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जैव विविधता और पर्यावरण

बिटकॉइन के उपयोग से बड़ी मात्रा में CO2 का उत्सर्जन

  • 21 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जर्मनी में टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख (Technical University of Munich- TUM) के शोधकर्त्ताओं ने बिटकॉइन प्रणाली के कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) के बारे में अब तक की सबसे विस्तृत गणना की।

अध्ययन के अनुसार, बिटकॉइन (एक लोकप्रिय आभासी मुद्रा) का उपयोग करने से सालाना 22 मेगाटन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन होता है जो लास वेगास और वियना जैसे शहरों से होने वाले कुल CO2 उत्सर्जन के बराबर है।

बिटकॉइन या क्रिप्टोकरेंसी

  • बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है जिसका इस्तेमाल दुनिया भर में लोग लेन-देन के लिये करते हैं। उल्लेखनीय है कि यह ‘मुख्य वित्तीय सिस्टम’ और ‘बैंकिंग प्रणाली’ से बाहर रहकर काम करती है। यही कारण है कि इसके स्रोत और सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न उठते रहते हैं।
  • इसे किसी केंद्रीय या सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है। अतः सैद्धांतिक रूप से यह सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त है।
  • सन् 2009 में किसी समूह या व्यक्ति ने सतोशी नाकामोतो के छद्म नाम से ‘बिटकॉइन’ के नाम से पहली क्रिप्टोकरेंसी बनाई।

Bitcoin

  • वैश्विक बिटकॉइन नेटवर्क में बिटकॉइन के हस्तांतरण एवं उसको वैध बनने की प्रक्रिया में किसी भी कंप्यूटर से एक गणितीय पहेली को हल करना आवश्यक होता है।
  • इस नेटवर्क में कोई भी शामिल हो सकता है और पहेली सुलझाने वाले को बदले में पुरस्कार के रूप में बिटकॉइन मिलता है।
  • इस पूरी प्रक्रिया में प्रयुक्त कंप्यूटिंग क्षमता जिसे ‘बिटकॉइन माइनिंग’ (Bitcoin Mining) के रूप में जाना जाता है, हाल के वर्षों में तेज़ी से इजाफा हुआ है।
  • आँकड़ों के अनुसार, केवल वर्ष 2018 में इसमें चार गुना वृद्धि हुई है।
  • परिणामस्वरुप बिटकॉइन की होड़ से जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
  • कई अध्ययनों में ‘बिटकॉइन माइनिंग’ से होने वाले CO2 के उत्सर्जन का पता लगाने का प्रयास किया गया है। हालाँकि ये अध्ययन अनुमानों पर आधारित हैं।

अध्ययन के आँकड़े

  • अनुसंधानकर्त्ताओं ने इसके लिये इंटरनेट के माध्यम से सर्च इंजनों का इस्तेमाल कर बिटकॉइन माइनर के आईपी एड्रेसेस (IP addresses) का पता लगाया और फिर इससे प्राप्त नतीजों से निष्कर्षों की दोबारा जाँच की।
  • शोधकर्त्ताओं ने बिटकॉइन की वार्षिक बिजली खपत को नवंबर 2018 तक लगभग 46 TWh [TeraWatt Hour(s)] निर्धारित किया।
  • माइनिंग पूल के लाइव ट्रैकिंग डेटा ने इस ऊर्जा के उपयोग के साथ CO2 के रूप में उत्सर्जित ऊर्जा के बारे में निर्णायक जानकारी प्रदान की।
  • इन आँकड़ों के आधार पर अनुसंधानकर्त्ताओं की टीम एशियाई देशों में 68%, यूरोपीय देशों में 17% और उत्तरी अमेरिका में 15% बिटकॉइन नेटवर्क कंप्यूटिंग शक्ति का स्थानीयकरण करने में सफल हुई।

अध्ययन के निष्कर्ष

  • अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार, बिटकॉइन प्रणाली के चलते प्रतिवर्ष 22 और 22.9 मेगाटन कार्बन फुटप्रिंट होता है जो हैमबर्ग, वियना या लास वेगास जैसे शहरों के फुटप्रिंट के बराबर हैं।
  • बिटकॉइन का उपयोग स्वाभाविक रूप से जलवायु परिवर्तन में योगदान करने वाले बड़े कारकों में से एक है।
  • उन स्थानों पर जहाँ कार्बन फुटप्रिंट ज़्यादा है, क्रिप्टोक्यूरेंसी माइनिंग को विनियमित करने की संभावना पर चर्चा की जानी चाहिये।

स्रोत- द हिंदू

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