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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB)

  • 14 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, IUCN की रेड लिस्ट

मेन्स के लिये:

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), GIB की सुरक्षा के लिये किये गए पर्यावरण अनुकूल उपाय,


चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने आदेश में संशोधन की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के आवास में सभी ट्रांसमिशन केबल को भूमिगत रखा जाए।

प्रमुख बिंदु:

  • भूमिका:

    • इस वर्ष 2021 की शुरुआत में लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) और लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican) की घटती संख्या की जाँच करने के लिये, सर्वोच्च न्यायालय की एक बेंच ने निर्देश दिया कि राजस्थान तथा गुजरात में पक्षियों के आवास के साथ-साथ जहाँ भी संभव हो, ओवरहेड विद्युत लाइनों को भूमिगत रखा जाए।
  • उठाई गई चिंताएँ:

    • भारत में विद्युत क्षेत्र के लिये निहितार्थ:
      • राजस्थान और गुजरात का क्षेत्र देश की कुल सौर और पवन ऊर्जा क्षमता का एक बड़ा हिस्सा है।
      • विद्युत लाइनों को भूमिगत करने से अक्षय ऊर्जा उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा के कारण को नुकसान होगा।
        • उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिये ऊर्जा संक्रमण आवश्यक है तथा भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन में संक्रमण एवं उत्सर्जन में कमी के लिये संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के तहत वर्ष 2015 में पेरिस मेंहस्ताक्षरित समझौते सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की हैं।
        • भारत ने वर्ष 2022 तक 175 GW और वर्ष 2030 तक 450 GW की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता (बड़े हाइड्रो को छोड़कर) प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
    • अक्षय ऊर्जा के अप्रयुक्त रहने की संभावना:
      • अब तक इस क्षेत्र में लगभग 263 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की अनुमानित क्षमता का केवल 3% का ही दोहन किया गया है।
      • यदि शेष क्षमता का उपयोग नहीं किया जाता है तो भविष्य में अप्रयुक्त अक्षय ऊर्जा के विकल्प के रूप में 93,000 मेगावाट अतिरिक्त कोयला आधारित क्षमता की आवश्यकता होगी, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB)

परिचय:

  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB), राजस्थान का राज्य पक्षी है और भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है।
  • यह घास के मैदान की प्रमुख प्रजाति मानी जाती है, जो चरागाह पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्त्व करती है।
  • इसकी अधिकतम आबादी राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह प्रजाति कम संख्या में पाई जाती है।
  • विद्युत लाइनों से टकराव/इलेक्ट्रोक्यूशन, शिकार (अभी भी पाकिस्तान में प्रचलित), आवास का नुकसान और व्यापक कृषि विस्तार आदि के परिणामस्वरूप यह पक्षी खतरे में है।

सुरक्षा की स्थिति:

GIB की सुरक्षा के लिये किये गए उपाय:

  • प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम:
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास (IDWH) के तहत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत रखा गया है।
  • नेशनल बस्टर्ड रिकवरी प्लान:
    • वर्तमान में इसे संरक्षण एजेंसियों (Conservation Agencies) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • संरक्षण प्रजनन सुविधा:
    • जून 2019 में MoEFCC, राजस्थान सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वार जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क में एक संरक्षण प्रजनन सुविधा स्थापित की है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स की एक आबादी में वृद्धि करना है जिसके लिये चूजों को जंगल में छोड़ा जाना है।
  • प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
    • राजस्थान सरकार ने इस प्रजाति के प्रजनन बाड़ों के निर्माण और उनके आवासों पर मानव दबाव को कम करने के लिये एवं बुनियादी ढाँचे के विकास के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ’लॉन्च किया है।
  • पर्यावरण अनुकूल उपाय:
    • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सहित वन्यजीवों पर पॉवर ट्रांसमिशन लाइनों (Power Transmission Lines) और अन्य पॉवर ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर (Power Transmission Infrastructures) के प्रभावों को कम करने के लिये पर्यावरण के अनुकूल उपायों का सुझाव देने हेतुटास्क फोर्स का गठन।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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