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जैव विविधता और पर्यावरण

वन के रूप में भूमि की परिभाषा

  • 23 Oct 2019
  • 6 min read

मेन्स के लिए:

वन संरक्षण के लिए वन भूमि को परिभाषित करना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र ने वन के रूप में भूमि की परिभाषा को लेकर स्पष्टीकरण दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MOEF&CC) की वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee-FAC), जिसमें केंद्र के वानिकी विभाग के स्वतंत्र विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हैं, ने स्पष्ट किया है कि राज्यों को अवर्गीकृत भूमि को वन के रूप में परिभाषित करने के लिये केंद्र के अनुमोदन की ज़रूरत नहीं है।
  • वर्ष 2014 से ही , पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) वनों की एक कानूनी परिभाषा को विकसित करने पर विचार कर रहा है एवं कथित रूप से वर्ष 2016 के अंत तक इस पर एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। हालांकि, यह प्रस्ताव कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया और एफएसी द्वारा दिया गया हाल का स्पष्टीकरण आधिकारिक तौर पर इस तरह के प्रयासों की समाप्ति को इंगित करता है।
  • वर्ष 1996 से भूमि को वन के रूप में परिभाषित करने का ( जो केंद्र या राज्य द्वारा वनों के रूप में वर्गीकृत नहीं है ) विशेषाधिकार राज्य का रहा है और इसकी उत्पत्ति उच्चतम न्यायालय के आदेश ,जिसे गोडावरमन निर्णय के नाम से जाना जाता है ,से हुई है।
  • FAC ( एक शीर्ष निकाय है जो उद्योगों को वन कटाई के लिये अनुमति देने पर विचार विमर्श करता है) की 26 सितम्बर को बैठक हुई , जिसमे कहा गया कि राज्य, जिनके के पास एक सुस्थापित वन विभाग है , अपने स्वयं के वनों एवं जरूरतों को समझने के लिये MoEF&CC से ज्यादा अच्छी स्थिति में है और राज्यों को अपने वनों के लिये मानदंडों का निर्माण करना चाहिये। FAC ने कि राज्यों द्वारा तैयार किये गये मानको को MoEF&CC के अनुमोदन की जरुरत नहीं है।
  • यह विषयवस्तु बैठक में चर्चा का बिंदु इसलिये रही क्योकि उत्तराखंड सरकार ने वन भूमि को परिभाषित करने के लिये मानदंडो का एक सेट तैयार किया हैं और इस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के राय मांगी है।
  • वर्ष 1980 के दशक से वनों को परिभाषित करने का सिलसिला जारी है 1996 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने वन की परिभाषा का विस्तार किया जिसमे केंद्र द्वारा वनों के रूप अधिसूचित भूमि को शामिल करने के साथ साथ वनों की शब्दकोष परिभाषा( डिक्शनरी डेफिनिशन) को भी सम्मलित किया गया।
  • डिक्शनरी डेफिनिशन का क्लॉज़ राज्यों को भूमि के किसी भाग को वन के रूप में पारिभाषित करने और अपना स्वयं का मानदंड विकसित करने की अनुमति देता है और तब यह वन संरक्षण कानूनों के अंतर्गत आ जायेंगा।

डीम्ड वन (deemed forest)

  • हालांकि मंत्रालय में वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव के अनुसार सभी राज्यों ने ऐसे मानदंडों को प्रस्तुत नहीं किया है| इन मानदंडों के तहत परिभाषित वन देश के कुल वन का 1% है और इस तरह परिभाषित वन डीम्ड वन कहे जाते है।
  • वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव के अनुसार भारत में वनों के व्यापक एवं बृहद परिभाषा देना संभव नहीं है क्योकि देश में 16 प्रकार के वन पाए जाते है। घासभूमि का कोई विशेष भाग एक राज्य में वन के लिए अर्हक हो सकता है तो किसी दुसरे राज्य में अनर्हक।
  • पर्यावरणविदों के अनुसार ,राज्यों पर वनों को परिभाषित करने का उत्तरदायित्व महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य अक्सर अतिक्रमण को रोकने में स्वयं को असहाय बताते है क्योंकि कथित भूमि को वनों के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया होता है। हाल ही में मुंबई के अरे कॉलोनी में वृक्षों की कटाई की गयी क्योंकि इन्हें अधिकारिक तौर पर वनों के रूप मे वर्गीकृत नहीं किया गया था।
  • सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च के एक विश्लेषक का कहना है कि संघीय ढांचे को देखते हुए , केंद्र का एक परिभाषा के साथ आना कठिनाई पैदा कर सकता है लेकिन यह राज्यों के मार्गदर्शन करने के लिये दिशानिर्देशो का एक बृहद समुच्चय तैयार कर सकता है ताकि राज्य वन भूमि को पारिभाषित कर सके।

स्रोत : द हिन्दू

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