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सामाजिक न्याय

हिस्टरेक्टमी

  • 19 May 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हिस्टरेक्टमी, अनुच्छेद 21

मेन्स के लिये:

महिला स्वास्थ्य के मुद्दे और संबंधित उपाय, मातृ स्वास्थ्य का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गरीब और कम शिक्षित महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जो कि अनुचित हिस्टरेक्टमी प्रक्रिया से गुज़रती हैं, के उच्च जोखिम के मुद्दे के समाधान हेतु उपाय शुरू किये हैं।

हिस्टरेक्टमी:  

  • परिचय:  
    • हिस्टरेक्टमी एक सर्जिकल/शल्य प्रक्रिया है, जिसमें गर्भाशय (गर्भ), एक महिला के शरीर का वह अंग जहाँ गर्भावस्था के दौरान एक बच्चा विकसित होता है, को हटाना शामिल है।
  • प्रकार:  
    • जब केवल गर्भाशय को हटाया जाता है, तो इसे आंशिक (Partial) हिस्टरेक्टमी कहा जाता है। जब गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटा दिया जाता है, तो इसे पूर्ण (Total) हिस्टरेक्टमी कहा जाता है।
    • जब गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, योनि का हिस्सा और इन अंगों के आस-पास के स्नायुबंधन एवं ऊतकों का एक विस्तृत क्षेत्र हटा दिया जाता है, तो इसे रेडिकल हिस्टरेक्टमी कहा जाता है।
  • भारत में हिस्टरेक्टमी के संकेतक:
    • फाइब्रॉएड (गर्भ में या गर्भ के आसपास गैर-कैंसर वृद्धि), एंडोमेट्रियोसिस (ऐसी बीमारी जिसमें गर्भाशय की लिंनिंग के समान ऊतक गर्भाशय के बाहर वृद्धि करता है), असामान्य रक्तस्राव और श्रोणि सूजन की बीमारी जैसी स्त्री रोग संबंधी स्थितियों के लिये भारत में हिस्टरेक्टमी प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं।
    • यह कैंसर के ऊतकों को हटाने के लिये और गंभीर श्रोणि दर्द के मामलों में कैंसर के उपचार के हिस्से के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

भारत में हिस्टरेक्टमी से संबंधित मुद्दे:

  • युवा महिलाओं में हिस्टरेक्टमी का बढ़ता प्रचलन:
    • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विकसित देशों में हिस्टरेक्टमी के मामलों में आमतौर पर 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र की प्रीमेनोपॉज़ल (रजोनिवृत्ति के आसपास) महिलाएँ शामिल होती हैं।
    • हालाँकि भारत में हिस्टरेक्टमी के मामले में समुदाय-आधारित अध्ययनों में 28-36 वर्ष की युवा महिलाओं की बढ़ती संख्या दर्ज की गई है।
  • NFHS डेटा: 
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 के सबसे ताज़ा अनुभवजन्य आँकड़ों के अनुसार, 15-49 वर्ष की 3 प्रतिशत महिलाओं ने हिस्टरेक्टमी प्रक्रिया को अपनाया। 
    • हिस्टरेक्टमी का प्रचलन आंध्र प्रदेश (9 प्रतिशत) में सबसे अधिक है। इसके बाद 15-49 आयु वर्ग की महिलाओं में तेलंगाना (8 प्रतिशत), सिक्किम (0.8 प्रतिशत) और मेघालय (0.7 प्रतिशत) में सबसे कम है।
    • हिस्टरेक्टमी का प्रचलन दक्षिणी क्षेत्र में सबसे अधिक था यानी 4.2 प्रतिशत जो राष्ट्रीय प्रचलन से भी अधिक था। इसके बाद भारत के पूर्वी भाग (3.8 प्रतिशत) का स्थान था। 
    • दूसरी ओर, सबसे कम व्यापकता पूर्वोत्तर क्षेत्र में देखी गई यानी केवल 1.2 प्रतिशत। 
  • अनावश्यक हिस्टरेक्टमी:
    • वर्ष 2013 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) ने "अनावश्यक हिस्टरेक्टमी" के मुद्दे पर प्रकाश डाला।
    • जनहित याचिका में खुलासा किया गया कि बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में महिलाओं को हिस्टरेक्टमी के अधीन किया गया था, जिसको अनावश्यक माना गया क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा था।
      • निजी अस्पताल इन अनावश्यक हिस्टरेक्टमी में संलिप्त रहे थे। दो-तिहाई से अधिक (70%) महिलाएँ, जो हिस्टरेक्टमी से गुज़री जिनका ऑपरेशन निजी स्वास्थ्य सुविधा में किया गया था।
    • प्रक्रिया का दुरुपयोग भी देखा गया था, स्वास्थ्य सेवा संस्थान विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत उच्च बीमा शुल्क का दावा करने के लिये इसका लाभ उठाते थे।

समस्या का समाधान करने के लिये प्रयास:

  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश:
    • जनहित याचिका के प्रत्युत्तर में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे केंद्र द्वारा तैयार किये गए स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों को लागू करें ताकि अनावश्यक हिस्टरेक्टमी की निगरानी और रोकथाम की जा सके। इन दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन में तीन महीने की समय-सीमा में अनिवार्य किया गया था।
    • अनावश्यक हिस्टरेक्टमी कराने वाली महिलाओं के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ।
    • इस निर्णय में यह स्वीकार किया गया कि स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक आंतरिक हिस्सा है। सभी पहलुओं की सराहना करने के लिये जीवन, अच्छी स्वास्थ्य स्थितियों पर आधारित होना चाहिये।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने समस्या से निपटने के लिये एक कार्ययोजना का भी अनुरोध किया है, जिसमें राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला-स्तरीय हिस्टरेक्टमी निगरानी समिति बनाने तथा एक शिकायत पोर्टल की शुरुआत करने के सुझाव शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देश: 
    • वर्ष 2022 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने अनावश्यक हिस्टरेक्टमी को रोकने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश जारी किये। इस प्रक्रिया का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिये राज्यों को इन दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया गया था।
      • हाल ही में मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे चिकित्सा संस्थानों द्वारा की जाने वाली हिस्टरेक्टमी पर डेटा साझा करें।
      • मातृ मृत्यु दर के लिये किये गए मौजूदा ऑडिट के समान सभी हिस्टरेक्टमी प्रक्रिया के लिये अनिवार्य ऑडिट की भी सलाह दी गई थी। 

स्रोत: द हिंदू  

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