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भारतीय अर्थव्यवस्था

केला क्लस्टर

  • 01 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, कृषि निर्यात नीति

मेन्स के लिये:

किसानों की आय दोगुनी करने से संबंधित मुद्दा

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने कृषि निर्यात नीति- 2018 (Agri Export Policy-2018) के तहत आंध्र प्रदेश के अनंतपुर और कडप्पा ज़िलों को केला क्लस्टर (Banana Cluster) के तौर पर अधिसूचित किया है।

Andhra-Pradesh

मुख्य बिंदु:

  • आंध्र प्रदेश सरकार, निर्यातक कंपनी तथा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority-APEDA), ने अनंतपुर ज़िले के ताड़िपत्री रेलवे स्टेशन से 890 टन उच्च गुणवत्ता केलों के 43 वातानुकूलित कंटेनरों को ट्रेन के द्वारा वैश्विक बाज़ारों में निर्यात करने के लिये मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट भेजा।
  • निर्यातक कंपनी केला उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये आंध्र प्रदेश के केला उत्पादकों को विशेषज्ञता एवं आधुनिक तकनीक प्रदान कर रही है।
    • इसके तहत अनंतपुर और इसके आसपास के ज़िलों में फलों के उत्पादन एवं उनके निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1800 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में केले की खेती करने वाले 500 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित किया गया है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण

(Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority-APEDA):

  • इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1985 के अंतर्गत की गई थी।
  • इस प्राधिकरण ने ‘संसाधित खाद्य निर्यात प्रोत्साहन परिषद’ का स्थान लिया।
  • यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry) के अधीन कार्य करता है।
  • इस प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • ट्रेन के द्वारा कंटेनरों को मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक भेजने से समय और ईंधन दोनों की बचत होगी क्योंकि अभी तक कंटेनरों को सड़क के माध्यम से लगभग 900 किमी. दूर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (मुंबई) भेजा जाता था।
  • राज्य सरकार ने आंध्र प्रदेश से 30,000 मीट्रिक टन फलों के निर्यात का लक्ष्य तय कर रखा है और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर उत्पादकता बढ़ाने, उपज की गुणवत्ता, उपज का रखरखाव एवं पैकेजिंग तथा किसानों को बाज़ार से जोड़ने के लिये छह प्रमुख कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है।

कृषि निर्यात नीति- 2018

(Agri Export Policy-2018):

  • कृषि निर्यात नीति, 2018 का उद्देश्य वर्ष 2022 तक कृषि निर्यात को 60 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक करना है।
  • कृषि निर्यात नीति से चाय, कॉफी और चावल जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ यह वैश्विक कृषि व्यापार में देश की हिस्सेदारी को बढ़ाएगी।
  • कृषि निर्यात नीति में की गईं सिफारिशों को दो श्रेणियों में व्यवस्थित किया गया है-

सामरिक (Strategic): सामरिक श्रेणी में तहत निम्नलिखित उपाय शामिल होंगे-

• नीतिगत उपाय
• अवसंरचना एवं रसद समर्थन
• निर्यात को बढ़ावा देने के लिये समग्र दृष्टिकोण
• कृषि निर्यात में राज्य सरकारों की बड़ी भागीदारी
• मूल्य वर्द्धित निर्यात को बढ़ावा देना
• ‘ब्रांड इंडिया’ का विपणन और प्रचार

परिचालन (Operational): परिचालन के तहत निम्नलिखित कार्य शामिल होंगे-

• उत्पादन और प्रसंस्करण में निजी निवेश को आकर्षित करना
• मज़बूत नियमों की स्थापना
• अनुसंधान एवं विकास
• विविध

आगे की राह:

  • आंध्रप्रदेश सरकार, निर्यातक कंपनी एवं कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के संयुक्त प्रयासों से भारत को केले के विश्व व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक अच्छा अवसर प्राप्त होने की संभावना है।

स्रोत: PIB

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