इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

उष्ण महासागर और सुपर साइक्लोन

  • 20 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सुपर साइक्लोन, उष्ण कटिबंधीय चक्रवात 

मेन्स के लिये:

समुद्री तापन और जलवायु 

चर्चा में क्यों?

भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ (Amphan) बंगाल की खाड़ी का सामान्य से अधिक तापमान के कारण ‘अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान’ (Extremely Severe Cyclonic Storm) का रूप ले सकता है।

प्रमुख बिंदु:

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, सुपर साइक्लोन के निर्माण में बंगाल की खाड़ी का सामान्य से अधिक तापमान रहने में ‘लॉकडाउन’ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • 'सुपर साइक्लोन अम्फान' जो पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है, वर्ष 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद से बंगाल की खाड़ी में आया सबसे तेज़ चक्रवात है।

सुपर साइक्लोन:

  • तूफान जिनका निर्माण बहुत तेज़ी से होता है और जिनकी वायु की गति 'अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान' की वायु गति से बहुत अधिक हो जाती है, वे सुपर साइक्लोन माने  जाते हैं।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात:

  • उष्ण कटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान होते हैं जिनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात निर्माण की अनुकूल स्थितियाँ:

  • इनकी उत्पत्ति व विकास के लिये निम्नलिखित अनुकूल स्थितियाँ हैं:
    • बृहत् समुद्री सतह; 
    • समुद्री सतह का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो;
    • कोरिआलिस बल का उपस्थित होना;
    • लंबवत पवनों की गति में अंतर कम होना; 
    • कमज़ोर निम्न दाब क्षेत्र या निम्न स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण  होना; 
    • समुद्री तल तंत्र पर उपरी अपसरण।

Undisturbed-Winds

चक्रवात में ऊर्जा की आपूर्ति:

  • चक्रवातों को और अधिक विध्वंसक करने वाली ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासी स्तरी मेघों से प्राप्त होती है जो इस तूफान के केंद्र को घेरे होती है। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति चक्रवातों को अधिक प्रबल करती हैं।

महासागरीय तापमान में वृद्धि:

  • महासागर वातावरण में उत्सर्जित अतिरिक्त ऊष्मा के लगभग 90% से अधिक भाग को अवशोषित करते हैं।
  • महासागरीय तापन और वायुमंडल से उत्सर्जित गैस की मात्रा के बीच मज़बूत संबंध पाया जाता है। जैसे-जैसे महासागर गर्म होता है, इससे चक्रवात निर्माण की संभावना भी उतनी ही अधिक होती है।

बंगाल की खाड़ी के तापमान में वृद्धि:

  • चक्रवात ऊष्ण महासागरों तथा इससे उत्पन्न ऊष्ण नमी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
  • वर्ष  2020 के ग्रीष्मकाल में बंगाल की खाड़ी का रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया है क्योंकि जीवाश्म ईंधन के लगातार उत्सर्जन के कारण महासागरों के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है।
  • मई माह के प्रथम दो सप्ताह में यहाँ समुद्री सतह का तापमान 32-34°C दर्ज किया है। इसने चक्रवात निर्माण के लिये आदर्श स्थितियों का निर्माण किया है। 

लॉकडाउन का प्रभाव (Lockdown Impact):

  • महासागरों के तापमान में देखी गई वृद्धि, लॉकडाउन से भी संबंधित हो सकती है। लॉकडाउन के दौरान 'कणकीय पदार्थों' (Particulate Matter) के उत्सर्जन में कमी देखी गई है, जिससे ‘एरोसॉल’ को मात्रा में भी कमी आई है। 'ब्लैक कार्बन' सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करते है तथा सतही तापमान में कमी करते हैं। अर्थात प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी के कारण महासागरों के तापमान में वृद्धि हुई है। 
  • इंडो-गंगेटिक मैदानों से ये प्रदूषक 'बंगाल की खाड़ी' में पहुँचते है तथा बंगाल की खाड़ी में बादल निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार बंगाल की खाड़ी में कम बादल निर्माण तथा अधिक तापमान ने चक्रवात निर्माण को प्रभावित किया है। 

आगे की राह:

  • 'जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल' (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) रिपोर्ट के अनुसार, 1.5°C से 2°C के बीच के बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के स्तर के परिणामस्वरूप अधिकांश भूमि और महासागरों के औसत तापमान में वृद्धि हो सकती है, कई क्षेत्रों में भारी वर्षा तथा कुछ क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। 
  • महासागरों के तापमान में वृद्धि होने से संपूर्ण जलवायु तंत्र प्रभावित होता है, अत: सभी देशों को महासागरों के संरक्षण तथा आपदा प्रबंधन पर विशेष पहल करने की आवश्यकता है। 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2