इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एंटी-सट्टेबाजी निकाय

  • 20 Jun 2017
  • 2 min read

संदर्भ 
‘एंटी-सट्टेबाजी निकाय’ की स्थापना वस्तु और सेवा कर (GST) के तहत की जाएगी। जिसका निर्णय रविवार को जी.एस.टी. परिषद की बैठक में लिया गया था। इस निकाय को काफी शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।  

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • प्राधिकरण के अध्यक्ष के लिये किसी व्यक्ति को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या ‘भारतीय न्यायिक सेवा’ के तहत अपर सचिव या उच्चतर स्तर के पद पर कम-से-कम तीन साल के कार्य का अनुभव होना चाहिये। 
  • प्राधिकरण किसी को भी "निष्पक्ष जाँच" के लिये नोटिस जारी कर सकता है।
  • प्राधिकरण के कार्य हैं: 
    •कीमतों में कमी के आदेश देना।
    •जुर्माना लगाना।
    •अगर कोई कंपनी उपभोक्ताओं के लिये कर की दर में कमी नहीं करती है तो उसका पंजीकरण भी रद्द कर सकता है।
  • एक ‘स्थायी समिति’ का निर्माण किया जाएगा जो सट्टेबाजी से संबंधित शिकायतें दर्ज करेगी। 
  • स्थायी समिति प्रथम दृष्टया शिकायत दर्ज करने के बाद शिकायत को डायरेक्टर-जेनेरल ऑफ़ सेफगार्ड (DGS) के पास विस्तृत जाँच के लिये भेजेगी।
  • डी.जी.एस. को स्थायी समिति से प्राप्त शिकायत के ऊपर तीन महीने के भीतर अपनी जाँच पूरी करनी होगी, लेकिन अगर तीन महीने से अधिक का समय लगता है तो इसके पीछे के कारणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करना होगा। इस प्रक्रिया की भी अधिकतम समय-सीमा तीन महीने ही तय की गई है। 
  • अत: स्पष्ट है कि पूरी प्रक्रिया में अधिकतम नौ महीने का ही समय लगेगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2