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भारतीय अर्थव्यवस्था

फ्रेंडशोरिंग

  • 17 Nov 2022
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फ्रेंडशोरिंग, सहयोगी शोरिंग, संरक्षणवाद, वैश्वीकरण।

मेन्स के लिये:

फ्रेंडशोरिंग के निहितार्थ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी ट्रेज़री सचिव ने भू-राजनीतिक जोखिम वाले देशों से परे व्यापार में विविधता लाने के लिये "फ्रेंडशोरिंग" पर ज़ोर दिया है।

फ्रेंडशोरिंग:

  • ·   फ्रेंडशोरिंग एक रणनीति है जहाँ एक देश कच्चे माल, घटकों और यहाँ तक कि निर्मित वस्तुओं को उन देशों से प्राप्त करता है जो इसके मूल्यों को साझा करते हैं। इसमें आपूर्ति शृंखलाओं की स्थिरता के लिये "खतरा" माने जाने वाले देशों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो जाती है।
  • इसे "एलीशोरिंग" भी कहा जाता है।
    • अमेरिका के लिये रूस ने लंबे समय से खुद को एक विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन यूक्रेन युद्ध में, उसने यूरोप के लोगों के खिलाफ गैस को हथियार बनाया है।
      • यह एक उदाहरण है कि कैसे सभी भागीदार देश दुर्भावना के चलते अपने स्वयं के लाभ के लिये भू-राजनीतिक लाभ उठाने या व्यापार को बाधित करने की कोशिश में अपने बाज़ार की स्थिति का उपयोग कर सकते हैं।
  • फ्रेंड-शोरिंग या एली-शोरिंग अमेरिका के लिये फर्मों को अपने सोर्सिंग और मैन्युफैक्चरिंग साइट्स को उन फ्रेंडली तटों पर ले जाने के लिये प्रभावित करने का एक साधन बन गया है जो अमेरिका से संबंधित हैं।
  • फ्रेंडशोरिंग का लक्ष्य कम संगत देशों से आपूर्ति शृंखलाओं की रक्षा करना है, जैसे अमेरिका के मामले में चीन।

फ्रेंडशोरिंग के निहितार्थ क्या हो सकते हैं?

  • फ्रेंडशोरिंग विश्व के देशों को व्यापार के लिये अलग-थलग कर सकता है और इससे वैश्वीकरण के लाभों की प्रकृति बिलकुल ही विपरीत हो जाएगी। यह "डीग्लोबलाइज़ेशन" प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
  • कोविड-19 के वर्षों के लॉकडाउन से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बाद किसी भी प्रकार का संरक्षणवाद पहले से ही अस्थिर वैश्विक आपूर्ति शृंखला को और बाधित करेगा।
  • संरक्षणवाद का यह नया रूप वैश्विक आपूर्ति शृंखला और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हुए वैश्वीकरण के अनुकूल नहीं होगा और लंबी अवधि में इसका उल्टा प्रभाव पड़ सकता है यदि कोई कंपनी बैटरी हेतु लिथियम या कंप्यूटर चिप्स जैसे कीमती धातु के लिये किसी देश पर निर्भर करती है, वह ऐसे में स्वयं को अलग थलग महसूस कर सकता है।
  • इसके अलावा जैसा कि यह एक प्रवृत्ति बन जाती है, दुनिया धीरे-धीरे अलग हो जाएगी और देशों के लिये मानवता की भलाई हेतु एक साथ काम करना मुश्किल होगा।

निष्कर्ष

  • आज की दुनिया एक साथ काम करने वाले देशों के मामले में अपने चरम पर पहुँच गई है।
  • वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक देश द्वारा संपत्ति का उपयोग करके अर्थव्यवस्था के नुकसान को पूरा किया जाता है।
  • हालाँकि हम अभी भी पूर्ण वैश्वीकरण से बहुत दूर हैं, और देशों के बीच कई मतभेद और यहाँ तक कि विवाद भी हैं, फिर भी वैश्विक आपूर्ति शृंखला के बेहतर भविष्य के लिये फ्रेंडशोरिंग एक अच्छा समाधान नहीं लगता है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

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