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जैव विविधता और पर्यावरण

नदी प्रदूषण समाप्ति योजना

  • 05 Oct 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (National River Conservation Plan- NCRP) के माध्यम से विभिन्न नदियों के चिन्हित भागों में प्रदूषण समाप्त करने के राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता प्रदान करने हेतु पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में देविका तथा तवी नदियों के प्रदूषण को समाप्त करने के लिये एक परियोजना को स्वीकृति दे दी है।

परियोजना के तहत किये जाने वाले प्रमुख कार्य

  • परियोजना के अंतर्गत 129.27 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाई जाएगी जो उधमपुर शहर से गंदे जल की निकासी सुनिश्चित करेगी।
  • गंदे जल की निकासी के लिये 3 पंपिंग स्टेशन स्थापित किये जाएंगे और गंदे पानी की सफाई करने वाले तीन संयंत्र लगाए जाएंगे जिनकी दैनिक क्षमता 13.60 मिलियन लीटर होगी।
  • इस परियोजना के अंतर्गत गैर-सीवर कार्यों को भी कवर किया जाएगा तथा तीन घाटों पर रिवर फ्रंट विकसित किये जाएंगे जिनकी लंबाई लगभग 340 मीटर होगी। इसमें धार्मिक त्योहारों/ उत्सवों के अवसर पर भारी भीड़ वाला मेला घाट शामिल है।
  • शवदाह में लकड़ी की खपत कम करने के लिये दो उन्नत शवदाह गृह बनाए जाएंगे और राख निष्पादन की व्यवस्था की जाएगी।

परियोजना की अवधि

  • यह परियोजना मार्च, 2021 तक पूरी की जाएगी और इसे शहरी इंजीनियरिंग तथा पर्यावरण विभाग (Urban Engineering and Environment Department -UEED) द्वारा लागू किया जाएगा।

परियोजना से होने वाले लाभ

  • परियोजना पूरी होने से दोनों नदियों के प्रदूषण बोझ में कमी का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • शहर में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था होने और गंदे पानी की सफाई करने से उधमपुर शहर के सौंदर्य और स्वच्छता परिस्थितियों में सुधार होगा।

परियोजना के लिये स्वीकृत राशि

  • परियोजना हेतु कुल स्वीकृत राशि 186.74 करोड़ रुपए है और यह राशि 90:10 लागत आधार पर भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार वहन करेगी।
  • परियोजना में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 166.86 करोड़ रुपए की होगी और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 18.08 करोड़ रुपए होगी।

उधमपुर की नदियों में प्रदूषण का का कारण

  • उधमपुर की देविका और तवी नदियों में प्रदूषण का प्रमुख कारण इन नदियों में गंदे पानी का गिरना है।
  • उल्लेखनीय है कि उधमपुर में अभी तक न तो कोई सीवर प्रणाली है और न ही गंदे पानी के शोधन के लिये कोई संयंत्र है।
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