लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



एडिटोरियल

भारतीय अर्थव्यवस्था

19 वस्तुओं के आयात शुल्क में वृद्धि

  • 01 Oct 2018
  • 7 min read

संदर्भ

हाल ही में सरकार ने जेट ईंधन, एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर सहित कुल 19 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय 29 सितंबर, 2018 की मध्यरात्रि से प्रभावी हो जाएगा। वित्त मंत्रालय के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में इन 19 उत्पादों का कुल आयात बिल 86,000 करोड़ रुपए रहा था। उल्लेखनीय है कि सरकार ने चालू खाता घाटा (CAD) पर अंकुश तथा रुपए की गिरावट में कमी लाने के लिये यह कदम उठाया है।

चालू खाता घाटा (CAD)

  • चालू खाते के अंतर्गत मुख्यत: तीन प्रकार के लेन-देन, जिसमें पहला वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात और दूसरा कर्मचारियों व विदेशी निवेश से प्राप्त आय एवं खर्च तथा तीसरा करंट ट्रांसफर (विदेशों से प्राप्त अनुदान राशि, उपहार और विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजी जाने वाली रेमिटेंस की राशि) को शामिल किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि विदेशी मुद्रा के अंत: और ब्राह्य प्रवाह के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा (CAD) कहते है।
  • यदि यह अंतर नकारात्मक होता है तो इसे चालू खाता घाटा (CAD) कहते हैं और सकारात्मक होने पर इसे चालू खाते का सरप्लस कहा जाता है।
  • चालू खाता घाटा में उतार-चढ़ाव का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर पर भी प्रभाव पड़ता है। यही मुख्य कारण है कि इसे GDP प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। उल्लेखनीय है कि CAD में सबसे बड़ा हिस्सा व्यापार घाटे का होता है।

उदेश्य

  • मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार ने मूल सीमा शुल्क बढ़ाकर शुल्क उपाय किये हैं।
  • जिसका मुख्य उद्देश्य कुछ आयातित वस्तुओं का आयात घटाना है ताकि इन बदलावों से चालू खाता घाटा (CAD) को सीमित किया जा सके तथा बढ़ते CAD से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये व्यापक उपायों को स्थापित किया जा सकेगा।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक स्थिति की समीक्षा बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ‘‘बढ़ते कैड के मुद्दे से निपटने के लिये सरकार गैर आवश्यक वस्तुओं का आयात घटाएगी और निर्यात बढ़ाएगी।’’

किन वस्तुओं पर बढ़ाया गया आयात शुल्क

  • वित्त मंत्रालय के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में 19 उत्पादों का कुल आयात बिल 86,000 करोड़ रुपए रहा था।
  • कुल मिलाकर 19 वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। उल्लेखनीय है कि इनमें स्पीकर, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन,रेडियल कार टायर, आभूषण उत्पाद, कुछ प्लास्टिक का सामान तथा सूटकेस आदि शामिल हैं।
  • इसी तरह कम्प्रेसर, स्पीकर और फुटवियर पर आयात शुल्क बढ़ाकर क्रमश: 10, 15 और 25 प्रतिशत किया गया है।
  • रेडियल कार टायर पर आयात शुल्क बढ़ाकर 10 से 15 प्रतिशत किया गया है। तराशे और पालिश किये गए, अर्द्ध प्रसंस्कृत और प्रयोगशाला में बनाए गए एवं रंगीन रत्नों पर आयात शुल्क को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
  • इसी प्रकार आभूषण, सुनार, चाँदी के बर्तन बनाने वालों की वस्तुओं पर आयात शुल्क को 15 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • स्नानघर का सामान, पैकिंग सामग्री, रसोई के सामान, ऑफिस स्टेशनरी, सजावट वाली शीट, मनकों, चूड़ियाँ, ट्रंक, सूटकेस और यात्रा बैग पर अब 10 की बजाय 15 प्रतिशत सीमा शुल्क लगेगा।

वर्तमान निर्णय का प्रभाव

  • वस्तुओं के एक समूह पर 20% तक आयात शुल्क को बढ़ाने का निर्णय इन उत्पादों की खपत को कम कर सकता है, खासतौर पर उस समय जब डॉलर के मुकाबले रुपए की स्लाइड पहले से ही इन वस्तुओं को महँगी बनाती है।
  • यहाँ यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार का कदम एक मनोवैज्ञानिक 'टिपिंग प्वाइंट' में बदल जाता है जिससे आयातित वस्तुओं पर शुल्क वृद्धि से खपत व्यवहार में परिवर्तन हो सकता है।
  • यदि ऐसा होता है, तो इन वस्तुओं में से कुछ के घरेलू उत्पादन में अधिक निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि विमानन टरबाइन ईंधन पर टैरिफ को शून्य से बढ़ाकर 5% तक किया गया है जिससे घरेलू एयरलाइन ऑपरेटरों की समस्याएँ बढ़ सकती है, साथ ही पहले से ही रुपए और बढ़ती तेल की कीमतें CAD मार्जिन को चोट पहुँचा रही हैं।
  • वहीं वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और ईरान पर लगा प्रतिबंध भारत को अन्य तेल आपूर्तिकर्त्ताओं की तलाश हेतु मज़बूर कर सकता है।

आगे की राह

  • नीति निर्माताओं को निर्यात व्यापार को बढ़ावा देने के लिये नवीन प्रयासों को अपनाने की आवश्यकता है।
  • उल्लेखनीय है कि जीएसटी के चलते छोटे निर्यातकों की कामकाजी पूंजीगत कमी ने निर्यात को बुरी तरह प्रभावित किया गया है।
  • ऐसे में चीन से बाहर आने वाले वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की कुछ श्रम-केंद्रित आपूर्ति श्रृंखलाओं को लुभाने हेतु काम करने की आवश्यकता है।
  • यह एक विडंबना है कि कोयले के भंडार की प्रचुरता के बावजूद, थर्मल कोयला भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ते आयातों में से एक है। यह संपूर्ण कोयला उत्पादन और उपयोग श्रृंखला के आधुनिकीकरण करने में कम निवेश का परिणाम है जिसे शीघ्रता से संज्ञान में लिया जाना चाहिये।
  • तेल की बढ़ती कीमतों से तेल का आयात महँगा होगा जिसके चलते भारत में महँगाई दर बढ़ने की संभावना है। बढ़ी हुई महँगाई दर का असर बुनियादी तथा अन्य आधारभूत संरचनाओं पर भी पड़ेगा।
  • अतः सरकार को CAD को सकल घरेलू उत्पाद के 3% से अधिक या उससे भी अधिक बढ़ाने के लिये संरचनात्मक असंतुलन को कम करने में तत्परता लाने की आवश्यकता होगी।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2