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बैंकिंग एकीकरण हेतु भारतीय स्टेट बैंक में पाँच सहायक बैंकों का विलय

  • 16 Feb 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ :

सरकार ने देश में सबसे बड़े बैंकिंग एकीकरण हेतु भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में पाँच सहायक बैंकों के विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है । मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक) अधिनियम 1959 और हैदराबाद स्टेट बैंक अधिनियम 1956 को निरस्त करने के लिए संसद में एक विधेयक प्रस्तुत करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई है । 

प्रमुख बिंदु :

  • 15 फरवरी  2017 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा अपने सहायक बैंकों के अधिग्रहण को मंजूरी प्रदान कर दी । 
  • भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 के धारा 35 के तहत किया गया है । 
  • एसबीआई में जिन पांच सहायक बैंकों का विलय होना है, उनमें स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एन्ड जयपुर तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शामिल हैं । 
  • इन छह बैंकों के लिए अलग अलग निगरानी व्यवस्था करने के बजाय एक तंत्र के तहत उपर्युक्त गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी । 
  • हालाँकि इस विलय में भारतीय महिला बैंक को शामिल नहीं किया गया है किन्तु निकट भविष्य मे  इसके विलय हेतु प्रस्ताव किया गया है ।
  • अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है किन्तु संभव है कि इस सम्बन्ध में भी शीघ्र प्रस्ताव आएगा |
  • विलय के कारण संबंधित बैंकों के किसी भी कर्मचारी को उनके काम से नहीं हटाया जाएगा ।
  • विलय से एक बड़ी बैंकिंग इकाई का गठन होगा जिसकी परिसंपत्ति 37 लाख करोड़ रुपये होगी । 
  • साथ ही, इनके एक साथ आने से कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी और लागत कम होगी ।  
  • इस विलय से बड़ी बचत होगी जो अनुमानित तौर पर पहले साल में 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। 
  • सहायक बैंकों के ग्राहक भारतीय स्टेट बैंक के वैश्विक नेटवर्क का लाभ ले सकेंगे। 
  • एसबीआई की परिसंपत्ति का आधार देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक से करीब पांच गुना हो जाएगा। 
  • विलय से उच्च प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा और इससे मुद्रा के प्रवाह पर निगरानी व नियंत्रण रखा जा सकेगा।
  • उल्लेखनीय है, कि एसबीआई शेयर 15 फरवरी को  0.68 फीसदी की गिरावट के साथ 268.65 रुपये पर बंद हुआ था।
  • विलय के बाद एसबीआई की शाखाओं की संख्या 22,500 और देश भर में इसके 58,000 एटीएम होंगे। इसके ग्राहकों की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा होगी।
  • विलय से बैंकों के बीच अच्छा तालमेल होगा और परिचालन लागत में भी कमी आएगी।
  • इससे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में सहायक बैंकों के सामने पेश आ रही दिक्कतें कम हो जाएंगी। 
  • साथ ही इससे आर्थिक और संचालन में कुशलता के मोर्चे पर सुधार होगा। 
  • इससे जोखिम प्रबंधन और एकीकृत ट्रेजरी परिचालन में भी सुधार होगा। 

पृष्ठभूमि :

  • इससे पूर्व एसबीआई की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा था कि विलय की योजना एक तिमाही तक टल सकती है जबकि पहले इस साल मार्च में विलय की योजना बनाई गई थी। 
  • इसके बारे में उन्होंने कहा था कि अब तक सरकार से मंजूरी नहीं मिल पाई है। अगर अभी मंजूरी मिलती भी है तो अंतिम तिमाही में विलय करना सही नहीं होगा। 
  • विदित हो कि पिछले साल मई में एसबीआई ने विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी एवं जून में कैबिनेट ने इसे सैद्घांतिक रूप से अनुमति प्रदान की गई थी। 
  • तत्पश्चात यह प्रस्ताव संबंधित बैंकों और एसबीआई के बोर्ड के पास भेज दिया गया था, जहाँ से इसे मंज़ूरी मिल गई थी।

निष्कर्ष :

सरकारी बैंकों के एकत्रीकरण के जरिये भारतीय स्टेट बैंक के सहायक बैंकों का अधिग्रहण बैंक क्षेत्र को मजबूत बनाएगा । हालाँकि, अभी  वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि विलय कब से प्रभावी होगा, लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसके होने की संभावना कम ही है। यह सरकार के इंद्रधनुष कार्ययोजना का अनुसरण है और संभावना है कि इससे कार्यकुशलता और लाभ के मामले में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार आएगा।

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