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सामाजिक न्याय

दिव्‍यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा हेतु दिशा-निर्देश

  • 30 Mar 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

मेन्स के लिये:

दिव्यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के अंतर्गत दिव्य‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग (Department of Empowerment of Persons with Disabilities (DEPwD) ने COVID-19 को देखते हुए दिव्यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी की  है।

प्रमुख बिंदु:

  • सरकार ने COVID-19 से उत्पन्न स्थिति को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 8 ऐसी स्थितियों में दिव्यांगजनों के समान संरक्षण और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करती है।
  • यह ज़िला/राज्य/राष्ट्रीय स्तरों पर आपदा प्रबंधन प्राधिकारियों को दिव्यांगजनों को आपदा प्रबंधन गतिविधियों में शामिल करने के उपाय करने और उनको इनसे पूरी तरह अवगत रखने के लिये  भी अधिदेशित करती है।
  • अधिकारियों को आपदा प्रबंधन के दौरान दिव्यांगजनों से संबंधित राज्य आयुक्त को शामिल करना अनिवार्य रूप से आवश्यक है।

दिशा-निर्देश:

  • COVID-19 के बारे में समस्त सूचना, प्रस्तुत की जाने वाली सेवाएँ और बरती जाने वाली सावधानियों को सरल और स्थानीय भाषा में सुगम्य प्रारूप में उपलब्ध कराई जानी  चाहिये अर्थात दृष्टि बाधित लोगों के लिये सूचना ‘ब्रेल और ऑडिबल टेप्स’ में उपलब्ध कराई जानी चाहिये। 
  • बधिरों के लिये सूचना ‘सब-टाइटल (Sub-Titles) और सांकेतिक भाषा व्याख्या’ (Sign Language Interpretation) के साथ वीडियो-ग्राफिक सामग्री के जरिए वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराई जानी चाहिये।
  • आपातकालीन और स्वास्थ्य स्थितियों में काम करने वाले ‘सांकेतिक भाषा व्याख्याकारों’ को कोविड-19 से निपटने वाले अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के समान स्वास्थ्य और सुरक्षा संरक्षण दिया जाना चाहिये।
  • आपातकालीन सेवाओं के लिये उत्तरदायी सभी व्यक्तियों को दिव्यांगजनों के अधिकारों और विशिष्ट प्रकार की असमर्थता वाले व्यक्तियों को होने वाली अतिरिक्त समस्याओं से जुड़े जोखिमों के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।
  • दिव्यांगजनों की देखभाल करने वालों को लॉकडाउन के दौरान प्रतिबंधों से छूट देकर या प्राथमिकता के आधार पर सरलीकृत तरीके से पास प्रदान कर उनको दिव्यांगजनों तक जाने की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस (Resident Welfare Associations) को दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के बारे में सचेत होना चाहिये एवं नियत सैनिटाइजिंग प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही नौकरानी, देखभाल करने वाले या अन्य सहायता प्रदाताओं को उनके घर में प्रवेश करने की अनुमति हो।
  • दिव्यांगजनों को जहाँ तक संभव हो सके आवश्यक भोजन, पानी, दवा उपलब्ध कराई जानी चाहिये एवं ज़रूरी वस्तुओं को उनके निवास स्थान या उस स्थान पर पहुँचाया जाना चाहिये जहाँ उनको एकांत में रखा गया है।
  • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दिव्यांगजनों और वृद्धों के लिये सुपर मार्केट्स सहित खुदरा रसद की दुकान (Retail Provision Stores) के खुलने का समय निर्धारित करने पर विचार कर सकती हैं, जिससे उनकी दैनिक जरूरत की वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
  • दिव्यांगजनों को उपचार में प्राथमिकता दी जानी चाहिये एवं विशेष कर दिव्यांग बच्चों और महिलाओं के संबंध में ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिये।
  • सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में दृष्टिबाधित और अन्य गंभीर दिव्यांग वाले कर्मचारियों को इस अवधि के दौरान आवश्यक सेवाओं से छूट दी जानी चाहिये क्योंकि वे आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।

आपातकालीन अवधि के दौरान दिव्यांग से संबंधित मामलों के समाधान हेतु तंत्र:

  • दिव्यांगजनों के लिये राज्य आयुक्त:
    • दिव्यांगजनों के लिये राज्य आयुक्तों को दिव्यांगजनों के संबंध में राज्य नोडल प्राधिकारी घोषित किया जाना चाहिये।
    • राज्य आयुक्त को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, स्वास्थ्य, पुलिस और अन्य विभागों के साथ ही साथ ज़िला अधिकारीयों और दिव्यांगजनों के लिये कार्य कर रहे ज़िला स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय कर कार्य करेंगे।
    • COVID-19, सार्वजनिक प्रतिबंध योजनाओं, प्रस्तुत की जा रही सेवाओं के बारे में समस्‍त जानकारी को स्थानीय भाषाओं में सुलभ प्रारूपों में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार होंगे।
  • दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण से संबंधित ज़िला अधिकारी:
    • दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण से संबंधित ज़िला अधिकारी को दिव्यांगजनों के संबंध में ज़िला नोडल प्राधिकारी घोषित किया जाना चाहिये।
    • ज़िला अधिकारी के पास ज़िले के दिव्यांगजनों की सूची होनी चाहिये और उन्हें समय-समय पर दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं की निगरानी करनी चाहिये तथा उनके पास गंभीर दिव्‍यांगता वाले व्यक्तियों की एक अलग सूची होनी चाहिये जिन्हें इलाके में अधिक सहायता की आवश्यकता हो।
    • ज़िला अधिकारी उपलब्ध संसाधनों से समस्या को हल करने के लिये जिम्मेदार होंगे और यदि आवश्यक हो तो गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों/रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिशंस की मदद ले सकता है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

(Ministry of Social Justice and Empowerment):

  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का उद्देश्य एक ऐसे समावेशी समाज की स्थापना करना है जिसके अंतर्गत लक्षित समूह के सदस्यगण अपने विकास और वृद्धि के लिये उपयुक्त समर्थन प्राप्त करके अपने लिये उपयोगी, सुरक्षित और प्रतिष्ठित जीवन की प्राप्ति कर सकते हैं।
  • आवश्यक जगहों पर लक्षित समूहों को शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन प्रदान करना और उनका सशक्तिकरण करना है।

स्रोत: पीआईबी

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