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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण’ - सर्च इंजन और उच्चतम न्यायलय

  • 18 Feb 2017
  • 9 min read

संदर्भ :

सुप्रीम कोर्ट ने देश में लिंगानुपात को कम करने और लिंग परीक्षण कर गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या पर रोक लगाने की दिशा में अपने एक अहम फैसले में सर्च इंजन गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को लिंग परीक्षण के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया है | कोर्ट ने तीनों कंपनियों से ऐसी सामग्री की पहचान करने और उसे हटाने के लिए आंतरिक व्यवस्था बनाने को कहा।

प्रमुख बिंदु :

  • ध्यातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता साबू मैथ्यू जॉर्ज ने इस मसले पर जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि भारत में गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण की मनाही है। 
  • भारत में किसी भी ऐसी सामग्री को अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती जो ‘प्री कॉन्सेप्शन और प्री नैटल डाइगनोस्टिक टेक्नीक एक्ट, 1994’ (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act - PCPNDT)  का उल्लंघन करती हो | इस एक्ट में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण सम्बन्धी विज्ञापनों के लिए तीन वर्ष की सज़ा का प्रावधान किया गया है |
  • इसके बावजूद इंटरनेट पर तमाम ऐसे विज्ञापन और सामग्री मौजूद हैं, जिनमें लोगों को भ्रूण के लिंग परीक्षण की सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
  • इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आर. भानुमती की पीठ ने कहा कि तीनों कंपनियाँ आंतरिक विशेषज्ञ समूह बनाएँ जो लिंग जांच से जु़ड़ी सामग्री की पहचान करे और उसे अपनी-अपनी वेबसाइटों से हटाएं।
  • लडकियों की घटती संख्या मानव जाति के लिए घातक संकेत है। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ में पल रहे बच्चे के परीक्षण से जड़ी सामग्री पर सर्च इंजनों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू को क़़डी फटकार लगाई।
  • हालांकि कोर्ट ने तीनों कंपनियों से कहा कि वह उनके खिलाफ कोई अवमानना कार्यवाही  शुरू नहीं करेगी। वह सिर्फ इतना चाहती है कि तीनों कंपनियाँ लिंग जांच को प्रतिबंधित करने से जु़ड़े कानूनों के प्रति जवाबदेह बनें।
  • कोर्ट ने कई सर्च की-वर्ड ब्लॉक करने को भी कहा था लेकिन गुरवार को सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने शिकायत की कि इंटरनेट कंपनियां कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। सॉलिसीटर जनरल ने अपने मोबाइल पर कुछ की--वर्ड डालकर नतीजा कोर्ट को दिखाया। 
  • इस पर पीठ ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि जो कंपनियां भारत में काम कर रही हैं वे भारत में पैसा बनाना जानती हैं लेकिन भारत के कानून का सम्मान नहीं करती हैं समस्या का मूल कारण यही है।
  • इस टिप्पणी के साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह पाया है कि इन तीनों कंपनियाँ भारतीय कानून को लेकर गंभीर नही हैं |
  • कोर्ट ने दूसरे देशों में ऐसे ही कंटेंट बैन होने का उदाहरण देते हुए गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को भारतीय कानून के प्रति उत्तरदायी होने की बात कही है| कोर्ट का कहना है कि जब दूसरे देशों में ये कंटेंट बैन है तो भारत से क्यों नहीं हो सकता |
  • कोर्ट ने तीनों कंपनियों से कहा है कि आप किसी देश के कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते |भारतीय कानून के प्रति आपको उत्तरदायी होना ही होगा|
  • अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने लिंग परीक्षण संबंधी ऑनलाइन विज्ञापन देने के साथ ही उससे संबंधित सामग्रियां परोसने वाली इन तीनों कंपनियों को निर्देश देते हुए कहा है कि लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापन और परोसी जा रही सामग्रियां भारत में लागू कानून का उल्लंघन करती हैं |
  • इन कंपनियों को तत्काल प्रभाव से, इस तरह के विज्ञापनों और सामग्रियों के ऑनलाइन प्रचार से वह सभी चीज़ें हटानी होंगी जो किसी भी रूप में गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग निर्धारण में मदद करती हैं और कानून का उल्लंघन करती हैं।
  • कोर्ट ने लिंग परीक्षण से जुड़े कंटेंट को बैन करने के लिए इन कंपनियों से एक इंटर्नल एक्सपर्ट पैनल बनाने का भी निर्देश दिया है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग जांच से जुड़े आपत्तिजनक शब्दों की पहचान करके, उससे जुड़ी चीज़ें दिखाने से रोके |
  • कोर्ट ने कहा कि सिस्टम इतना अपडेट होना चाहिए कि ऐसी चीजें स्वतः ही ब्लॉक हो जाएँ |
  • कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सभी कंपनियों के वकीलों ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वो हर हाल में भारतीय कानून का सम्मान और पालन करते रहेंगे|

कम्पनियों का पक्ष :

  • कंपनियों ने कहा कि वे भारत के कानूनों का सम्मान करती हैं और कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन करने के कोशिश की जा रही है।
  • गूगल इंडिया ने कहा कि वह कोर्ट के निर्देशों का पालन करती है। गूगल की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि लिंग जांच से जु़डे विज्ञापनों को हटाने के कोर्ट के निर्देश का पालन किया गया है | पहले ही काफी आपत्तिजनक सामग्री हटाई जा चुकी है और बाकी सामग्री पर भी शीघ्र ही काम कर लिया जाएगा

पृष्ठभूमि :

  • इससे पहले सुप्रीम कोर्ट सर्च इंजनों को इस तरह के विज्ञापन और सामग्री हटाने का आदेश दे चुका है।
  • पिछले साल दो जजों की एक बेंच ने भी गूगल इंडिया, याहू इंडिया और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को लिंग परीक्षण से जुड़े कंटेंट्स को शिकायत के 36 घंटे के भीतर हटाने का निर्देश दिया था|
  • मार्च 2015 में कोर्ट ने इन तीनों कंपनियों को निर्देश दिया था कि प्री कॉन्सेप्शन और प्री नैटल डाइगनोस्टिक टेक्नीक एक्ट 1994 का उल्लंघन करने वाले किसी भी विज्ञापन को न चलाए|
  • अपने वर्तमान आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने लिंग परीक्षण संबंधी ऑनलाइन विज्ञापन देने के साथ ही उससे संबंधित सामग्रियां परोसने वाली इन तीनों कंपनियों को निर्देश देते हुए कहा है कि लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापन और परोसी जा रही सामग्रियाँ भारत में लागू कानून का उल्लंघन करती हैं|

निष्कर्ष :

कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि ये तीनों कंपनियां तत्काल प्रभाव से इन विज्ञापनों और सामग्रियों के ऑनलाइन प्रचार से हटाए | सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भी इस सम्बन्ध में एक नोडल एजेंन्सी बनाने हेतु निर्देशित किया है जो टीवी, रेडियो एवं अखबारों द्वारा प्रचारित भ्रूण के लिंग परीक्षण सम्बन्धी सामग्रियों या विज्ञापनों की रोकथाम कर सके और इस मामलों में कड़ी कार्यवाही करने में सक्षम हो | साथ ही, इस नोडल एजेंसी के बारे में लोगों को बताने और जागरूकता बढाने को कहा है ताकि लोग इसके बारे में जान सकें और ऐसी किसी समस्या को लेकर सीधे नोडल एजेंसी तक पहूँच सकें |  कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 11 अप्रैल तय की है ।

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