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तटीय आर्द्रभूमि पर CMFRI-ISRO समझौता

  • 13 Apr 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute- CMFRI) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) ने तटीय आर्द्रभूमि को संरक्षित करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

प्रमुख बिंदु

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र और CMFRI ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया है।

इस MoU के अनुसार,

♦ दोनों संस्थान आर्द्रभूमि की पहचान, उनके सीमांकन का कार्य और तटीय क्षेत्रों में उपयुक्त आजीविका विकल्पों के माध्यम से आर्द्रभूमि की पुनर्स्थापना करेंगे।
♦ साथ ही इसमें तटीय क्षेत्रों में छोटे आर्द्र प्रदेशों का नक्शा बनाना, उन्हें सत्यापित और संरक्षित करना भी शामिल है।
♦ दोनों संस्थान एक मोबाइल एप और एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित करेंगे, जिसका उपयोग आर्द्रभूमि की वास्तविक समय में निगरानी और हितधारकों तथा तटीय क्षेत्र के लोगों को सलाह देने के लिये किया जाएगा।
♦ इस एप में देश भर के 2.25 हेक्टेयर से छोटी आर्द्रभूमियों का एक व्यापक डेटाबेस होगा, इस तरह की छोटी आर्द्रभूमियाँ देश भर में पाँच लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करती हैं। सिर्फ केरल में ही 2,592 छोटी आर्द्रभूमियाँ हैं।

  • यह कदम CMFRI की परियोजना ‘जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार’ (National Innovations in Climate Resilient Agriculture) द्वारा विकसित ‘मत्स्य पालन और आर्द्रभूमि के लिये राष्ट्रीय ढाँचा‘ (National Framework for Fisheries and Wetlands) के अंतर्गत उठाया गया है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य समुद्री मत्स्य पालन और तटीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना है।

CMFRI

  • केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, भारत सरकार द्वारा 3 फरवरी, 1947 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया था। यह 1967 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में शामिल हो गया।
  • यह दुनिया में एक प्रमुख उष्णकटिबंधीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान है।
  • CMFRI का मुख्यालय कोच्चि, केरल में है।

CMFRI

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स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन

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