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भारतीय अर्थव्यवस्था

उद्यम और सेवा केंद्रों का विकास विधेयक

  • 06 Jul 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन, इक्वलाइज़ेशन लेवी, मिनिमम अल्टरनेट टैक्स, सनसेट क्लॉज़।

मेन्स के लिये:

उद्यम और सेवा केंद्रों का विकास विधेयक तथा इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

सरकार की योजना संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान उद्यम और सेवा केंद्रों के विकास (DESH) विधेयक को पेश करने की है।

 DESH विधेयक:

  • यह वर्ष 2005 के मौजूदा विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) कानून में बदलाव करेगा, जिसका उद्देश्य SEZ में रुचि को पुनर्जीवित करना और अधिक समावेशी आर्थिक केंद्रों को विकसित करना है।
  • SEZ को नया रूप दिया जाएगा और विकास केंद्रों के रूप में स्थापित किया जाएगा तथा ये उन कई कानूनों से मुक्त होंगे जो वर्तमान में उन्हें प्रतिबंधित करते हैं। ये हब घरेलू टैरिफ क्षेत्र एवं SEZ की दोहरी भूमिका निभाते हुए निर्यात-उन्मुख व घरेलू निवेश दोनों की सुविधा प्रदान करेंगे।
  • सरकार घरेलू बाज़ार में आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर समतुल्य लेवी (Equalisation Levy) लगा सकती है ताकि करों को बाहर की इकाइयों द्वारा प्रदान किये गए करों के बराबर लाया जा सके।

वर्तमान SEZ अधिनियम में परिवर्तन की आवश्यकता:

  • WTO की विवाद समाधान समिति ने निर्णय दिया है कि SEZ योजना सहित भारत की निर्यात-संबंधित योजनाएँ, WTO के नियमों के साथ असंगत थीं क्योंकि वे सीधे कर लाभ को निर्यात से जोड़ती थीं।
  • देशों को सीधे निर्यात सब्सिडी देने की अनुमति नहीं है क्योंकि यह बाज़ार की कीमतों को विकृत कर सकता है।
  • न्यूनतम वैकल्पिक कर की शुरुआत और कर छूट को हटाने के लिये एक सनसेट क्लॉज के  बाद SEZ में गिरावट शुरू हो गई।
    • SEZ इकाइयों को पहले पाँच र्षों के लिये निर्यात आय पर 100% आयकर छूट प्रदान की जाती है, फिर अगले पाँच वर्षों के लिये 50% आयकर छूट, और उसके बाद पाँच वर्षों के लिये 50% निर्यात लाभ मिलता है।

 DESH विधेयक का महत्त्व:

  • विकास केंद्र:
    • निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा इसका व्यापक उद्देश्य 'विकास केंद्रों' के माध्यम से घरेलू विनिर्माण और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना है।
    • इन केन्द्रों को SEZ शासन में अनिवार्य पाँच वर्षों में संचयी रूप से आयात से अधिक निर्यात और घरेलू क्षेत्र में अधिक आसानी से विक्रय की अनुमति प्रदान की जाएगी।
    • इसलिये हब विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप होंगे।
  • स्वीकृति के लिये ऑनलाइन पोर्टल:
    • DESH कानून हब की स्थापना और संचालन के लिये समयबद्ध अनुमोदन प्रदान करने हेतु एक ऑनलाइन सिंगल-विंडो पोर्टल प्रदान करता है।
  • घरेलू बाज़ार को प्रोत्साहन:
    • कंपनियांँ घरेलू बाज़ार में केवल अंतिम उत्पाद के बजाय आयातित इनपुट और कच्चे माल को भुगतान किये जाने वाले शुल्क के साथ बेच सकती हैं।
      • मौजूदा SEZ व्यवस्था में जब कोई उत्पाद घरेलू बाज़ार में बेचा जाता है तो अंतिम उत्पाद पर शुल्क का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा SEZ के मामले में विदेशी मुद्रा में किसी अनिवार्य भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है।
  • राज्यों की बड़ी भूमिका:
    • हब के कामकाज की निगरानी के लिये राज्य बोर्ड स्थापित किये जाएंगे। उनके पास माल के आयात या खरीद को मंज़ूरी देने और विकास केंद्र में वस्तुओं या सेवाओं, गोदामों व व्यापार के विकास की निगरानी करने की शक्ति होगी।
      • SEZ शासन में केंद्र के वाणिज्य विभाग द्वारा अधिकांश निर्णय लिये गए थे। अब राज्य भी भाग ले सकेंगे और यहाँ तक कि विकास केंद्रों हेतु सीधे अनुमोदन के लिये केंद्रीय बोर्ड को सिफारिशें भेज सकेंगे।

स्रोत: मिंट

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