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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चेन्नई - व्लादिवोस्टॉक समुद्री मार्ग से पूर्वी देशों में भारत का प्रवेश

  • 15 Sep 2017
  • 4 min read

संदर्भ

उल्लेखनीय है कि भारत पूर्वोत्तर एशिया और पश्चिम प्रशांत क्षेत्र से जोड़ने वाले एक प्रमुख समुद्री मार्ग की स्थापना के साथ ही एक बड़ी कनेक्टिविटी पहल की शुरुआत करने जा रहा है। यह समुद्री मार्ग चेन्नई और व्लादिवोस्टॉक (Vladivostok) के मध्य एक प्रत्यक्ष शिपिंग लिंक (shipping link) के रूप में होगा। यह एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाले चीन के महत्त्वाकांक्षी समुद्री सिल्क मार्ग (Maritime Silk Route -MSR) के मध्य से होकर गुजरेगा। 

प्रमुख बिंदु

  • यह प्रस्तावित समुद्री मार्ग (जिसे गलियारे में बदला जा सकता है) हिन्द-जापान प्रशांत महासागर को हिन्द महासागर से जोड़ेगा। 
  • समुद्री सिल्क मार्ग चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट का ही एक भाग है जोकि सड़क, नौवहन और रेल लिंक के माध्यम से सम्पूर्ण एशिया को जोड़ेगा।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस शिपिंग लिंक से 24 दिनों में ही चेन्नई और व्लादिवोस्टक के बीच कार्गो (माल) का हस्तांतरण संभव होगा, जबकि वर्तमान में यूरोप से होते हुए सुदूर पूर्व रूस तक वस्तुओं का हस्तांतरण करने में लगभग 40 दिन लग जाते हैं।   

पृष्ठभूमि

  • भारत ऐसा पहला देश था जिसने वर्ष 1992 में व्लादिवोस्टॉक में “निवासी वाणिज्य दूतावास” (resident Consulate) की स्थापना की थी। भारत का इस क्षेत्र के साथ वर्तमान जुड़ाव केवल एकाकी संगठनों जैसे- इरकुत्स्क (Irkutsk) में इरकुट निगम तक ही सीमित है। 
  • विदित हो कि इरकुत्स्क में मिग और सुखोई विमानों का निर्माण किया गया है तथा यहाँ “सखालिन-1” (Sakhalin-1) प्रोजेक्ट पर ओ.एन.जी.सी. विदेश लिमिटेड द्वारा 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है।

क्षेत्र की महत्ता

  • इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन जैसे-भूमि, लकड़ी, खनिज और अन्य संसाधन (जैसे कि टिन, सोना, हीरा, तेल और प्राकृतिक गैस) प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। रूसी सरकार ने इस क्षेत्र में निवेशों को आकर्षित करने के लिये कृषि विशेष आर्थिक क्षेत्र, व्लादिवोस्टॉक मुक्त बंदरगाह परियोजना सहित कई पहलों की घोषणा की है। 
  • इसके अतिरिक्त, रुसी सरकार ने लकड़ी उद्योग, बड़े खनिज संसाधनों (कोयला और हीरे) और बेशकीमती धातु (सोना, प्लैटिनम, टिन और टंगस्टन) भंडारों में निवेशकों को भागीदारी करने के लिये भी आमंत्रित किया है।
  • भारतीय कंपनियों के पास कृषि, खनन, बंदरगाह विकास और अवसंरचना, हीरा प्रसंस्करण, कृषि-प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में रूस के साथ सहयोग करने के अवसर विद्यमान हैं।
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