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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक मंच पर ‘आधार’ की प्रंशसा

  • 06 Jul 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
दुनिया भर में समाज के गरीब और वंचित तबके तक सुविधाएँ पहुँचाने और उनके वित्तीय समावेशन में सुधार लाने के लिये आँकड़ों और विश्लेषणात्मक आकलन के इस्तेमाल पर छिड़ी चर्चा के बीच भारत की आधार प्रणाली को सराहा गया। विदित हो कि बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करने और नकदी का इस्तेमाल कम करने की दिशा में काम करने वाली जी-20 देशों द्वारा वित्तीय सुधारों पर गठित एक वैश्विक संस्था ने भारत की आधार प्रणाली की इस मामले में प्रशंसा की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) ने बैंक प्रतिनिधि व्यवस्था (कॉरेसपोंडेंट बैंकिंग रिलेशनशिप) में गिरावट की समस्या को समझने और उसका आकलन करने संबंधी अपनी प्रगति रिपोर्ट में कहा है कि 'बैंकिंग सहयोगी’ के दायरे में आने वालों की संख्या में गिरावट आना, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये चिंता की बात है।
  • दरअसल, बैंक प्रतिनिधि से आशय ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें दूसरे वित्तीय संस्थानों की तरफ से सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। यह अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से जमा स्वीकार करता है और अन्य लेन-देन करता है।
  • इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों में आने वाली समस्या और कुछ भुगतानों के अंडरग्राउंड चैनलों के ज़रिेये चलाए जाने के मुद्दों पर भी गौर किया गया।
  • एफएसबी ने कहा कि इसका वित्तीय समावेश पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और साथ ही वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर भी प्रभाव पड़ रहा है। एफएसबी ने इस संबंध में अपनी कार्य योजना को जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रस्तुत किया है। 

क्या है एफएसबी

  • वैश्विक वित्तीय संकट के बाद दुनिया के देशों में राष्ट्रीय स्तर के वित्तीय प्राधिकरणों और मानक स्थापित करने वाली संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिये एफएसबी की स्थापना की गई।
  • इसका उद्देश्य दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र में प्रभावी नियमन, निगरानी और अन्य वित्तीय नीतियों को विकसित करना और बढ़ावा देना है।
  • एफएसबी ने एक सहयोगी बैंकिंग समन्वय समूह (सीबीसीजी) का भी गठन किया है, जो कि कार्य-योजना के क्रियान्‍वयन और उसको आगे बढ़ाने के काम में समन्वय स्थापित करेगा।

एफएसबी रिपोर्ट कार्ड में भारत का प्रदर्शन

  • ध्यातव्य है कि वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत सहित जी-20 देशों में वित्तीय नियमन सुधारों के क्षेत्र में हुई प्रगति की ताज़ा जानकारी दी गई है।
  • यह रिपोर्ट जर्मनी में होने जा रही जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन से पहले सौंपी गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत को बेहतर अनुपालन वाले उन देशों की सूची में रखा गया है, जिन देशों ने वित्तीय क्षेत्र में प्राथमिकता वाले सुधारों का अनुपालन कर लिया है।
  • इस रिपोर्ट में भारत को वित्तीय क्षेत्र के बासेल-3 नियमों के तहत जोखिम आधारित पूंजी के मामले में ‘अनुपालन’ वाले देशों की सूची में रखा गया है, जबकि तरलता कवरेज़ अनुपात के मामले में भारत को “काफी कुछ अनुपालन” पूरा करने वाले देशों में शामिल किया गया है।
  • क्षतिपूर्ति संबंधी सुधारों के मामले में भारत उन देशों में शामिल है, जहाँ “कुछ को छोड़कर बाकी सभी में एफएसबी के सिद्धांतों और मानकों को लागू कर लिया गया है।”
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