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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्षय रोगियों के लिये आधार कार्ड की आवश्यकता

  • 22 Jun 2017
  • 4 min read

संदर्भ

  • सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने वाले क्षय के रोगियों  के लिये आधार कार्ड अनिवार्य करने जा रही है। आधार संख्या दोहराव से बचाने में मदद करेगी तथा मरीजो को ट्रैक कर सकेगी। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सरकार से नकद सहायता प्राप्त कर रहे क्षय  रोगियों, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाकर्मियों को 31 अगस्त  तक आधार डेटाबेस के साथ पंजीकरण कराना होगा। हालाँकि, किसी भी मरीज़ के पास आधार कार्ड न होने के कारण उसे इलाज से इंकार नहीं किया जायेगा । 
  • यह योजना सरकार के संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) से संबंधित है। 
  • 2012 के बाद से, सरकार ने यह आवश्यक कर दिया है कि क्षय रोग का इलाज करा रहे रोगियों को निक्षय (Nikshay ) से पंजीकृत होना होगा । 
  • निक्षय (Nikshay ) एक वेब-आधारित उपयोग है जिसका उपयोग प्राधिकारी वर्ग  आरएनटीसीपी से जुड़े फंड, उपचार के परिणाम और स्वास्थ्य प्रदाताओं को ट्रैक करने के लिये करते हैं। 
  • यह राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं और देश भर में पंजीकृत निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • यदि रोगी आधार कार्ड नहीं प्रदान कर पाता  है, तो वह आधार नामांकन संख्या या  आधार के लिये पंजीकरण करने का प्रमाण प्रदान कर सकता है या वह भी उपलब्ध नहीं होने पर, वह पहचान के अन्य दस्तावेज़ों जैसे- मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस या पैन कार्ड दिखा कर उपचार करवा सकता है । 

नकद सहायता

  • सरकार का कहना है कि रोगियों  को दिये जाने वाले किसी भी तरह के  संभावित नकद लाभों को अब लाभार्थियों के आधार से जुड़े बैंक खातों में भेजा जाएगा। 
  • वर्तमान में, सरकार आदिवासी  रोगियों  को नकद सहायता प्रदान करती हैं। 
  • इसके साथ-साथ सरकार मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी से प्रभावित रोगियों  को, निजी क्षेत्र के डॉक्टरों को जो ऐसे मामलों की रिपोर्ट करते हैं तथा रोगियों का पूरा इलाज करते हैं, जो रोगियों को  दवाइयाँ लेने में सहायता करते हैं तथा डॉट्स (DOTS ) प्रदाताओं को परिवहन भत्ता प्रदान करती है।
  • फिलहाल सरकार सभी रोगियों को नकद सहायता देने पर विचार कर रही है ताकि वे टीबी औषधि से लाभ प्राप्त कर सकें, क्योंकि नि:शुल्क उपचार के बावजूद, रोगियों को पोषण संबंधी खुराक पर काफी खर्च उठाना पड़ता है।
  • आधार से लिंक होना, अस्पतालों को अपने रोगियों को बेहतर तरीके से ट्रैक करने में मदद कर सकता है और यह सुनिश्चित करता है कि मरीज ने छह महीने के उपचार के दौरान कभी बीच में इलाज नहीं छोड़ा है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में क्षय  महामारी पहले के आंकलन की तुलना में अधिक थी।  भारत उन छह देशों में से एक है, जहाँ 2015 में नए पाए गए कुल मामलों में से 60% मामले पाए गए थे।
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