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डार्कथॉन-2022

  • 17 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डार्कनेट, डार्कथॉन।

मेन्स के लिये:

डार्कनेट और इससे संबंधित चिंताएंँ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau- NCB) ने साइबर विशेषज्ञों के लिये डार्क वेब में गुमनाम बाजारों की पहचान को उजागर करने के लिये प्रभावी समाधान खोजने हेतु एक 'डार्कथॉन' लॉन्च किया है।

  • भारत में ड्रग कानून प्रवर्तन के मामले में नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत NCB ने हाल के दिनों में महत्त्वपूर्ण मामलों में सफलता प्राप्त की है। 

प्रमुख बिंदु 

डार्कथॉन-2022:

  • डार्कथॉन-2022 में प्रतिभागियों को ‘डार्कवेब क्रॉलिंग’ के आधार पर सक्रिय नशीली दवा तस्करों तथा उनसे  संबंधित नए बाज़ारों की पहचान करने एवं इनऐक्टिव लोगों को रिहा करने तथा डिजिटल फुटप्रिंटिंग पर दवाओं की बिक्री करने वाले डार्कनेट बाज़ारों की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध करने के लिये एक "समाधान" प्रदान करना होगा। 
  • महामारी के प्रकोप के बाद भारत में पार्सल या कूरियर के माध्यम से नशीली दवाओं की बरामदगी में लगभग 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनमें से एक बड़ी संख्या डार्कनेट बाज़ारों के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़ी हुई है।

डार्कनेट और चिंताएँ:

  • परिचय: इंटरनेट में तीन लेयर होती हैं:
    • पहली लेयर सार्वजनिक होती है, जिसमें ऐसी साइट्स शामिल हैं जिनका प्रायः उपयोग किया जाता है जैसे कि फेसबुक, ट्विटर, अमेज़न और लिंक्डइन। यह लेयर पूरे इंटरनेट का केवल 4% भाग है।
    • दूसरी लेयर, डीप वेब एक ऐसा नेटवर्क है, जहाँ डेटा को अप्राप्य डेटाबेस में संग्रहीत किया जाता है (अर्थात् इन तक गूगल जैसे पारंपरिक सर्च इंजनों के माध्यम से नहीं पहुँचा जा सकता)। इसका उपयोग लोगों के एक विशिष्ट समूह तक पहुँच स्थापित करने के लिये किया जाता है।
      • यह डेटा आमतौर पर संवेदनशील और निजी होता है (सरकारी निजी डेटा, बैंक डेटा, क्लाउड डेटा इत्यादि), इसलिये इसे पहुँच से बाहर रखा जाता है।
    • इंटरनेट की तीसरी लेयर ‘डार्कनेट’ होती है जिसे 'डीप वेब' के एक भाग के रूप में भी जाना जाता है। यह इंटरनेट पर निर्मित एक नेटवर्क है जो प्रायः एन्क्रिप्टेड होता है।
      • यह मूल रूप से इंटरनेट की एक ऐसी परत है जिसे केवल TOR (द ओनियन राउटर), या ‘I2P’ (इनविज़िबल इंटरनेट प्रोजेक्ट) जैसे विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके ही चलाया जा सकता है।
      • डार्क वेब पर मौजूद कुछ भी सामान्य इंटरनेट खोज में शामिल नहीं होता है, जिससे काफी अधिक एनॉनिमिटी की स्थिति बनी रहती है।
  • डार्कनेट से संबंधित चिंताएँ:
    • फरवरी 2016 में 'क्रिप्टोपॉलिटिक एंड द डार्कनेट' नामक एक अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने TOR नेटवर्क पर मौजूद कंटेंट का विश्लेषण किया।
      • 2,723 वेबसाइट्स  को उनके कंटेंट के आधार पर वर्गीकृत किया गया, जिसमें से 1,547 यानी 57% वेबसाइट्स पर ड्रग्स (423 साइट्स), अश्लील साहित्य (122) और हैकिंग (96) से लेकर अन्य अवैध सामग्री मौजूद थी।
    • नेटफ्लिक्स जैसी स्ट्रीमिंग साइट्स के लॉग-इन विवरण को डार्क वेब मार्केटप्लेस पर सस्ते दरों पर बेचे जाने की भी रिपोर्ट है।
    • नेटवर्क का उपयोग कई कार्यकर्त्ताओं द्वारा विशेष रूप से दमनकारी शासन के तहत रहने वाले लोगों द्वारा बिना किसी सरकारी सेंसरशिप के संवाद करने हेतु किया जाता है।
    • टीओआर (TOR) नेटवर्क का उपयोग कार्यकर्त्ताओं द्वारा अरब स्प्रिंग के दौरान किया गया था।
  • डार्कनेट और भारत:
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 साइबर अपराध से संबंधित है तथा यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। साइबर अपराध से निपटने के लिये कानून में केवल छह धाराएँ हैं।
    • बदलते समय के साथ भारत को साइबर अपराध से निपटने के लिये एक आपराधिक प्रक्रिया संहिता की आवश्यकता है जो कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत होगी तथा जो पुलिसिंग के मुद्दों से संबंधित है।
    • साथ ही साइबर प्रवृत्तियों में बदलाव हेतु प्रशिक्षित पुलिस की आवश्यकता है जो केवल साइबर अपराध के लिये समर्पित हो अर्थात् अन्य पुलिस इकाइयों में स्थानांतरित न हो।

स्रोत: इकॉनमिक टाइम्स

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