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मनरेगा के लिये आधार की अनिवार्यता

  • 09 Jan 2017
  • 4 min read

पृष्ठभूमि

1 अप्रैल, 2017 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme -MGNREGS) के अंतर्गत एक वर्ष में 100 दिन के कार्य के लिये केवल उन्ही कामगारों को पंजीकृत किया जाएगा जिनके पास आधार कार्ड मौजूद है| अब, मनरेगा के तहत पंजीकृत होने के लिये व्यक्ति के पास आधार नम्बर होना अनिवार्य है| 

प्रमुख बिंदु

  • केन्द्रीय सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ऐसे लोग जिनका इस योजना के अंतर्गत पंजीयन हुआ है, उन्हें इस वर्ष 31 मार्च तक आधार अथवा नामांकन प्रक्रिया का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा| 
  • हालाँकि, आधार कार्ड प्राप्त होने तक राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान-पत्र, फोटो सहित किसान पासबुक, मनरेगा के अंतर्गत जारी किये जाने वाले रोज़गार कार्ड तथा किसी राजपत्रित अधिकारी अथवा तहसीलदार द्वारा जारी किये गए किसी अन्य प्रमाण-पत्र को भी मनरेगा के तहत प्राप्त होने वाले लाभों के सन्दर्भ में पहचान-पत्र के तौर पर स्वीकार किया जाएगा|
  • ऐसे लोग जिन्होंने आधार हेतु नामांकन किया है, वे बारह अंकीय विशिष्ट पहचान संख्या (12-digit unique identification number) की अपनी नामांकन स्लिप अथवा आवेदन की एक कॉपी को भी पहचान के तौर पर प्रस्तुत कर सकते हैं| यह बारह अंकीय विशिष्ट पहचान संख्या देश में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करेगी|
  • हाल ही में भारत सरकार ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 7 को लागू किया है, जिसके अंतर्गत यह शासनादेश जारी किया गया है कि जब केंद्र सरकार, भारत की संचित निधि से कोई सब्सिडी, लाभ अथवा सेवा प्रदान करती है, तो लाभ प्राप्तकर्ता से आधार के प्रमाणीकरण का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिये कह सकती है| 
  • विदित हो कि मनरेगा के लिये किया जाने वाला व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होता है| वर्तमान में (वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिये) मनरेगा के तहत कुल 38,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है|
  • स्पष्ट है कि मनरेगा के तहत आधार कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने से सब्सिडी के रिसाव को रोकने तथा यह सुनिश्चित करने में कि इस योजना के तहत प्रदत्त लाभ उचित व्यक्ति तक पहुँच पा रहे हैं अथवा नहीं, की खोजबीन करने एवं आधार से संबद्ध प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के सटीक कार्यान्वयन में सफलता प्राप्त होने की आशा व्यक्त की जा रही है| 
  • ध्यातव्य है कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Tranfer - DBT) योजना का प्रमुख लक्ष्य, कल्याणकारी योजनाओं के तहत होने वाली गड़बड़ी को रोकना है| दरअसल, डीबीटी के तहत कल्याणकारी योजनाओं से संबद्ध सभी लाभार्थियों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ (धन) को हस्तांतरित कर दिया जाता है| 
  • कुछ समय पहले ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation - EPFO) के तकरीबन 50 लाख पेंशनभोगियों तथा चार करोड़ ग्राहकों के लिये आधार संख्या अथवा प्रमाण को उपलब्ध कराना अनिवार्य बनाया गया है|
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