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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र

  • 08 Sep 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, चुनौतियाँ और संभावनाएँ।

चर्चा में क्यों?

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के वर्ष 2025 तक बढ़कर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।

  • हेल्थकेयर/स्वास्थ्य सेवा पिछले दो वर्षों में नवाचार और प्रौद्योगिकी पर अधिक केंद्रित हो गया है और 80% स्वास्थ्य सेवा सिस्टम आने वाले पाँच वर्षों में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा  क्षेत्र में अपने निवेश को बढ़ाने का लक्ष्य बना रहे हैं।

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र

  • परिचय:
    • स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पताल, चिकित्सा उपकरण, नैदानिक परीक्षण, आउटसोर्सिंग, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
    • भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को दो प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया गया है - सार्वजनिक और निजी।
      • सरकार (सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली) प्रमुख शहरों में सीमित माध्यमिक और तृतीयक देखभाल संस्थानों को शामिल करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों (Primary Healthcare Centres-PHC) के रूप में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
      • निजी क्षेत्र, महानगरों या टियर-I और टियर-II शहरों में अधिकांश माध्यमिक, तृतीयक और चतुर्थक देखभाल संस्थान केंद्रित है।
  • बाज़ार सांख्यिकी:
    • भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तीन गुना वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है, जो वर्ष 2016-22 के बीच 22% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर वर्ष 2016 में 372 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगी, जो वर्ष 2016 में 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
    • वर्ष 2022 के आर्थिक सर्वेक्षण में, स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.1% था, जो वर्ष 2020-21 में 1.8% और 2019-20 में 1.3% है।
    • वित्तीय वर्ष 2021 में, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा अंडरराइट की गई सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय 13.3% से बढ़कर 58,572.46 करोड़ रुपए (USD 7.9 बिलियन) हो गई।
    • 2020 में भारतीय चिकित्सा पर्यटन बाज़ार का मूल्य 2.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और इसके 2026 तक 13.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • टेलीमेडिसिन के भी वर्ष 2025 तक 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।

स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ चुनौतियाँ:

  • अपर्याप्त पहुँच:
    • चिकित्सा पेशेवरों की कमी, गुणवत्ता आश्वासन की कमी, अपर्याप्त स्वास्थ्य खर्च और सबसे महत्त्वपूर्ण अपर्याप्त शोध निधि जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुँच।
    • प्रमुख चिंताओं में से प्रशासन का अपर्याप्त वित्तीय आवंटन है।
  • कम बजट:
    • स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.1% है जबकि जापान, कनाडा और फ्राँस अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करते हैं।
      • यहाँ तक कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की GDP का 3% से अधिक हिस्सा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का है।
  • निवारक देखभाल की कमी:
    • भारत में निवारक देखभाल को कम करके आँका गया है, इस तथ्य के बावजूद कि यह दुख और वित्तीय नुकसान के मामले में रोगियों के लिये विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों को कम करने में काफी फायदेमंद साबित हुआ है।
  • चिकित्सा अनुसंधान की कमी:
    • भारत में अनुसंधान एवं विकास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाली नई परियोजनाओं पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
  • नीति निर्माण:
    • प्रभावी और कुशल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में नीति निर्धारण निस्संदेह महत्त्वपूर्ण है। भारत में मुद्दा मांग के बजाय आपूर्ति का है और नीति निर्धारण मदद कर सकता है।
  • पेशेवरों की कमी:
    • भारत में, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है।
    • एक मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 600,000 डॉक्टरों की कमी है।
  • संसाधनों की कमी:
    • डॉक्टर चरम परिस्थितियों में काम करते हैं जिसमें भीड़भाड़ वाले बाहरी रोगी विभाग, अपर्याप्त स्टाफ, दवाएँ और बुनियादी ढाँचे शामिल हैं।

भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र की क्षमता:

  • भारत का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अच्छी तरह से प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों के अपने बड़े पूल में निहित है। भारत एशिया और पश्चिमी देशों में अपने साथियों की तुलना में लागत प्रतिस्पर्धी भी है। भारत में सर्जरी की लागत अमेरिका या पश्चिमी यूरोप की तुलना में लगभग दसवाँ हिस्सा है।
  • इस क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि के लिये भारत के पास सभी आवश्यक सामग्री है, जिसमें एक बड़ी आबादी, एक मजबूत फार्मा और चिकित्सा आपूर्ति शृंखला, 750 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता तक आसान पहुँच के साथ विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पूल और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिये नवीन तकनीकी उद्यमी शामिल हैं।
  • देश में उत्पाद विकास और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु चिकित्सा उपकरणों का तेज़ी से नैदानिक परीक्षण करने के लिये लगभग 50 क्लस्टर होंगे।
  • जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव में बदलाव, वरीयताओं में बदलाव, बढ़ते मध्यम वर्ग, स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि, चिकित्सा सहायता, बुनियादी ढाँचे के विकास और नीति समर्थन तथा प्रोत्साहन इस क्षेत्र को आगे बढ़ाएंँगे।
  • वर्ष 2021 तक भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है क्योंकि इसमें कुल 4.7 मिलियन लोग कार्यरत हैं। इस क्षेत्र ने वर्ष 2017-22 के बीच भारत में 2.7 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ पैदा की हैं (प्रति वर्ष 500,000 से अधिक नई नौकरियाँ)।

स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से संबंधित पहल:

आगे की राह

  • भारत की बड़ी आबादी के कारण बोझ से दबे सरकारी अस्पतालों के बुनियादी ढाँचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
  • सरकार को निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।
  • क्योंकि कठिनाइयाँ गंभीर हैं और केवल सरकार द्वारा ही इसका समाधान नहीं किया जा सकता है, निजी क्षेत्र को भी इसमें शामिल होना चाहिये।
  • स्वास्थ क्षेत्र की क्षमताओं और दक्षता में सुधार के लिये अधिक चिकित्सा कर्मियों को शामिल किया जाना चाहिये।
  • स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • अस्पतालों और क्लीनिकों में चिकित्सा गैजेट, मोबाइल स्वास्थ्य ऐप, पहनने योग्य और सेंसर तकनीक के कुछ उदाहरण हैं जिन्हें इस क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।
  3. बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।
  4. पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d)  केवल 3 और 4

उत्तर: A

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान) महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो आंँगनवाड़ी सेवाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ-भारत मिशन आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) का लक्ष्य 2017-18 से शुरू होकर अगले तीन वर्षों के दौरान 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। अतः कथन 1 सही है।
  • एनएनएम का लक्ष्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) को कम करना और बच्चों के जन्म के समय कम वज़न की समस्या को कम करना है। अत: कथन 2 सही है।
  • एनएनएम के तहत बाजरा, बिना पॉलिश किये चावल, मोटे अनाज और अंडों की खपत से संबंधित ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अत: कथन 3 और 4 सही नहीं हैं।

अतः विकल्प (a) सही है।


मेन्स:

प्रश्न. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता होने के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना सतत् विकास के लिये एक आवश्यक पूर्व शर्त है" विश्लेषण कीजिये। (मेन्स-2021)

स्रोत: पी.आई.बी.

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