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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रेल के ब्रॉड गेज मार्गों का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण

  • 12 Sep 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय रेल के उन ब्रॉड गेज (बड़ी लाइन) मार्गों, जो कि अब तक विद्युतीकरण से वंचित, के विद्युतीकरण के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है।

प्रस्ताव के महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इन मार्गों को 108 सेक्शन के तहत 13,675 ट्रैक किलोमीटर (16,540 ट्रैक किलोमीटर) का कवरेज किया जाएगा।
  • विद्युतीकरण का कार्य 12,134.50 करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2021-22 तक पूरा किया जाना है।
  • भारतीय रेल नेटवर्क पर बड़े ट्रंक (मुख्य) मार्गों का विद्युतीकरण किया जा चुका है और ये ट्रैक चालू हैं।
  • पूरे नेटवर्क में बाधारहित रेल परिवहन की आवश्यकता पर विचार करते हुए यह आवश्यक है कि परिवर्तन की आवश्यकता से उत्पन्न बाधाएँ दूर की जाएँ।
  • प्रस्तावित विद्युतीकरण मुख्य रूप से उन क्षेत्रों को जोड़ने के लिये किया जाना है जहाँ अब तक विद्युतीकरण और अंतिम गंतव्य तक संपर्क नहीं हो पाया है।
  • इस प्रस्ताव के अनुसार विद्युतीकरण से आयातित जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में कमी आएगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा।
  • नियोजित विद्युतीकरण के बाद प्रतिवर्ष 2.83 बिलियन लीटर हाई स्पीड डीज़ल की खपत में कमी आएगी और जीएचजी उत्सर्जन कम होगा। इससे रेलवे के कारण होने वाले प्रतिकूल पर्यावरण प्रभाव में भी कमी आएगी।
  • अभी भारतीय रेल के लगभग दो-तिहाई माल ढुलाई तथा यात्री परिवहन के आधे से अधिक का संचालन बिजली से हो रहा है। लेकिन बिजली का भारतीय रेल के कुल ऊर्जा व्यय में केवल 37 प्रतिशत का योगदान है।
  • विद्युतीकरण के बाद भारतीय रेल अपने ईंधन बिल में प्रतिवर्ष 13,510 करोड़ रुपए की बचत करेगी और इससे वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
  • प्रस्तावित विद्युतीकरण से निर्माण अवधि के दौरान 20.4 करोड़ मानव दिवसों का प्रत्यक्ष रोज़गार सृजन होगा। इस निर्णय होने वाले अन्य लाभ निम्नलिखित हैं-

क्षमता और गति

  • 100 प्रतिशत विद्युतीकरण से बाधारहित ट्रेन संचालन सुनिश्चित होगा और ट्रैक्शन परिवर्तन यानी डीज़ल से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक से डीज़ल ट्रैक्शन में परिवर्तन के कारण ट्रेनों को रोककर रखने की प्रवृत्ति समाप्त होगी।
  • बिजली चालित इंजनों की उच्च गति तथा उच्च वहन क्षमता के कारण रेलवे को लाइन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • सुरक्षित व सुधरी हुई सिग्नल प्रणाली से ट्रेन संचालन के दौरान सुरक्षा बढ़ेगी।

ऊर्जा सुरक्षा

  • सरकार की नई ऑटो ईंधन नीति के अनुरूप पूरी तरह बिजली ट्रैक्शन अपनाने से प्रतिवर्ष जीवाश्म ईंधन खपत में लगभग 2.83 बिलियन लीटर की कमी आएगी।
  • पेट्रोलियम आधारित ईंधन की आयात निर्भरता में कमी से देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

ऊर्जा बिल बचत

  • ईंधन बिल में संपूर्ण रूप से प्रतिवर्ष 13,510 करोड़ रुपए की बचत होगी।
  • इस निर्णय के अंतर्गत कवर किये गए सेक्शनों के विद्युतीकरण से प्रतिवर्ष 3,793 करोड़ रुपए की बचत होगी।
  • इंजन के रख-रखाव पर होने वाले खर्च में कमी आएगी, क्योंकि बिजली चालित इंजनों की रख-रखाव लागत 16.45 रुपए प्रति हज़ार GTKM है जबकि डीज़ल ईंजनों के रख-रखाव की लागत 32.84 रुपए प्रति हज़ार GTKM है।
  • बिजली इंजनों की पुर्नउत्पादन सुविधा से 15-20 प्रतिशत ऊर्जा की बचत होगी तथा उच्च अश्व शक्ति के कारण इलेक्ट्रिक लोको की आवश्यकता में कमी आएगी।

निरंतरता

  • बिजली के लिये प्रति टन पर्यावरण लागत 1.5 पैसे  होती है और डीज़ल ट्रैक्शन के लिये  5.1 पैसे होती है।
  • COP 21 में भारत की वचनबद्धता के अनुरूप पूरी तरह बिजली ट्रैक्शन अपनाने से वर्ष 2027-28 तक रेलवे के कार्बन उत्सर्जन में 24 प्रतिशत की कमी आएगी।
  • वर्ष 2019-20 तक बिजली ट्रैक्शन के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन डीज़ल से कम होगा और इस तरह यह पर्यावरण अनुकूल विकल्प साबित होगा।

रोज़गार सृजन

  • निर्माण अवधि के दौरान लगभग 20.4 करोड़ मानव दिवसों का प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होगा।
  • उपर्युक्त लाभों के माध्यम से संपूर्ण विद्युतीकरण आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के लिये अग्रदूत का काम करेगा और अधिक आर्थिक लाभ प्रदान करेगा।

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