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कृषि

जलवायु परिवर्तन और व्हीट ब्लास्ट

  • 14 Feb 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

 व्हीट ब्लास्ट, अल-नीनो, व्हीट ब्लास्ट (WB), जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और व्हीट ब्लास्ट के बीच संबंध, भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभाव।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है- जलवायु परिवर्तन के तहत व्हीट ब्लास्ट रोग के प्रति उत्पादन भेद्यता, जिसने उष्ण जलवायु और फफूंद पादप रोग व्हीट ब्लास्ट (WB) के बीच संबंधों की चेतावनी दी है।

  • रिपोर्ट के अनुसार WB के प्रकोप  का पता लगाया गया है, जिसमें दक्षिण अमेरिका में अपने मूल स्थान से आगे वर्ष 2016 में बांग्लादेश और वर्ष 2018 में जाम्बिया तक इसके फैलाव पर बल दिया गया है। यह रोग अल-नीनो जैसी घटनाओं से प्रभावित मौसम की स्थिति से जुड़ा हुआ है।

व्हीट ब्लास्ट रोग (WB) क्या है?

  • परिचय:
    • व्हीट ब्लास्ट रोग एक अत्यधिक विनाशकारी कवक संक्रमण है जो मुख्य रूप से गेहूँ की फसल को प्रभावित करता है।
    • यह विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका और दक्षिण एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा एवं संरक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा करता है।
    • यह रोग मैग्नापोर्थे ओराइजी पैथोटाइप ट्रिटिकम (Magnaporthe oryzae pathotype triticum - MoT) कवक के कारण होता है।
  • लक्षण:
    • पत्ती के घाव (Leaf Lesions): पत्तियों पर छोटे, अंडाकार से धुरी के आकार के घाव दिखाई देते हैं। ये घाव प्रारंभ में पीले या भूरे रंग के हो सकते हैं और अंततः भूरे या नेक्रोटिक में बदल सकते हैं। उनके चारों ओर अक्सर एक पीला प्रभामंडल होता है।
    • तने पर घाव (Stem Lesions): इसी तरह के घाव गेहूँ के पौधों के तनों पर भी विकसित हो सकते हैं। ये घाव तने को घेर सकते हैं, जिससे पौधा मुरझा सकता है और गिर सकता है।
    • स्पाइकलेट लक्षण (Spikelet Symptoms): संक्रमित स्पाइकलेट्स काले और लंबे हो सकते हैं, जिससे वे स्पिंडल जैसी दिखने लगती हैं। यह लक्षण पौधे की प्रजनन अवस्था के दौरान विशेष रूप से प्रमुख होता है।
  • गेहूँ की फसल पर प्रभाव:
    • कवक सीधे गेहूँ की बाली को निशाना बनाता है, जिससे यह पहले लक्षणों से अक्सर एक सप्ताह से भी कम समय में सिकुड़ जाती है और विकृत हो जाती है।
    • इसकी तीव्र शुरुआत से किसानों को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय मिलता है, जिससे उपज का काफी नुकसान होता है।
    • व्हीट ब्लास्ट संक्रमित बीजों, फसल के अवशेषों और लंबी दूरी तक यात्रा करने में सक्षम वायुजनित बीजाणुओं सहित विभिन्न माध्यमों से फैलता है।
    • रोगजनक गेहूँ के पौधे के सभी भागों को संक्रमित कर सकता है, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण क्षति तब होती है जब यह गेहूँ की बाली को प्रभावित करता है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • जलवायु परिवर्तन का व्हीट ब्लास्ट पर प्रभाव: 
    • व्हीट ब्लास्ट से वर्तमान में 6.4 मिलियन हेक्टेयर भूमि को खतरा है और वर्ष 2050 तक, जलवायु परिवर्तन से स्थिति तथा खराब होने एवं 13.5 मिलियन हेक्टेयर फसल भूमि को खतरा होने की संभावना है।
    •  व्हीट ब्लास्ट (Wheat Blast) को अल नीनो जैसी मौसम स्थितियों से भी जोड़ा जाता है।
      • एनुअल रिव्यू ऑफ फाइटोपैथोलॉजी द्वारा वर्ष 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि वर्ष 1987, 1997, 2002, 2009, 2012 और 2015 के गीले तथा गर्म वर्षों के दौरान दक्षिण अमेरिका एवं एशिया में होने वाली व्हीट ब्लास्ट की सभी गंभीर महामारियाँ अल नीनो घटना के प्रभुत्व वाली मौसम स्थितियों के साथ मेल खाती हैं।
    • अकेले व्हीट ब्लास्ट से विश्व भर में गेहूँ के उत्पादन को 13% तक कम करने की क्षमता है, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव की गंभीरता को उजागर करता है।
  • क्षेत्र के अनुसार भेद्यता:
    • दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका को भविष्य की जलवायु में व्हीट ब्लास्ट के लिये सबसे संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है।
    • वर्ष 2050 तक इन क्षेत्रों में 75% तक गेहूँ का कुल रकबा (Wheat Acreage) खतरे में पड़ सकता है।

  • भविष्य में प्रसार और प्रभाव:
    • उरुग्वे, इथियोपिया, केन्या और कांगो जैसे देशों सहित नए क्षेत्रों में गेहूँ विस्फोट का विस्तार संभावित है।
    • यह ओशिनिया और उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में बढ़ती भेद्यता के अनुमानों पर भी प्रकाश डालता है।
    • पहले जापान, इटली, स्पेन और न्यूज़ीलैंड जैसे अप्रभावित देशों को गेहूँ विस्फोट के संभावित लक्ष्य के रूप में पहचाना जाता है, जो खतरे की वैश्विक प्रकृति को उजागर करता है।
  • यूरोपीय क्षेत्र पर प्रभाव:
    • यूरोप और अन्य देशों में जहाँ बर्फ गिरती है वहाँ की ठंडी जलवायु संक्रमण की संभावना को कम कर देती है। लेकिन जलवायु परिवर्तन संभावित रूप से समय के साथ विभिन्न कीटों और बीमारियों के वितरण को बदल देगा।
    • भूमध्य सागर के निकट यूरोपीय स्थानों के लिये फंगल संक्रमण हेतु अनुकूल जलवायु का अनुभव करना संभव है।
      • इसमें इटली और दक्षिणी फ्राँस और स्पेन के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • भारत पर प्रभाव:
    • भारत में यदि भविष्य की जलवायु में गेहूँ उगाने के मौसम के उत्तरार्द्ध में अधिक गंभीर उच्च तापमान (35 डिग्री सेल्सियस से अधिक) के साथ शुष्क मौसमी परिस्थितियाँ होती हैं, तो देश के कुछ हिस्से व्हीट ब्लास्ट के प्रति कम संवेदनशील हो सकते हैं।
    • हालाँकि इतने ऊँचे तापमान से व्हीट ब्लास्ट संक्रमण का खतरा कम हो जाता है, लेकिन वे टर्मिनल हीट स्ट्रेस भी पैदा करते हैं, जिससे भारत का संभावित उत्पादन कम हो जाता है।

अध्ययन में सुझाई गई अनुकूलन रणनीतियाँ क्या हैं? 

  • कम संवेदनशील फसलों की ओर बदलाव:
    • व्हीट ब्लास्ट से दुनिया भर के महत्त्वपूर्ण गेहूँ उगाने वाले क्षेत्रों के खतरे को देखते हुए, किसानों को उत्पादन और वित्तीय नुकसान को कम करने के लिये कम संवेदनशील फसलों की ओर रुख करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • एकाधिक रणनीतियाँ:
    • इस बीमारी के प्रबंधन के लिये कई रणनीतियों को अपनाने का सुझाव दिया गया है, उदाहरणतः मध्य पश्चिम ब्राज़ील में मक्के की खेती धीरे-धीरे गेहूँ की जगह ले रही है।
    • ब्लास्ट-प्रतिरोधी गेहूँ का प्रजनन भी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण रणनीति है जो नए संवेदनशील क्षेत्रों में भविष्य के नुकसान को कम कर सकता है और इसकी शुरुआत पहले ही की जा चुकी है।
  • उपयुक्त बुआई तिथि:
    • उचित बुआई तिथि का चयन करके गेहूँ के ब्लास्ट को बढ़ावा देने वाली स्थितियों से भी बचा जा सकता है। रोपण तिथियों में समायोजन रोग के खिलाफ एक और प्रभावी शमन रणनीति है।
  • अनुपयुक्त समय पर रोपण करने से बचना:
    • गेहूँ की फसल में फूल खिलने के चरण के दौरान बारिश और उसके बाद ऊष्म, आर्द्र मौसम उक्त रोग के संक्रमण को बढ़ा सकता है। मध्य ब्राज़ील में अनुपयुक्त समय पर रोपण और बांग्लादेश में देर से रोपण करने से बचने की आवश्यकता है क्योंकि यह अवधि उच्च वर्षा के स्तर के कारण उच्च तापमान तथा सापेक्ष आर्द्रता के अनुरूप होती है।

व्हीट ब्लास्ट की रोकथाम से संबंधित क्या उपाय हैं?

  • राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली भागीदारों के सहयोग से इंटरनेशनल मेज़ एंड व्हीट इम्प्रूवमेंट सेंटर (CIMMYT) द्वारा उत्पादित व्हीट ब्लास्ट-रोधी किस्में व्हीट ब्लास्ट के प्रभाव को कम करने में उपयोगी साबित हुई हैं।
  • व्हीट ब्लास्ट के प्रति प्रतिरोधी गेहूँ की किस्मों को विकसित करना और उनके उत्पादन को प्रोत्साहन देना इस हानिकारक रोग के प्रभाव को कम करने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। व्हीट ब्लास्ट-रोधी गेहूँ की किस्मों में Rmg8 और 2NS शामिल हैं।
    • Rmg8, CIMMYT के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित गेहूँ की एक किस्म है जिसमें आनुवंशिक रूप से Rmg8 नामक एक विशिष्ट जीन द्वारा प्रदत्त व्हीट ब्लास्ट के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है।
    • 2NS में गेहूँ की एक वन्य किस्म, थिनोपाइरम पोंटिकम से गुणसूत्र 2N के एक खंड को कृषि  की गई गेहूँ की किस्मों में स्थानांतरित करना शामिल है। इससे विभिन्न फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. स्थायी कृषि (पर्माकल्चर), पारंपरिक रासायनिक कृषि से किस तरह भिन्न है? (2021)

  1. स्थायी कृषि एकधान्य कृषि पद्धति को हतोत्साहित करती है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में एकधान्य कृषि पद्धति की प्रधानता है।  
  2. पारंपरिक रासायनिक कृषि के कारण मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है, किंतु इस तरह की परिघटना स्थायी कृषि में दृष्टिगोचर नहीं होती है।  
  3. पारंपरिक रासायनिक कृषि अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में आसानी से संभव है, किंतु ऐसे क्षेत्रों में स्थायी कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है।  
  4. मल्च बनाने (मल्चिंग) की प्रथा स्थायी कृषि में काफी महत्त्वपूर्ण है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसी प्रथा आवश्यक नहीं है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 3                   
(b)  केवल 1, 2 और 4
(c)  केवल 4                     
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी मिश्रित खेती की प्रमुख विशषेता है? (2012)

(a) नकदी और खाद्य दोनों सस्यों की साथ-साथ खेती।
(b) दो या दो से अधिक सस्यों को एक ही खेत में उगाना।
(c) पशुपालन और सस्य-उत्पादन को एक साथ करना।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

उत्तर: (c)


प्रश्न. सूक्ष्म सिंचाई के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2011) 

  1. उर्वरक/पोषक तत्त्वों की कमी को कम किया जा सकता है। 
  2. यह सूखे की खेती में सिंचाई का एकमात्र साधन है। 
  3. खेती के कुछ क्षेत्रों में भूजल तालिका की पुनरावृत्ति की जाँच की जा सकती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (c) 


मेन्स:

प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार अवसर प्रदान करती हैं? (2021)

प्रश्न. जल इंजीनियरी और कृषि विज्ञान के क्षेत्रें में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया तथा डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019)

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