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भारतीय अर्थव्यवस्था

राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक

  • 06 Jun 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत बजट की गुणवत्ता का आकलन करने के लिये एक राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक Fiscal Performance Index) पेश किया है।

प्रमुख बिंदु

  • CII द्वारा विकसित समग्र ‘राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक’ (FPI) एक अभिनव साधन है जो केंद्र और राज्य स्तरों पर बजट की गुणवत्ता की जाँच करने के लिये कई संकेतकों का उपयोग करता है।
  • इस सूचकांक को तैयार करने के लिये संयुक्त विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) की मानव विकास सूचकांक प्रक्रिया (Human Development Index Methodology) को अपनाया गया है। राजकोषीय प्रदर्शन का प्रस्तावित समग्र सूचकांक सरकरी बजट की गुणवत्ता के आकलन हेतु छह घटकों पर आधारित है।
    • राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) की गुणवत्ता का आकलन जीडीपी में ब्याज भुगतान, सब्सिडी, पेंशन और रक्षा मद में भुगतान के मुकाबले राजस्व व्यय की हिस्सेदारी से किया गया है।
    • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) की गुणवत्ता का आकलन जीडीपी में (रक्षा को छोड़कर) पूंजी व्यय की हिस्सेदारी से किया गया है।
    • राजस्व (Revenue) गुणवत्ता का आकलन जीडीपी के अनुपात में शुद्ध कर राजस्व (राज्यों के मामले में स्वयं कर राजस्व) के आधार पर किया गया है।
    • राजकोषीय समझदारी I (Fiscal Prudence) के स्तर का आकलन जीडीपी के अनुपात में राजकोषीय घाटा के स्तर से किया गया है।
    • राजकोषीय समझदारी II (Fiscal Prudence) के स्तर का आकलन जीडीपी के अनुपात में राजस्व घाटा के स्तर से किया गया है।
    • कर्ज सूचकांक (Debt Index) का आकलन जीडीपी के अनुपात में ऋण और गारंटी में परिवर्तन के आधार पर किया गया है।

इंडेक्स के प्रमुख बिंदु

  • CII ने राजकोषीय अनुशासन के पैमाने पर राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिये वर्ष 2004-05 से लेकर वर्ष 2016-17 की अवधि में नॉन-स्पेशल कैटेगरी में शामिल 18 राज्यों का 'राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक' तैयार किया।
  • व्यय की गुणवत्ता के संदर्भ में आर्थिक रूप से समृद्ध राज्यों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। कम आय वाले राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने व्यय में गुणवत्ता लाते हुए हाल के कुछ वर्षो में निरंतर राजकोषीय प्रदर्शन सूचकांक पर शानदार प्रदर्शन किया है।
  • बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे कम आय वाले राज्यों में उच्च राजकोषीय घाटे का अनुपात अच्छा रहा है। बिहार ने गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे संपन्न राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है। वहीं राजकोषीय अनुशासन के संदर्भ में सबसे खराब प्रदर्शन पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल का रहा है।
  • नए सूचकांक के अंतर्गत बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक क्षेत्रों पर व्यय को आर्थिक वृद्धि के लिये लाभकारी माना जा सकता है। साथ ही कर राजस्व (Tax Revenues) एक बारगी आय के स्रोत (One-Time Income Sources) की तुलना में अधिक टिकाऊ स्रोत हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ की सिफारिशें

  • राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management-FRBM) अधिनियम, जो राजकोषीय घाटे को कम करने हेतु सरकारों के लिये लक्ष्य निर्धारित करता है, को केवल एक घटक पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिये।
    • इसके बजाय इस अधिनियम के अंतर्गत सभी संस्थाओं के समग्र प्रदर्शन पर व्यय गुणवत्ता, राजस्व प्राप्तियों की गुणवत्ता, और राजकोषीय समझदारी (Fiscal Prudence) के दृष्टिकोण से आकलन किया जाना चाहिये।

भारतीय उद्योग परिसंघ

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाहकार और परामर्श संबंधी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के बीच साझेदारी के लिये अनुकूल वातावरण बनाने का काम करता है।
  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों को नेतृत्व प्रदान करने वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है जो भारत की विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
  • वर्ष 1895 में स्थापित भारत के इस प्रमुख व्यापार संघ के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से SME और MNC सहित लगभग 9000 सदस्य हैं तथा लगभग 276 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उद्योग/निकायों के 300,000 से अधिक उद्यमों की अप्रत्यक्ष सदस्यता है।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड

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