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ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट हब

  • 13 Sep 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

12 सितंबर, 2019 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने यह घोषणा की कि भारत ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antimicrobial Resistance-AMR) रिसर्च एंड डेवलपमेंट (Research and Development-R&D) हब में एक नए सदस्य के रूप में शामिल हो गया है।

AMRR&D हब

  • G-20 नेताओं द्वारा वर्ष 2017 में किये गए आह्वान के परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) के 71वें सत्र से इतर मई, 2018 में इस केंद्र की शुरूआत की गई।
  • ग्लोबल AMRR&D हब का परिचालन बर्लिन स्थित सचिवालय से किया जा रहा है।
  • वर्तमान में इसे जर्मन संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (German Federal Ministry of Education and Research) और संघीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Federal Ministry of Health) से प्राप्त अनुदान के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।
  • इस वर्ष से भारत इसका सदस्य होगा।

विश्व स्वास्थ्य सभा

World Health Assembly

  • विश्व स्वास्थ्य सभा WHO की निर्णय लेने वाली संस्था है।
  • इसमें WHO के सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल होते हैं और कार्यकारी बोर्ड द्वारा तैयार किये गए एक विशिष्ट स्वास्थ्य एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य सभा के मुख्य कार्यों में संगठन की नीतियों का निर्धारण करना, महानिदेशक की नियुक्ति करना, वित्तीय नीतियों की निगरानी करना और प्रस्तावित कार्यक्रम के बजट की समीक्षा एवं अनुमोदन करना शामिल है।
  • प्रतिवर्ष स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया जाता है।

लाभ:

  • ग्लोबल AMRR&D हब की भागीदारी से भारत सभी भागीदारों देशों की मौजूदा क्षमताओं, संसाधनों और सामूहिक रूप से अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लाभान्वित होगा तथा दवा प्रतिरोधी संक्रमणों से निपटने में स्वयं को सक्षम बनाने की दिशा में कार्य करेगा।
  • इस हब की सहायता से AMRR&D से संबंधित चुनौतियों का सामना करने और 16 देशों, यूरोपीय आयोग, 2 परोपकारी प्रतिष्ठानों एवं 4 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (पर्यवेक्षकों के रूप में) में परस्पर सहयोग तथा समन्वय लाने के लिये वैश्विक भागीदारी का विस्तार हुआ है।

नोट: AMR, दवा के प्रभाव का प्रतिरोध करने के लिये माइक्रोब की क्षमता को प्रदर्शित करता है। इससे माइक्रोब का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।

  • वर्तमान समय में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का उद्भव और प्रसार समस्त विश्व के लिये एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के महत्त्वपूर्ण और परस्पर आश्रित मानव, पशु एवं पर्यावरणीय आयामों को देखते हुए भारत एक स्वास्थ्य पहुँच के माध्यम से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के मुद्दों का पता लगाने पर बल दे रहा है। स्पष्ट रूप से इसके लिये सभी हितधारकों की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और सहयोग अपेक्षित है।

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस क्या है?

AMR का अर्थ है: सूक्ष्म जीवों जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी आदि का एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक) के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेना। इन सूक्ष्म जीवों को सुपर बग (Super Bug) कहते हैं। मल्टीड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया इसी का एक भाग है।

AMR

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के दुष्परिणाम

  • सामान्य बीमारियों का उपचार कठिन हो जाना:
    • दुनिया भर में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके कारण आम संक्रामक बीमारियों का इलाज करना भी असंभव हो जाता है।
    • इसका परिणाम यह होता है कि लम्बे समय तक बीमारी बनी रहती है और यदि यह प्रतिरोध बहुत अधिक बढ़ गया तो बीमार व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
  • चिकित्सा प्रक्रियाओं का जटिल हो जाना:
    • चिकित्सकीय प्रक्रियाएँ जैसे अंग प्रत्यारोपण, कैंसर के इलाज़ के लिये कीमोथेरेपी और अन्य प्रमुख शल्य चिकित्सा (Surgery) में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल होता है।
    • एंटीबायोटिक दवाएँ सर्जरी के दौरान होने वाले चीर-फाड़ के बाद संक्रमण बढ़ने से रोकने का कार्य करती हैं। यदि प्रतिरोध बढ़ता गया तो इस तरह की चिकित्सकीय प्रक्रियाएँ जटिल हो जाएंगी।
    • अंततः एक ऐसा भी समय आ सकता है जब सर्जरी करना ही असंभव हो जाएगा या फिर सर्जरी के कारण ही लोगों की मृत्यु हो जाएगी।
  • स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि:
    • एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण रोगियों को अस्पतालों में लंबे समय तक भर्ती रहना पड़ता है। साथ ही उन्हें गहन देखभाल की भी ज़रूरत होती है।
    • इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव तो बढ़ता ही है साथ में स्वास्थ्य देखभाल की लागत में भी व्यापक वृद्धि होती है।
    • जनसंख्या विस्फोट के कारण वर्तमान में सभी व्यक्तियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना भी एक चुनौती बनी हुई है।
    • ऐसे में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध स्वास्थ्य सेवाओं को बद से बदतर की ओर ले जाएगा।
  • सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन:
    • ट्रांसफॉर्मिंग आवर वर्ल्ड: द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट' का संकल्प, जिसे सतत् विकास लक्ष्यों के नाम से भी जाना जाता है, के तहत कुल 17 लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है।
    • सतत् विकास लक्ष्यों के लक्ष्य संख्या 3 में सभी उम्र के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने की बात की गई है।
    • एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध इस लक्ष्य की प्राप्ति में एक बड़ा अवरोध बनने जा रहा है और इसका प्रभाव सतत् विकास के सभी लक्ष्यों पर देखने को मिलेगा।

आगे की राह:

  • सर्वप्रथम लोगों को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे इनका अंधाधुंध प्रयोग न करें। सभी एंटी बायोटिक दवाओं की प्राप्ति के लिये डॉक्टर के परामर्श-पत्र को दिखाना अनिवार्य किया जाना चाहिये।
  • किसी भी प्रकार के AMR संक्रमण की स्थिति में रोगी को उपयुक्त आहार देना चाहिये तथा दवा की उचित मात्रा एवं उपयुक्त अवधि के माध्यम से चिकित्सा प्रबंधन किया जाना चाहिये।
  • इस प्रकार के संक्रमण की चिकित्सा के लिये एक बहुविषयक टीम का गठन किया जाना चाहिये जिसमें संक्रामक रोग चिकित्सक, क्लिनिकल फार्मासिस्ट, सूक्ष्म रोग विज्ञानी, संक्रमण नियंत्रक दल आदि शामिल हों।

स्रोत: PIB

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