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सामाजिक न्याय

प्रजनन दर पर राज्य संस्कृति का प्रभाव

  • 12 Aug 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी प्रजनन दर से संबंधित आँकड़ों में सामने आया है कि उच्च शिक्षा के साथ कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) का संबंध काफी जटिल होता है और कई बार राज्य की संस्कृति प्रजनन दर को ज़्यादा प्रभावित करती है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह एक सामान्य धारणा है कि महिलाओं का शैक्षिक स्तर जितना अधिक होता है प्रजनन दर उतनी ही कम होती है।
  • अध्ययनकर्त्ताओं के अनुसार, किसी भी राज्य की संस्कृति का असर TFR पर भी देखने को मिलता है। उदाहरणस्‍वरूप तमिलनाडु की कम पढ़ी-लिखी महिलाओं के बीच कुल प्रजनन दर उत्तर प्रदेश की पढ़ी-लिखी महिलाओं के बीच प्रजनन दर से कम है।

कुल प्रजनन दर का आशय अपने जीवनकाल में एक महिला से पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या से होता है।

क्या TFR पर राज्य की संस्कृति का शिक्षा से अधिक प्रभाव है?

  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह पैटर्न उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों में ज़्यादा स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। हालाँकि प्रजनन दर पर वर्ष 2017 के आँकड़ों में यह पाया गया है कि कम प्रजनन दर वाले राज्यों में भी यह पैटर्न काफी प्रबल है।
  • उदाहरण के लिये बिहार, जो कि एक अधिक प्रजनन दर वाला राज्य है, में उन महिलाओं का TFR 4.4 था जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी जबकि इसके विपरीत अनपढ़ महिलाओं में यह संख्या मात्र 3.7 ही पाई गई। इसी प्रकार ओडिशा, जो कि कम प्रजनन दर वाला राज्य है, में अनपढ़ महिलाओं का TFR 2 था जबकि प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त महिलाओं में यह दर 3.6-3.5 के आस-पास थी।
  • यदि अखिल भारतीय स्तर की बात करें तो उन महिलाओं का TFR 3.1 था जिन्होंने प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त की थी, जबकि अनपढ़ महिलाओं का TFR 2.9 था। इसके अलावा अखिल भारतीय स्तर पर औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं में यह दर थोड़ी कम अर्थात् 2.4 ही पाई गई।
  • इस संदर्भ में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रभाव मात्र इसलिये दिखाई दे रहा है, क्योंकि देश में निरक्षरों की संख्या में गिरावट आ रही है और उनका सैंपल आकार काफी छोटा हो गया है। इस आधार पर वे लोग इस पैटर्न या प्रभाव को प्रवृत्ति मानने से इनकार करते हैं।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

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