इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

भारत में जंगली जानवरों के स्थानांतरण/आयात की निगरानी हेतु समिति

  • 14 Mar 2023
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पैंगोलिन, इंडियन स्टार टर्टल, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972।

मेन्स के लिये:

भारत में वन्यजीवों से संबंधित मुद्दे।  

चर्चा में क्यों?  

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक वर्मा के नेतृत्त्व वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अधिकार क्षेत्र और शक्तियों का विस्तार किया है, जो भारत में जंगली जानवरों के आयात, हस्तांतरण, खरीद, बचाव और पुनर्वास पर आवश्यक जांँच करेगी, जिसमें कैद में रखे गए जानवर भी शामिल हैं।

  • समिति की शक्तियाँ पहले केवल त्रिपुरा और गुजरात तक ही सीमित थीं, किंतु अब इसका विस्तार पूरे भारत में कर दिया गया है।

समिति के अधिकार क्षेत्र में प्रमुख परिवर्तन: 

  • राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन भी समिति का हिस्सा होंगे और यह इस मुद्दे पर वर्तमान और भविष्य की सभी शिकायतों को संभालेगा। 
  • समिति पूरे भारत में बचाव केंद्रों या चिड़ियाघरों द्वारा जंगली जानवरों के कल्याण के बारे में अनुमोदन, विवाद या शिकायत के अनुरोधों पर भी विचार कर सकती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य के अधिकारियों को जंगली जानवरों की जब्ती या कैद जंगली जानवरों को छोड़े जाने की रिपोर्ट समिति को देने का आदेश दिया है।

भारत में बंदी जंगली जानवरों से संबंधित प्रमुख मुद्दे:  

  • पर्याप्त सुविधाओं का अभाव: भारत में कई चिड़ियाघर और बचाव केंद्र बंदी जानवरों की उचित देखभाल प्रदान करने हेतु आवश्यक सुविधाओं और संसाधनों के आभाव का सामना कर रहें हैं।
    • खाद्य विषाक्तता के अलावा पशु-मानव संघर्ष और हेपेटाइटिस, टिक बुखार (Tick Fever) आदि जैसी बीमारियों हेतु पशु चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण चिड़ियाघर के जानवर भी पीड़ित हैं।
      • कैग ऑडिट रिपोर्ट 2020 के अनुसार बंगलुरु और अन्य राज्य चिड़ियाघरों में पशु स्वास्थ्य देखभाल में स्पष्ट अंतराल देखा जा सकता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अकेले दिल्ली चिड़ियाघर ने बाघों और शेरों सहित लगभग 450 जानवरों को खो दिया है।
  • अवैध व्यापार: भारत में जंगली जानवरों का बड़ा अवैध व्यापार है, जिसमें कई जानवरों को पकड़ा जाता है और उनके फर, त्वचा, या पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग हेतु बेचा जाता है। 
    • इससे कई प्रजातियों में कमी आई है और माना जाता है कि कई बंदी जानवरों को अवैध रूप से अधिग्रहित किया गया है।
    • उदाहरण: पैंगोलिन और इंडियन स्टार टर्टल का भारत में अवैध रूप से उनके मांँस, त्वचा या पालतू जानवरों के रूप में व्यापार किया जाता है, जिससे उनकी आबादी में गिरावट आई है।
  • अपर्याप्त पुनर्वास: कई बचाए गए जानवरों को वापस जंगल में छोड़े जाने से पहले ठीक से पुनर्वास नहीं किया जाता है। इससे उनके अस्तित्त्व और उनके प्राकृतिक आवास के अनुकूलन में समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

आगे की राह  

  • बेहतर विनियमन: 1972 का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण विनियमन है। हालाँकि, बदलती परिस्थितियों के साथ बने रहने के लिये इस कानून को मज़बूत और अद्यतन करने की आवश्यकता है।
  • प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा: वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना उनके अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण है। इसमें वनों की कटाई, अवैध शिकार और उनके प्राकृतिक आवासों के लिये अन्य खतरों को रोकने के प्रयास शामिल हैं।
  • बहुक्षेत्रीय सहयोग: भारत में बंदी वन्य जीवों के कल्याण में सुधार के लिये सरकारी एजेंसियों, गैर- सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग महत्त्वपूर्ण है।  
    • एक साथ काम करके, वे इन वन्य जीवों के सामने आने वाली समस्याओं के प्रभावी समाधानों की पहचान कर सकते हैं और उन्हें कार्यान्वित कर सकते हैं।

 स्रोत : द हिंदू  

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2