लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



एडिटोरियल

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

H1-B वीज़ा का मुद्दा: समस्या और समाधान

  • 05 Aug 2020
  • 12 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में H1-B वीज़ा का मुद्दा व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय सरकार के किसी भी कार्य में भाग लेने से प्रवासी कामगारों को रोकने के लिये H1-B वीज़ा समेत अन्य सभी विदेशी वर्क-वीज़ा (Work Visas) पर प्रतिबंध लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है। इस प्रतिबंध से भारत समेत कई देशों के प्रवासी कामगार व ग्रीन कार्ड धारक व्यक्ति प्रभावित होंगें। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, यह कदम उन लाखों अमेरिकी नागरिकों की सहायता करने के लिये अति आवश्यक है जो वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक संकट के चलते बेरोज़गार हो गए हैं। 

अमेरिका में नवंबर, 2020 में राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव होने हैं ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप का यह आदेश चुनाव के दृष्टिकोण से अधिक मायने रखता है। ध्यातव्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को भेजे पत्र में एक अमेरिकी सांसद ने वैश्विक महामारी COVID-19 के कारण बढ़ती बेरोज़गारी के कारण अमेरिकी कामगारों की आय और रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देने हेतु H-1B, H4, H2-B, H-3, ‘ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम’ (Optional Practical Training Program) और प्रवासी श्रमिकों से जुड़ी अन्य योजनाओं पर रोक लगाने की मांग की थी।

इस आलेख में जारी किये जाने वाले वीज़ा के विभिन्न प्रकारों, प्रतिबंध के कारण, भारत पर पड़ने वाले प्रभाव तथा अमेरिका पर पड़ने वाले प्रभाव और समाधान के प्रयासों पर विमर्श किया जाएगा। 

वीज़ा के विभिन्न प्रकार

  • H1-B वीज़ा: संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों को H1-B वीज़ा प्राप्त करना आवश्यक होता है। H1-B वीज़ा वस्तुतः ‘इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट’ (Immigration and Nationality Act) की धारा 101(a) और 15(h) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक गैर-अप्रवासी (Non-immigrants) नागरिकों को दिया जाने वाला वीज़ा है। यह अमेरिकी नियोक्ताओं को विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
  • H-4 वीज़ा: H1-B वीज़ा धारकों के आश्रित परिवार के सदस्यों (पति/पत्नी) को एक H-4 वीज़ा जारी किया जाता है जो कि H1-B वीज़ा धारक के साथ उनके प्रवास के दौरान अमेरिका में ही रहना चाहते हैं। H-4 वीज़ा के तहत मुख्य आवेदक H1-B वीज़ा धारक ही होता है। H-4 वीज़ा के लिये परिवार के सदस्य जैसे पति/पत्नी, 21 वर्ष से कम आयु के बच्चे अर्हता प्राप्त कर सकते हैं और अपने देश के ही अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में आवेदन कर सकते हैं।
  • H2-B वीज़ा- इस तरह के वीज़ा का आवेदन करने के लिये आवेदन पत्र को श्रम विभाग से प्रमाणित होना चाहिये। यह अस्थाई रोज़गार के लिये जारी किया जाता है। 
  • H-3 वीज़ा- यह वीज़ा प्रशिक्षुओं के लिये जारी किया जाता है। जो लोग किसी कार्य के प्रशिक्षण के लिये अमेरिका जाना चाहते हैं वे लोग इस तरह के वीज़ा के लिये आवेदन करते हैं।
  • L-1 वीज़ा: एक गैर-प्रवासी वीज़ा है जिसके तहत कंपनियाँ विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में मौजूद अपनी सहायक कंपनियों या फिर मूल कंपनी में रख सकती हैं।

वीज़ा निलंबन का कारण 

  • वर्ष 1952 में H1 वीज़ा योजना की शुरुआत के बाद से ही अमेरिका की आर्थिक स्थिति के आधार पर अन्य देश के कुशल श्रमिकों की कुछ श्रेणियों को अनुमति देने अथवा अस्वीकार करने के उद्देश्य से कई संशोधन और बदलाव हुए हैं। 
  • भारत और चीन जैसे विकासशील राष्ट्रों में इंटरनेट और कम लागत वाले कंप्यूटरों के आगमन के साथ ही बड़ी संख्या में स्नातक, अमेरिका जैसे बड़े देशों में अपेक्षाकृत कम लागत पर कार्य करने के लिये तैयार होने लगे। 
  • दूसरे देशों से कम लागत पर कर्मचारी आने के कारण अमेरिका के अपने घरेलू कर्मचारियों को काम मिलना बंद हो गया, जिससे अमेरिका के स्थानीय निवासियों के बीच बेरोज़गारी बढ़ने लगी। 
  • अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ही राष्ट्रपति ट्रंप ने अन्य देशों से आए हुए श्रमिकों को अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बाधक और स्थानीय लोगों से रोज़गार छीनने वाले समूह के रूप में देखा। 
  • ध्यातव्य है कि अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, अमेरिका की बेरोज़गारी दर में फरवरी 2020 से मई 2020 के बीच लगभग चौगुनी वृद्धि हुई है।  
  • वैश्विक महामारी COVID-19 के बाद अमेरिका में बेरोज़गारी की स्थिति भयावह होती जा रही है, ऐसे में स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु सभी प्रकार के वर्क वीज़ा पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। 

भारत पर पड़ने वाले प्रभाव

  • अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों का सर्वाधिक प्रभाव भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा, आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 1990 के बाद से प्रत्येक वर्ष जारी किये जाने वाले H-1B और अन्य वीज़ा श्रेणियों में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक (लगभग 60-70 प्रतिशत) रही है। 
  • अमेरिकी प्रशासन के श्रम विभाग के द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2020 तक ‘यूएस सिटिज़नशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज़’ (US Citizenship and Immigration Services-USCIS) को लगभग 2.5 लाख H-1B वर्क वीज़ा एप्लिकेशन प्राप्त हुए थे, जिसमें से लगभग 1.84 लाख या 67 प्रतिशत भारतीय आवेदक थे। 
  • माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट के हालिया अध्ययन के अनुसार, लगभग 97 प्रतिशत H-4 वीज़ा धारक महिलाएँ हैं और उनमें भी लगभग 93 प्रतिशत भारत से हैं, जबकि 4 प्रतिशत चीन से हैं।
  • वर्क वीज़ा पर प्रतिबंध से भारत समेत अन्य देशों की कंपनियों को अपेक्षाकृत महँगे अमेरिकी पेशेवरों की नियुक्ति के लिये विवश होना पड़ेगा, ऐसे में इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 
  • बड़ी संख्या में इन पेशेवरों के वापस आने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर इन्हें रोज़गार उपलब्ध कराने का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
  • भारत को प्राप्त होने वाले रेमिटेंस पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।       

संयुक्त राज्य अमेरिका पर पड़ने वाले प्रभाव

  • अमेरिका इस बात को समझने में असमर्थ है कि उसके इस कदम से उसका भी नुकसान हो सकता है। अमेरिका में H1-B वीज़ा पर काम करने वाले अधिकांशतः पेशेवरों के साथ उनका परिवार भी अमेरिका में ही रहने आ जाता है। चूँकि उनका यह परिवार किसी न किसी व्यवसाय से जुड़ा होता है इसलिये अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है।
  • वर्क वीज़ा पर प्रतिबंध के माध्यम से अमेरिका न केवल विदेशों पेशवरों को रोक रहा है बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था की प्रगति पर भी विराम लगा रहा है।
  • अमेरिका में व्यावसायिक पेशेवरों की कमी हो सकती है, जिससे विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों में कुशल व्यक्तियों का अभाव होगा जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा।
  • अमेरिका द्वारा लगाए गए वर्क वीज़ा प्रतिबंध से कई भारतीय व अन्य देशों की कंपनियाँ अपना कारोबार समेत सकती हैं।
  • चूँकि नियमों के अनुसार, भारत समेत अन्य देशों की कंपनियाँ वर्तमान में लगभग 50 प्रतिशत अमेरिकी पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं ऐसे में यदि ये कंपनियाँ अमेरिका से अपना कारोबार समेटती हैं तो यहाँ बेरोज़गारी की दर में तीव्र वृद्धि होगी। 

समाधान

  • विशेषज्ञों के अनुसार, COVID-19 की महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के परिणामस्वरूप आने वाले दिनों में विश्व के बहुत से देश स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिये आव्रजन में अधिक-से-अधिक कमी करने का प्रयास करेंगे। ऐसे में सरकार को देश में रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करने पर विशेष ध्यान देना होगा।
  • देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर नए संसाधनों का विकास कर इस समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) क्षेत्र की कई कंपनियों जैसे-TCS, विप्रो आदि एक नए मॉडल पर कार्य कर रहीं हैं जिसके तहत आधे से अधिक कर्मचारियों को घर से कार्य करने की सुविधा होगी, इसके माध्यम से भारत में रह रहे कामगार विश्व के अन्य देशों में स्थित कंपनियों में अपनी सेवाएँ दे पाएँगे।

प्रश्न- H1-B वीज़ा क्या है? वीज़ा निलंबन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए इसके प्रभावों का विश्लेषण कीजिये

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2