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डोपिंग निरोधक कानून लाएगी सरकार

  • 28 Apr 2017
  • 2 min read

समाचारों में क्यों?
विदित हो कि खेल मंत्रालय और नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने डोपिंग को कानून के दायरे में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। खेल मंत्री विजय गोयल ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि कोशिश की जा रही है कि डोपिंग को बढ़ावा देने वाले डॉक्टरों, बिना डॉक्टरी सलाह के स्टेरायड देने वाली दवा की दुकानों और कोच को भी दंडनीय अपराध के दायरे में रखा जाए।

डोपिंग पर कानून बनाने को लेकर खेल मंत्रालय ने अपना समर्थन जताया है। खेल मंत्री का कहना है कि वाडा कोड 2015 को लागू करने और देश में बढ़ रहे डोपिंग के मामलों पर लगाम लगाने को यह कानून ज़रूरी है। खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास और नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने भी डोपिंग के कानून को लेकर वकालत की है।

हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एथलीटों को कानून के दायरे में लाना ठीक नहीं है। वाडा कोड पहले से ही सख्त हैं और उन्हीं को सख्ती से लागू करने की ज़रूरत है।

क्या है वाडा और नाडा?
किसी भी खिलाड़ी का डोप टेस्ट विश्व डोपिंग विरोधी संस्था (वाडा) या राष्ट्रीय डोपिंग विरोधी एजेंसी (नाडा) ले सकता है। अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन रोकने के लिये वाडा की स्थापना 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी। इसके बाद हर देश में नाडा की स्थापना की जाने लगी। डोपिंग के  दोषियों को 2 साल से लेकर आजीवन पाबंदी तक की सजा का प्रावधान है।

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