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सेराडो में वनों की कटाई: ब्राज़ील

  • 05 Jan 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वनों की कटाई, इसके कारण और प्रभाव, सवाना, विभिन्न घास के मैदान।

मैन्स के लिये:

वनों की कटाई, इसके कारण और प्रभाव, सवाना, इसका वितरण और पर्यावरण।

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2021 में वनों की कटाई ब्राज़ील के सेराडो में वर्ष 2015 के बाद से उच्चतम स्तर तक पहुँच गई है, जिससे वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे अधिक प्रजाति-समृद्ध सवाना की स्थिति पर आवाज़ उठाई है।

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प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • सेराडो ब्राज़ील के कई राज्यों में फैला हुआ है और दुनिया के सबसे बड़े सवाना में से एक है, जिसे अक्सर "डाउन साइड फ़ॉरेस्ट" कहा जाता है क्योंकि इसके पौधे की गहरी जड़ें सूखे और आग से बचने के लिये जमीन में डूबी रहती हैं।
    • सेराडो एक प्रमुख कार्बन सिंक है जो जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करता है।
  • सेराडो का विनाश:
    • सेराडो में इन पेड़ों, घासों और अन्य पौधों का विनाश ब्राज़ील के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है, हालाँकि यह अधिक प्रसिद्ध अमेज़न वर्षावन की तुलना में बहुत कम घना जंगल है जो इसकी सीमा से लगा हुआ है।
      • जुलाई 2021 से अब तक 12 महीनों में सेराडो में वनों की कटाई और देशी वनस्पतियों की निकासी 8% से बढ़कर 8,531 वर्ग किलोमीटर की हो गई है।
    • वैज्ञानिकों ने अपनी विकास समर्थक बयानबाज़ी के साथ वनों की कटाई को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण प्रवर्तन की स्थिति के लिये सरकार को दोषी ठहराया है।

वनों की कटाई

  • परिचय:
    • वनों की कटाई जंगल के अलावा किसी क्षेत्र में निर्माण कार्य  हेतु पेड़ों को स्थायी रूप से हटाना है। इसमें कृषि या चराई, ईंधन, निर्माण आदि के लिये भूमि को साफ करना शामिल हो सकता है।
    • आज सबसे अधिक वनों की कटाई उष्णकटिबंध क्षेत्र में हो रही है, जो क्षेत्र पहले दुर्गम थे वे अब पहुँच के भीतर हैं क्योंकि घने जंगलों में नई सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
      • मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की वर्ष 2017 की एक रिपोर्ट से पता चला है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र ने वर्ष 2017 में लगभग 1,58,000 वर्ग किलोमीटर जंगल खो दिये है जो लगभग बांग्लादेश के आकार के थे।
  • प्रभाव:
    • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वनों की कटाई भी कैनोपी के ऊपर जल वाष्प के उत्पादन के तरीके को प्रभावित कर सकती है, जिससे कम वर्षा होती है।
    • वनों की कटाई न केवल उन वनस्पतियों को समाप्त करती है जो हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि निर्वनीकरण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का उत्पादन भी करता है।
    • यह जैव विविधता और पशु जीवन को भी नुकसान पहुँचा रहा है।

सवाना 

  • परिचय
    • सवाना एक वनस्पति प्रकार है, जो गर्म और शुष्क जलवायु परिस्थितियों में पाई जाती है तथा इसमें कैनोपी (यानी बिखरे हुए वृक्ष) एवं ज़मीन पर लंबी घास की विशेषता मौजूद होती है।
    • सवाना के सबसे बड़े क्षेत्र अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, म्याँँमार (बर्मा), थाईलैंड के एशियाई क्षेत्र और मेडागास्कर में पाए जाते हैं।

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  • सवाना का पर्यावरण:
    • सामान्य तौर पर, सवाना भूमध्य रेखा से 8° से 20° अक्षांशों के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगती हैं।
    • सभी मौसमों में स्थितियाँ गर्म होती हैं, लेकिन हर वर्ष केवल कुछ महीनों के लिये वर्षा होती है - दक्षिणी गोलार्द्ध में अक्तूबर से मार्च तक और उत्तरी गोलार्द्ध में अप्रैल से सितंबर तक।
    • औसत वार्षिक वर्षा आमतौर पर 80 से 150 सेंटीमीटर होती है, हालाँकि कुछ केंद्रीय महाद्वीपीय स्थानों में यह 50 सेंटीमीटर जितनी कम हो सकती है।
    • शुष्क मौसम आमतौर पर बारिश के मौसम की तुलना में लंबा होता है, यह अलग-अलग क्षेत्रों में 2 से 11 महीनों तक हो होता है। शुष्क मौसम में औसत मासिक तापमान लगभग 10 से 20 डिग्री सेल्सियस और बारिश के मौसम में 20 से 30 डिग्री सेल्सियस होता है।
  • सवाना के उप-विभाजन:
    • शुष्क मौसम की लंबी अवधि के आधार पर सवाना को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है- आर्द्र, सूखा और कांँटेदार झाड़ी। आर्द्र सवाना में शुष्क मौसम आमतौर पर 3 से 5 महीने तक रहता है, शुष्क सवाना में 5 से 7 महीने और कांँटेदार सवाना में यह और भी लंबा होता है।
    • एक वैकल्पिक उपविभाजन को सवाना वुडलैंड के रूप में जाना जाता है, जिसमें पेड़ और झाड़ियाँ एक हल्की छतरी बनाती हैं। 
    • कई उप-विभाजनों के बावजूद सभी सवाना कई विशिष्ट संरचनात्मक और कार्यात्मक विशेषताओं को साझा करते हैं।
      • आमतौर पर उन्हें उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय वनस्पति प्रकारों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनमें निरंतर घास का आवरण होता है तथा जो कभी-कभी पेड़ों और झाड़ियों से युक्त होता है ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहांँ झाड़ियों में आग लगने की बारंबारता होती है और जहांँ मुख्य विकास पैटर्न बारी-बारी से मौसम से आपस में जुड़े होते हैं।
      • सवाना को भूमध्यरेखीय क्षेत्रों के वर्षावनों और उच्च उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के रेगिस्तानों के बीच भौगोलिक तथा पर्यावरणीय संक्रमण क्षेत्र माना जा सकता है।
  • वनस्पति:
    • सवाना में उगने वाली घास और पेड़ कम जल और गर्म तापमान के साथ जीवन के अनुकूल हो गए हैं।
    • उदाहरण के लिये, जब पानी प्रचुर मात्रा में होता है तो घास इस आर्द्र मौसम में तेज़ी से बढ़ती है।
    • कुछ पेड़ अपनी जड़ों में पानी जमा करते हैं और केवल आर्द्र मौसम में ही पत्तियों का सृजन करते हैं।
  • जीव-जंतु:
    • यह हाथी, जिराफ, जेब्रा, गैंडा आदि सहित कई बड़े भूमि स्तनधारियों का घर है। अन्य जानवरों में बबून, मगरमच्छ, मृग आदि शामिल हैं।
    • सवाना बायोम के कई जानवर शाकाहारी होते हैं जो कई क्षेत्रों से इस क्षेत्र में पलायन करते हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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