती है, तब इसे शुष्क खंडन (Dry Calving) कहा जाता है।

प्रक्रिया:

  • खंडन की प्रक्रिया से पहले हिमनदों में छोटी दरारों और फ्रैक्चरों (Fractures) की जगह बड़ी दरारें (Crevasses) विकसित होती हैं।
  • ये बड़ी दरारें कई खंडों में विभाजित हो जाती हैं और बाद में टूटकर अलग हो जाती हैं, जिन्हें हिमखंड कहा जाता है।
    • हिमानी थूथन (Glacier Snout): यह हिमनद का सबसे निचला छोर होता है, जिसे ग्लेशियर टर्मिनस (Glacier Terminus) या पैर की अंगुली (Toe) भी कहा जाता है।

हिमनद के द्रव्यमान संतुलन पर प्रभाव:

  • विखंडन, झीलों की समाप्ति वाले हिमनदों में पृथक्करण की एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, जिसका हिमनदों को संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
    • पृथक्करण (Ablation): इसका तात्पर्य उन संयुक्त प्रक्रियाओं (संलयन या पिघलने, वाष्पीकरण आदि) से है जो हिमनद की सतह से बर्फ को हटाते हैं।
    • ग्लेशियर का द्रव्यमान संतुलन: यह संतुलन हिमनद प्रणाली में हिम में वृद्धि और कमी के कारण होता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण खंडन की प्रक्रिया में वृद्धि हुई है।

खंडन के हाल के मामले:

  • लार्सन आइस शेल्फ (Larsen Ice Shelf) 20वीं शताब्दी के अंत तक (10,000 से अधिक वर्षों से) स्थिर था।
  • इसका एक बड़ा हिस्सा वर्ष 1995 में और वर्ष 2002 में टूट गया। इसके पास स्थित विल्किंस आइस शेल्फ (Wilkins Ice Shelf) का खंडन वर्ष 2008 और 2009 में तथा A68a का खंडन 2017 में हुआ।
  • हाइड्रोफ्रैक्चरिंग (Hydrofracturing)- इस घटना में पानी दरारों से सतह पर आने लगता है जिससे बर्फ नीचे चली जाती है।
    • हाइड्रोफ्रैक्चरिंग पानी के आधार पर विकसित प्रक्रिया है जिसमें उच्च दबाव के साथ पानी को सतह के नीचे की चट्टानों में डाला जाता है।
    • इसका विकास तेल और गैस उद्योग के लिये किया गया था ताकि तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
    • ड्रिलिंग या हाइड्रोफ्रैक्चरिंग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की घटना होती है।

Hydrofracturing

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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