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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बाघों के विचरण लिये पर्यावरण अनुकूल पुल

  • 19 Jul 2017
  • 2 min read

संदर्भ 
तेलंगाना में 72 किलोमीटर लंबे एक नहर के ऊपर अपनी तरह का पहला पर्यावरण के अनुकूल हरे-भरे पुलों का निर्माण किया जाएगा। इससे इस क्षेत्र के वनों में रहने वाले बाघों को विचरण करने में सुविधा होगी।  

प्रमुख बिंदु 

  • ये पुल महाराष्ट्र के चंद्रपुर ज़िले में तडोबा–अँधेरी बाघ आरक्षित तथा तेलंगाना के कुमरम भीम असीफाबाद ज़िले में बेज्जुर और दहेगाँव मंडल में प्राणहिता बैराज के दाहिनी ओर की नहर में बनेंगे।
  • इस संरचना के ऊपर घास और पौधों को विकसित करने के लिये उपजाऊ मिट्टी बिछाई  जाएगी, जिससे  कि वह वन क्षेत्र के ही हिस्से की तरह लगे। 
  • इस तरह की संरचना के निर्माण का विचार भारतीय वन्य जीव बोर्ड एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा उस इलाके के निरीक्षण के बाद आया, जो इस 72 किलोमीटर गलियारे के किनारे प्राचीन जंगलों के बड़े पैमाने पर विनाश के बारे में चिंतित थे।  
  • बेज्जुर के वन क्षेत्र में एक स्थान पर यह नहर एक किलोमीटर चौड़ी है और यहाँ वन्य  जीवों के आवागमन को बनाए रखना ज़रूरी है। तेलंगाना सिंचाई विभाग ने इन पर्यावरण अनुकूल पुलों के निर्माण के लिये अपनी सहमति दी है। 
  • राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से पुलों के आकार और स्थानों की सिफारिशों की प्रतीक्षा की जा रही है। 

वन्य जीव

  • वन और वन्य जीवों को संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। 
  • भारतीय वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में बनाया गया थ। यह अधिनियम वन्य जीवों एवं पौधों को संरक्षण प्रदान करता है। यह जम्मू और कश्मीर को छोड़कर, जिसका अपना ही वन्य जीव कानून है, पूरे भारत में लागू होता है।   
  • भारतीय वन्य जीव संस्थान की स्थापना 1982 में की गई थी। 
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