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जैव विविधता और पर्यावरण

सुंदरबन के निम्नीकृत भागों का जैव-पुनर्स्थापन

  • 01 Oct 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं के एक दल द्वारा सुंदरबन के मैंग्रोव क्षेत्रों में लगातार हो रहे निम्नीकरण के प्रमुख कारणों की पहचान कर उनके लिये पुनर्स्थापन रणनीतियों को तैयार किया जा रहा है।

शोध से प्राप्त निष्कर्ष:

  • प्राकृतिक तनावों (जलवायु परिवर्तन, जैविक प्रकोप इत्यादि ) के साथ मानवीय गतिविधियों में हो रही वृद्धि के कारण भारत के विश्व विरासत स्थलों में से एक सुंदरबन को वृहद् स्तर पर निम्नीकरण का सामना करना पड़ा है।
  • ‘हाइड्रोबायोलॉजिया’ (Hydrobiologia) नामक एक जर्नल में प्रकाशित परिणामों से पता चलता है कि सुंदरबन की मुख्य समस्या आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी और लवणता में हो रही वृद्धि हैं।
    • वनावरण में पोषक तत्त्वों की कमी का मुख्य कारण फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा में होने वाली गिरावट से जुड़ा हुआ है।
  • इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में प्रजातियों के वितरण में भी परिवर्तन पाया गया है- लवणता के प्रति संवेदनशील हेरितेरा फोम्स (Heriteira Fomes), जाइलोकार्पस प्रजाति (Xylocarpus Species) और फीनिक्स पलूडोसा (Phoenix Paludosa) आदि लवणता में वृद्धि को सामना करने में सक्षम न हो पाने के कारण निम्नीकरण की समस्या से ग्रस्त हैं जबकि लवणता के लिये सहिष्णु किस्मों में वृद्धि देखी गई है।

जैव-पुनर्स्थापन के लिये किये गए उपाय:

    • शुरूआत में शोधकर्त्ताओं ने घास के चार देशी लवण-सहिष्णु (Salt-Tolerant) किस्मों को लगाकर पुनर्स्थापन के स्थल को स्थायित्व प्रदान किया। वर्ष 2014 से 2019 तक की अवधि में इस प्रकार की घासों को उगाये जाने से निम्नीकृत हो चुके लगभग एक हेक्टेयर क्षेत्र में सुधार देखने को मिला।
    • शोधकर्त्ताओं ने निम्नीकृत भूमि को समृद्ध बनाने के लिये देशज पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया का उपयोग किया।
  • घास का राइजोस्फीयर [राइजोस्फीयर (Rhizosphere) मिट्टी का संकीर्ण क्षेत्र होता है जो जड़ स्रावों से सीधे प्रभावित होता है] मैंग्रोव को एक पोषक वातावरण प्रदान करता है क्योंकि यह मूल-क्षेत्र के (Root Zone) रोगाणुओं को विघटित कर कीचड़नुमा मिट्टी में अधिक पोषक तत्त्वों के उत्सर्जन में मदद करता है।इसके अलावा यह उच्च ऊर्जा वाली समुद्री तरंगों/लहरों से मृदा के क्षरण को भी रोकती है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा स्थानीय किस्मों के एक ऑन-साईट (On-Site) मैन्ग्रोव नर्सरी की स्थापना कर निम्नीकृत क्षेत्रों में मैंग्रोव प्रत्यारोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

आगे की राह:

  • भारतीय क्षेत्र में स्थित सुंदरबन यूनेस्को (UNECSO) के अंतर्गत शामिल एक विश्व विरासत स्थल है। ऐसे में इस क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिये यूनेस्को की तकनीकी एवं वित्तीय सुविधाओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • सुंदरबन को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत शामिल किया जाना एक सकारात्मक कदम है। यह कन्वेंशन वेटलैंड्स और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराता है।
  • सुभेद्यता के अनुसार सुंदरवन को विभिन्न उपक्षेत्रों में विभाजित कर प्रत्येक के लिये एक निर्देशित समाधान कार्यक्रम अपनाया जाना चाहिये।
  • इस क्षेत्र में नदियों के अलवणीय जल की मात्रा में वृद्धि के उपाय किये जाने चाहिये।
  • मानवीय कारणों से होने वाले निम्नीकरण को रोकने के लिये-
    • स्थानीय समुदायों को जागरूक करना एवं उनकी समस्याओं के लिये वैकल्पिक समाधानों को लागू करना।
    • सामान्य पर्यटन की जगह जैव-पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा देना।
    • वनोन्मूलन (Deforestration) पर रोक एवं वनीकरण को बढ़ावा देना।
    • संकटग्रस्त जीवों एवं वनस्पतिओं की सुरक्षा को बढ़ावा देना।
    • जैव-तकनीक के माध्यम से मैंग्रोव का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन।

स्रोत: द हिंदू

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