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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति

  • 27 Jul 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये

भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार संबंधी पूर्व की नीतियाँ

मेन्स के लिये

पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति का महत्त्व और पूर्व की नीतियों से तुलना

चर्चा में क्यों?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय अक्तूबर माह तक भारत की पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति (Science, Technology and Innovation Policy-STIP) के पहले मसौदे को प्रस्तुत करने की योजना बना रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • नीति संबंधी प्रमुख तथ्य
    • गौरतलब है कि किसी भी समस्या के समाधान की प्रक्रिया आमतौर पर बहुआयामी एवं अंतर-संस्थागत होती है और कोई भी वैज्ञानिक किसी एक बहुआयामी समस्या को हल नहीं कर सकता है, इसलिये भारत की पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति को अधिक समावेशी बनाने का प्रयास कर रही है।
    • उदाहरण के लिये उन किसानों से भी सुझाव प्राप्त किया जाएगा, जिनके पास या तो कुछ विशिष्ट समस्याएँ हैं अथवा किसी विशिष्ट समस्या का समाधान मौजूद है।
    • उल्लेखनीय है कि यह नीति नए भारत के लिये COVID-19 से मिले सबक को एकीकृत करने के साथ-साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास, डिज़ाइन आदि के क्षेत्र में जनसांख्यिकीय लाभांश के अवसर का लाभ उठाकर एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लक्ष्य को भी साकार करेगी।
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, इस नीति की निर्माण प्रक्रिया में मुख्यतः चार ट्रैक शामिल किये गए हैं:
      • ट्रैक 1: इस ट्रैक में मुख्य तौर पर ‘विज्ञान नीति फोरम’ के माध्यम से एक व्यापक सार्वजनिक एवं विशेषज्ञ परामर्श की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।  ‘विज्ञान नीति फोरम’ नीति की प्रारूपण प्रक्रिया के दौरान तथा उसके बाद विशेषज्ञों से इनपुट प्राप्त करने के लिये एक समर्पित मंच है।
      • ट्रैक 2: इस ट्रैक के अंतर्गत सिफारिशों को स्वीकार करने के लिये विशेषज्ञों के विषयगत (Thematic) परामर्श शामिल हैं। इस उद्देश्य के लिये 21 मुख्य विषयगत समूहों का गठन किया गया है।
      • ट्रैक 3: इस ट्रैक के अंतर्गत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के साथ परामर्श करना शामिल है।
      • ट्रैक 4: इस ट्रैक के अंतर्गत उच्च स्तरीय बहु-हितधारकों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शामिल है।
  • उद्देश्य और महत्त्व
    • वर्ष 2003 के वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक में भारत 56वें स्थान पर था, जबकि इस सूचकांक में चीन 44वें स्थान पर था, किंतु इस सूचकांक में वर्ष 2014 में भारत 71वें स्थान पर आ गया और चीन 28वें स्थान पर पहुँच गया।
    • इसी बीच वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2014 (Global Innovation Index 2014) में भारत 76वें स्थान पर पहुँच गया, जबकि चीन 29वें स्थान पर।
    • भारत की पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय समस्याओं और संकटों के लिये वैज्ञानिक समाधानों की आवश्यकता को पूरा करते हुए इसी अंतर को कम करना है, जो कि वर्तमान समय में भी इसी प्रकार मौजूद है।
    • भारत की यह पाँचवीं विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति (STIP) एक ऐसे समय में तैयार की जा रही है, जब भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी का सामना कर रहा है और आशा भरी नज़रों से विज्ञान की ओर देख रहा है।
  • पूर्व की नीतियों में निहित कमियाँ 
    • विशेषज्ञ मानते हैं कि पूर्व में बनाई गई कई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधी नीतियों में सबसे प्रमुख समस्या यह थी कि उन्हें सही ढंग से कार्यान्वयित नहीं किया गया था।
    • उदाहरण के लिये नीति किसी एक सरकार द्वारा बनाई गई, किंतु उसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान कोई दूसरी सरकार सत्ता में आ गई, जिसके कारण नीति के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई।
    • इस प्रकार इन नीतियों पर अधिक ध्यान न देने के कारण उनका कुछ खास प्रभाव देखने को नहीं मिला।

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विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधी पूर्व की नीतियाँ

  • देश में अब तक कुल चार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंधी नीतियाँ बनाई गई हैं।
    • वैज्ञानिक नीति संकल्प (1958): इस संबंध में भारत द्वारा पहली नीति वर्ष 1958 में बनाई गई थी, इस नीति का निर्माण होमी जहाँगीर भाभा द्वारा किया गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे संसद में प्रस्तुत किया था। वैज्ञानिक नीति संकल्प (1958) ने भारत में विज्ञान और वैज्ञानिक उद्यम की नींव रखी थी।
    • प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य (Technology Policy Statement) 1983: प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य, 1983 की प्राथमिक विशेषता स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के प्रचार एवं विकास के माध्यम से तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करना थी। इस नीति में यह स्वीकार किया गया कि भारत को आयातित प्रौद्योगिकियों को अपनाने में कुशलता दिखानी चाहिये, किंतु यह राष्ट्रीय हित की कीमत पर नहीं किया जा सकता। 
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति 2003: इस नीति का उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बनाए रखना था, ताकि तेज़ी से भूमंडलीकृत हो रहे विश्व में दुनिया में प्रतिस्पर्द्धी बने रहने और सतत् विकास के प्राथमिक लक्ष्य को पूरा किया जा सके। 
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति 2013: इस नीति के तहत वर्ष 2010 से वर्ष 2020 के दशक को नवाचार के दशक के रूप में परिभाषित किया गया। नीति के तहत यह स्वीकार किया गया कि विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करना आवश्यक है। यह नीति एक मज़बूत राष्ट्रीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में एक कदम था।

आगे की राह

  • चूँकि वैश्विक स्तर पर तकनीक तेज़ी से बदल रही है, इसलिये आवश्यक है कि भारत की इस नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार संबंधी नीति को इस प्रकार बनाया जाए कि वह स्वयं को इस परिवर्तन के अनुरूप ढाल सके, साथ ही प्रौद्योगिकी में बदलाव के साथ तालमेल स्थापित करने के लिये आवश्यक है कि प्रतिवर्ष इस नीति की समीक्षा की जाए।
    • ध्यातव्य है कि अब तक जो नीतियाँ बनाई गई हैं, वे स्वयं को परिवर्तन के अनुकूल ढालने में सक्षम नहीं रही हैं, साथ ही उनकी समीक्षा भी दशकों बाद ही की जाती थी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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