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15वें वित्त आयोग की सिफारिशें: क्षेत्र विशिष्ट

  • 04 Feb 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों जैसे- स्वास्थ्य, रक्षा और आंतरिक सुरक्षा तथा आपदा जोखिम प्रबंधन आदि के लिये की गई सिफारिशें शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

स्वास्थ्य:

  • वर्ष 2022 तक राज्यों द्वारा स्वास्थ्य व्यय को अपने बजट के 8% से अधिक तक बढ़ाया जाना चाहिये।
  • चिकित्सकों की उपलब्धता में अंतर-राज्यीय असमानता को देखते हुए अखिल भारतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा का गठन करना आवश्यक है, जैसा कि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 की धारा 2 ए के तहत परिकल्पित है।
  • 15वें वित्त आयोग में सभी स्तरों पर चिकित्सा सेवाओं की पूरी जाँच कर सुधार और संबद्ध स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिये भी धन आवंटित किया गया।

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

  • केंद्र सरकार भारत की लोक लेखा निधि के अंतर्गत एक गैर-व्यपगत निधि तथा रक्षा और आंतरिक सुरक्षा हेतु एक आधुनिकीकरण कोष (MFDIS) का गठन भी कर सकती है।

आपदा जोखिम प्रबंधन

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के अनुरूप राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर शमन निधियों का निर्माण करना।
    • फंड का उपयोग उन स्थानीय स्तर और समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के लिये किया जाना चाहिये जो जोखिम को कम करते हैं और पर्यावरण अनुकूल आवासों तथा आजीविका उपायों को बढ़ावा देते हैं।
  • प्राथमिक क्षेत्रों को निधि प्रदान करना: 15वें वित्त आयोग ने कुछ प्राथमिक क्षेत्रों के लिये निधि का आवंटन भी निर्धारित किया है, जैसे:
    • अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण तथा कटाव से प्रभावित विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को निधि का आवंटन करना।
    • 12 सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्यों को उत्प्रेरक सहायता, 10 पहाड़ी राज्यों में भूकंपीय और भूस्खलन जोखिमों का प्रबंधन, 7 सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करने और कटाव को रोकने के उपायों के लिये राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (NDMF) को धनराशि प्रदान करना।

स्रोत- पी.आई.बी

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