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भारतीय अर्थव्यवस्था

कोर अवसंरचना क्षेत्र में 9.6 की गिरावट

  • 02 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्रय प्रबंधक सूचकांक, आठ कोर उद्योग, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

मेन्स के लिये:

कोर अवसंरचना क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

जुलाई 2020 में आठ कोर अवसंरचना क्षेत्रों के आउटपुट में 9.6% की गिरावट देखी गई है। यह संकुचन पिछले पाँच महीनों से जारी है।

प्रमुख बिंदु:

  • विगत वर्ष जुलाई माह में आठ कोर क्षेत्र के उत्पादन में 2.6% की वृद्धि देखी गई थी।
  • जुलाई 2020 में, उर्वरक क्षेत्र के अलावा सभी सात कोर क्षेत्रों- कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात, सीमेंट और विद्युत, में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
  • स्टील के उत्पादन में सबसे ज्यादा (16.5%) गिरावट देखी गई। इसके बाद रिफाइनरी उत्पादों (13.9%) में गिरावट देखी गई है।
  • न्यूनतम गिरावट (2.3%) विद्युत क्षेत्र में देखी गई है।

Core-Industries

क्रय प्रबंधक सूचकांक पर विनिर्माण का प्रदर्शन:

  • ‘क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (Purchasing Managers’ Index- PMI) अगस्त माह में पिछले महीने की तुलना में 46 अंक से बढ़कर 52 हो गया है। जो लगातार चार महीनों के संकुचन के बाद विनिर्माण क्षेत्र में परिचालन स्थितियों में सुधार का संकेत है।
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अप्रैल 2020 से पूर्व, पिछले 32 महीनों से विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी।
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के 'क्रय प्रबंधक सूचकांक' में सकारात्मक संकेतों के बावज़ूद इस क्षेत्र में 'नौकरियों की छंटनी' जारी है।

क्रय प्रबंधक सूचकांक

(Purchasing Managers’ Index- PMI):

  • PMI को ‘आपूर्ति प्रबंधन संस्थान’ (Institute for Supply Management- ISM) द्वारा मासिक रूप से संकलित और जारी किया जाता है। 
    • ISM, विश्व का सबसे पुराना और सबसे बड़ा आपूर्ति प्रबंधन संघ है।
  • 'क्रय प्रबंधक सूचकांक' (PMI) व्यावसायिक गतिविधियों का एक संकेतक है, जिसमें विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों दोनों शामिल हैं।
  • यह एक सर्वेक्षण-आधारित प्रणाली है, जिसमें उत्तरदाताओं (Respondents) से कुछ प्रमुख व्यावसायिक क्रियाओं के प्रति उनकी धारणा में आए बदलाव (Changes in Their Perception) के बारे में पूछा जाता है।
  • PMI की गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिये अलग-अलग की जाती है, उसके बाद एक समग्र सूचकांक का निर्माण किया जाता है।

PMI का महत्त्व:

  • PMI को आमतौर पर महीने की शुरुआत में जारी कर दिया जाता है। यह IIP द्वारा जारी मासिक आँकड़ों से पहले उपलब्ध कर दिया जाता है, इसलिये इसे आर्थिक गतिविधि का एक अच्छा संकेतक माना जाता है।
  • PMI को 0 से 100 तक के सूचकांक पर मापा जाता है। 50 से ऊपर का आँकड़ा व्यावसायिक गतिविधि में विस्तार या विकास को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का आँकड़ा संकुचन (गिरावट) को प्रदर्शित करता है।

अवसंरचना संकुचन के कारण:

  • अवसंरचना क्षेत्र में संकुचन का कारण मुख्यत: स्टील, रिफाइनरी उत्पाद, और सीमेंट के उत्पादन में गिरावट का होना है।
  • COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक और घरेलू आपूर्ति श्रंखलाओं में उत्पन्न व्यवधानों  से आर्थिक संसाधनों की गतिशीलता में बाधा लगातार बनी हुई है। 
  • जुलाई माह में ईंधन के उच्च मूल्य, देश के कुछ हिस्सों में नए सिरे से लॉकडाउन को लगाने, और तेज़ मानसून के कारण परिवहन, औद्योगिक और निर्माण की गतिविधियाँ प्रभावित हुई है, जिसके कारण स्थानीय मांग में कमी देखी गई है।

आठ कोर उद्योग:

  • आठ कोर क्षेत्र के उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और विद्युत शामिल हैं।
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक ( Index of Industrial Production-IIP) में आठ कोर उद्योगों का योगदान 40.27 प्रतिशत है।
  • आठ प्रमुख उद्योगों का उनके भार का घटता क्रम: रिफाइनरी उत्पाद> विद्युत> इस्पात> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।

उद्योग 

भार (प्रतिशत में)

पेट्रोलियम और रिफाइनरी उत्पादन 

28.04

विद्युत उत्पादन

19.85 

इस्पात उत्पादन

17.92

कोयला उत्पादन

10.33 

कच्चा तेल उत्पादन

8.98

प्राकृतिक गैस उत्पादन 

6.88 

सीमेंट उत्पादन 

5.37

उर्वरक उत्पादन

2.63


औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

(Index of Industrial Production-IIP):

  • 'औद्योगिक उत्पादन सूचकांक' अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों में एक निश्चित समय अवधि में विकास दर को प्रदर्शित करता है।
  • इसका संकलन तथा प्रकाशन मासिक आधार पर 'राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय', 'सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय' द्वारा किया जाता है।
  • IIP एक समग्र संकेतक है जो वर्गीकृत किये गए उद्योग समूहों की वृद्धि दर को मापता है जिनमें शामिल है: 
    • व्यापक क्षेत्र (Broad sectors)- खनन, विनिर्माण और विद्युत। 
    • उपयोग आधारित क्षेत्र (Use-based Sectors)- मूलभूत वस्तुएँ, पूँजीगत वस्तुएँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ।
  • IIP के आकलन के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का महत्व: 

  • इसका उपयोग नीति-निर्माण के लिये  वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक सहित अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है। 
  • IIP, त्रैमासिक और अग्रिम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमानों की गणना के लिये अत्यंत प्रासंगिक बना हुआ है।

स्रोत: द हिंदू

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