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भारतीय अर्थव्यवस्था

रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना

  • 18 Aug 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रक्षा औद्योगिक गलियारे, कंपनी अधिनियम 2013, 

मेन्स के लिये:  

रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना के प्रमुख प्रावधान एवं उद्देश्य 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा यह घोषणा की गई है कि वह जल्द ही निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में देश में आठ रक्षा परीक्षण सुविधाओं की स्थापना हेतु अनुरोध प्रस्ताव (Requests For Proposal-RFPs) जारी करेगा।

  • ये RFPs रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (Defence Testing Infrastructure Scheme- DTIS) के तहत जारी किये जाएंगे।
  • RFP एक व्यावसायिक दस्तावेज़ है जिसके तहत किसी परियोजना की घोषणा, उसका वर्णन करने के साथ ही इसे पूरा करने के लिये बोली/नीलामी हेतु निविदाएंँ आमंत्रित की जाती हैं।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • मेक इन इंडिया के तहत भारत ने देश में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता को कम करने हेतु विनिर्माण आधार के विकास को उच्च प्राथमिकता दी है।
  • इसके लिये उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे (Defence Industrial Corridors- DICs) स्थापित करने की घोषणा की गई है।
  • नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने और भारतीय उद्योग को एयरोस्पेस तथा रक्षा क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये संशोधित मेक- II प्रक्रियाएँ, रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX) और रक्षा निवेशक सेल की स्थापना जैसी कई पहलें की गई हैं। 
    • इस क्षेत्र में निवेश के अवसरों, प्रक्रियाओं और नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रश्नों को संबोधित करने सहित सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिये रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ की स्थापना की गई थी।

DTIS के बारे में:

  • यह योजना 8 मई, 2020 को शुरू की गई थी और इसकी अवधि पांँच वर्ष तक होगी।
  • इसमें 6-8 ग्रीनफील्ड रक्षा परीक्षण अवसंरचना सुविधाओं की स्थापना की परिकल्पना की गई है जो रक्षा और एयरोस्पेस से संबंधित उत्पादन के लिये आवश्यक हैं।
  • इसमें निजी उद्योग के साथ साझेदारी में परीक्षण सुविधाएंँ स्थापित करने की भी परिकल्पना की गई है।

उद्देश्य:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSMEs) और स्टार्टअप की भागीदारी पर विशेष ध्यान देने के साथ ही स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना, देश में रक्षा परीक्षण बुनियादी ढांँचे के अंतराल को कम करना।
  • आसान पहुंँच प्रदान करना और घरेलू रक्षा उद्योग की परीक्षण आवश्यकताओं को पूरा करना।
  • स्वदेशी रक्षा उत्पादन को सुगम बनाना, फलस्वरूप सैन्य उपकरणों के आयात को कम करना और देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना।

वित्त और सहयोग:

  • इस योजना की पांँच वर्ष की अवधि में अत्याधुनिक परीक्षण और बुनियादी ढांँचे के निर्माण हेतु 400 करोड़ रुपए का परिव्यय निर्धारित किया गया है।
  • योजना के तहत परियोजनाओं को 'अनुदान-सहायता' के रूप में 75 प्रतिशत तक सरकारी वित्तपोषण प्रदान किया जाएगा।
  •  परियोजना लागत का शेष 25 प्रतिशत स्पेशल प्रोपज़ल व्हीकल (SPVs) घटकों द्वारा वहन किया जाएगा, जिनमें भारतीय निजी संस्थाएंँ और राज्य सरकारें शामिल होंगी। 
    • केवल भारत में पंजीकृत निजी संस्थाएंँ और राज्य सरकार की एजेंसियांँ ही योजना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी का निर्माण करने की हकदार  होंगी।
    • योजना के तहत SPVs को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत किया जाएगा।

स्रोत: पीआईबी 

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