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भारतीय अर्थव्यवस्था

बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना: चरण II

  • 09 Aug 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये

बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना: चरण- I, चरण- II, चरण- III

मेन्स के लिये

चरण- II की प्रमुख विशेषता और इसका महत्त्व, बाँध सुरक्षा और पुनर्वास संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने ‘बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना’ के दूसरे चरण के लिये विश्व बैंक (WB) के साथ 250 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु

चरण-I

  • भारत सरकार ने विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से अप्रैल 2012 में ‘बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना’ की शुरुआत की थी।
  • इसका उद्देश्य पूरे देश के कुछ चयनित बाँधों की सुरक्षा और परिचालन में सुधार तथा व्यापक प्रणाली प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ संस्थागत सुदृढ़ीकरण करना है।
  • यह राज्य क्षेत्रक योजना थी, जिसमें एक केंद्रीय घटक भी शामिल था। इसमें 10 कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ सात राज्यों (झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड) में स्थित 223 बाँधों के पुनर्वास का प्रावधान किया गया था।
  • केंद्रीय जल आयोग(CWC) को समग्र समन्वय और पर्यवेक्षण का कार्य सौंपा गया है।
  • सभी बाँधों के लिये महत्त्वपूर्ण डेटा प्राप्त करने और पुनर्वास प्रोटोकॉल की उचित निगरानी एवं विकास के लिये ‘बाँध स्वास्थ्य एवं पुनर्वास निगरानी एप्लीकेशन’ (धर्म) नामक एक वेब-आधारित उपकरण विकसित किया गया है।
    • यह मौजूदा जल संपत्तियों का स्मार्ट प्रबंधन करने के लिये बाँध सुरक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अनुप्रयोग की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • इस योजना को मार्च 2021 में बंद कर दिया गया था।

चरण-II और चरण-III

  • ‘बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना’ के पहले चरण की सफलता के आधार पर जल शक्ति मंत्रालय ने बाह्य रूप से वित्तपोषित योजना के चरण-II और चरण-III की शुरुआत की है।
    • इस योजना को अक्तूबर 2020 में मंज़ूरी दी गई थी।
  • इसमें 19 राज्यों और 3 केंद्रीय एजेंसियों की भागीदारी है। यह योजना 10 वर्ष की अवधि की है और दो चरणों में लागू की जाएगी, प्रत्येक छह साल की अवधि में, जिसमें दो वर्ष की ओवरलैप अवधि भी शामिल है।
  • 736 बाँधों के पुनर्वास प्रावधान के साथ बजट परिव्यय तकरीबन 10,211 करोड़ रुपए (चरण-II: 5107 करोड़ रुपए; चरण III: 5104 करोड़ रुपए) है।

    ड्रिप फेज-2:

    • वित्तपोषण ढाँचा/पैटर्न:
      • योजना के दूसरे चरण को दो बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेंसियों - विश्व बैंक और  एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) द्वारा सह-वित्तपोषित किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक द्वारा 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण किया जा रहा है।
      • योजना के वित्तपोषण पैटर्न में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 80:20 (विशेष श्रेणी के राज्य), 70:30 (सामान्य श्रेणी के राज्य) और 50:50 (केंद्रीय एजेंसियाँ) है।
    • उद्देश्य:
      • चयनित मौजूदा बाँधों और संबद्ध उपकरणों की सुरक्षा व प्रदर्शन में स्थायी रूप से सुधार करना।
      • भाग लेने वाले राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय स्तर पर बाँध सुरक्षा संस्थागत व्यवस्था को मज़बूत करना।
      • बाँधों के सतत् संचालन और रखरखाव हेतु आकस्मिक राजस्व उत्पन्न करने के लिये  कुछ चुनिंदा बाँधों पर वैकल्पिक साधनों का पता लगाना।
    • अन्य विशेषताएंँ:
      • यह नई योजना सुरक्षा एवं परिचालन निष्पादन में सुधार, विभिन्न उपायों के माध्यम से संस्थागत सुदृढ़ीकरण, बाँधों के चिरस्थायी संचालन एवं रखरखाव के लिये आकस्मिक राजस्व की व्यवस्था आदि विभिन्न समस्याओं का समाधान कर चयनित बाँधों का भौतिक पुनर्वास करते हुए भारत सरकार द्वारा अपनाई गई बाँध सुरक्षा पहल को मज़बूती प्रदान करेगी। 
      • यह बाँध परिसंपत्ति प्रबंधन हेतु एक जोखिम-आधारित दृष्टिकोण पेश करेगा जो प्राथमिकता वाली बाँध सुरक्षा ज़रूरतों के लिये वित्तीय संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने में मदद करेगा।
      • ड्रिप-2 द्वारा समर्थित अन्य महत्त्वपूर्ण उपायों में शामिल हैं:
        • बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली और एकीकृत जलाशय संचालन जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होंगे। 
        • बंधों के नीचे रहने वाले समुदायों को जलवायु परिवर्तन के संभावित जोखिमों और जलवायु परिवर्तन के प्रति तैयार करने हेतु आपातकालीन कार्य योजनाओं का कार्यान्वयन करना। 
        • फ्लोटिंग सोलर पैनल जैसी पूरक राजस्व सृजन योजनाओं का संचालन।
    • कार्यान्वयन:
      •  इसे छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में तथा केंद्रीय जल आयोग के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 120 बाँधों में लागू किया जाएगा।

    महत्त्व:

    • देश में बाँधों की संख्या:
      • भारत 5334 बड़े बांधों के संचालन के साथ चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा वर्तमान में देश में लगभग 411 बाँध निर्माणाधीन हैं। कई हजार और भी छोटे बाँध हैं।
      • ये बाँध देश की जल सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु महत्त्वपूर्ण  हैं। भारतीय बाँध और जलाशय सालाना लगभग 300 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी का भंडारण करके देश के आर्थिक और कृषि विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने में मिलेगी मदद:
      • यह सिंचित कृषि पर निर्भर लाखों भारतीयों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखते हुए तथा किसानों को भूजल आधारित कृषि से बाहर निकलने में सक्षम बनाएगा, जिससे ऊर्जा की खपत व ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
    • बाढ़ शमन:
      • भारत में बाढ़ की औसत वार्षिक लागत 7.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, कई बाँध बाढ़ को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी विफलता निचले इलाकों में रहने वाले समुदायों के लिये गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है।
    • बाँधों का पुराना होना:
      • संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की रिपोर्ट "एजिंग वॉटर इन्फ्रास्ट्रक्चर: एन इमर्जिंग ग्लोबल रिस्क" के अनुसार, भारत में 1,000 से अधिक बड़े बाँध वर्ष 2025 में लगभग 50 वर्ष पुराने हो जाएंगे और दुनिया भर में इस तरह के पुराने तटबंध बढ़ते खतरे का कारण बनते हैं।
      • यह योजना विशेष रूप से बाँधों के जोखिम को कम करने और लोगों की सुरक्षा, नदी पारिस्थितिकी तथा चयनित बाँधों पर स्थित संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
    • देश में बाँध सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ाना:
      • यह भारतीय बाँध मालिकों को प्रस्तावित बाँध सुरक्षा कानून में परिकल्पित कई महत्त्वपूर्ण गतिविधियों को व्यापक रूप से संभालने के लिये अपने मानव संसाधनों को तैयार करने हेतु सक्षम बनाएगा।
    • रोज़गार सृजन:
      • इससे अकुशल श्रमिकों के लिये लगभग 10,00,000 व्यक्ति दिवस और कामकाजी पेशेवरों के लिये 2,50,000 व्यक्ति दिवसों के बराबर रोज़गार के अवसर पैदा होने की संभावना है।

    बाँध सुरक्षा कानून

    • बाँध सुरक्षा विधेयक, 2019 देश भर में निर्दिष्ट बाँधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिये एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने का प्रयास करता है।
    • विशेषताएँ:
      • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति का गठन किया जाएगा और इसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल आयोग का  अध्यक्ष करेगा।
      • विधेयक में एक राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है, जिसकी अध्यक्षता केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किये जाने वाले अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी।
      • प्रस्तावित कानून में एक राज्य बाँध सुरक्षा संगठन के गठन की भी परिकल्पना की गई है, जिसका कार्य सतत् निगरानी, निरीक्षण, बाँधों का संचालन और रखरखाव की निगरानी करना, सभी बाँधों का डेटाबेस रखना एवं बाँधों के मालिकों को सुरक्षा उपायों की सिफारिश करना होगा।
      • विधेयक दो प्रकार के अपराधों का प्रावधान करता है - किसी व्यक्ति को उसके कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना और प्रस्तावित कानून के तहत जारी निर्देशों का पालन करने से इनकार करना।

    स्रोत-पी.आई.बी.

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