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प्रौद्योगिकी

JATAN: वर्चुअल म्यूज़ियम सॉफ्टवेयर

  • 23 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) विभाग के तहत पुरातात्विक स्थल संग्रहालयों को JATAN सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटलीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • JATAN एक सॉफ्टवेयर है, जो भारतीय संग्रहालयों के लिये डिजिटल संग्रह प्रबंधन प्रणाली (Digital Collection Management System) के निर्माण को सक्षम बनता है। यह पूरे देश भर के कई राष्ट्रीय संग्रहालयों में संचालित है।
  • इस सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य संग्रहालयों में संरक्षित सभी वस्तुओं की डिजिटल छाप तैयार करना और शोधकर्त्ताओं तथा इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले अन्य लोगों को सहायता प्रदान करना है।
  • यह सॉफ्टवेयर पुणे स्थित सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (Centre for Development of Advanced Computing-C-DAC) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
  • JATAN का उपयोग करके वस्तुओं और स्मारकों की जो डिजिटल छाप बनाई जाएगी उन्हें आसानी से लोगों तक पहुँचाने के लिये JATAN सॉफ्टवेयर को राष्ट्रीय डिजिटल कोष और पोर्टल (National Digital Repository and Portal) के साथ भी एकीकृत किया जाएगा।
  • C-DAC ने ‘दर्शक’ नामक एक मोबाइल आधारित एप्लिकेशन का भी निर्माण किया है जिसका उद्देश्य दिव्यांगजनों के मध्य संग्रहालय यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाना है।
    • यह संग्रहालय की यात्रा करने वाले आगंतुकों को वस्तु के पास रखे क्यू.आर. (QR) कोड को स्कैन करके वस्तुओं या कलाकृतियों के बारे में सभी विवरण एकत्र करने की अनुमति देता है।

सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग

(Centre for Development of Advanced Computing-C-DAC)

  • C-DAC सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का प्रमुख एक संगठन है।
  • भारत का पहला स्वदेशी सुपर कंप्यूटर, परम (PARAM) 8000 वर्ष 1991 में C-DAC द्वारा ही बनाया गया था।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण

(Archaeological Survey of India- ASI)

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण राष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्‍ट्रीय महत्व के प्राचीन स्‍मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्‍थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है।
  • इसके अतिरिक्‍त प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्त्वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार, यह देश में सभी पुरातत्त्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है।
  • यह पुरावशेष तथा बहुमूल्‍य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।
  • भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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