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जैव विविधता और पर्यावरण

जैव विविधता प्रदर्शन केंद्र

  • 17 Aug 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

ओडिशा सरकार भीतरकणिका में दंगमाल के निकट एक विश्व स्तरीय प्रदर्शन केंद्र स्थापित करने जा रही है। इसके माध्यम से ओडिशा सरकार द्वारा मगरमच्छों के संरक्षण और समृद्ध जैव विविधता की रक्षा हेतु किये गए प्रयासों को दिखाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • परियोजना को एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना के तहत अनुमोदित किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 3 करोड़ रुपए होगी।
  • यह परियोजना पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिये पर्यावरण अध्ययन केंद्र के रूप में भी होगी।
  • भीतरकणिका राज्य के बेहतरीन जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है, जहाँ लगभग एक लाख पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं और हाल ही में यहाँ आगंतुकों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
  • यह पार्क अपने हरे मैंग्रोव, प्रवासी पक्षियों, कछुओं, एस्चुराइन मगरमच्छों और अनगिनत क्रीक के लिये प्रसिद्ध है। 
  • ऐसा माना जाता है कि भीतरकणिका देश के 70% एस्चुराइन या खारे पानी के मगरमच्छों का आवास है। इसकी सुरक्षा का प्रयास 1975 में शुरू हुआ था।

जैव-कवच (Bio-shield)

  • 1999 में जब ओडिशा का तटीय क्षेत्र भीषण चक्रवात की वज़ह से तहस-नहस हो गया था तो समृद्ध मैंग्रोव वनों ने जैव ढाल के रूप में कार्य किया था और मैंग्रोव-वैन क्षेत्रों में चक्रवात का बहुत कम प्रभाव पड़ा था।
  • कालिभंजदिया द्वीप (Kalibhanjdia Island) 8.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला भीतरकणिका के नज़दीक एक स्थान है। इसने बड़ी मात्रा में विदेशी वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि यहाँ दुनिया के कुल मैंग्रोव प्रजातियों का 70% हिस्सा मौज़ूद है।
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