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एडिटोरियल

भारतीय अर्थव्यवस्था

घरेलू पर्यटन अवसर

  • 20 Sep 2021
  • 12 min read

यह एडिटोरियल 17/09/2021 को ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित ‘‘A domestic tourism opportunity has presented itself. India must seize it’’ लेख पर आधारित है। इसमें पर्यटन क्षेत्र, इससे संबद्ध बाधाओं और आगे की राह के संबंध में चर्चा की गई है।

पिछले 20 वर्षों में विश्व ने डॉट-कॉम बबल, 9/11 हमला, 2008 की वित्तीय मंदी जैसी कई वैश्विक प्रतिकूलताओं का सामना किया है। कोविड-19 एक मैक्रो-इवेंट के कारण होने वाला एक और व्यवधान रहा है, लेकिन इसकी तीव्रता कहीं अधिक गंभीर है।  

सभी अन्य चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों की तरह इस महामारी-प्रेरित संकट ने भी हमें पर्यटन संभावना पर पुनर्विचार करने का एक अवसर प्रदान किया है। लेकिन इसके लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति, निजी क्षेत्र की उद्यमशीलता की भावना और निवेश समर्थन की आवश्यकता है।

Domestic-Tourism-Opportunity

पर्यटन क्षेत्र का महत्त्व:

  • आय और रोज़गार सृजन: वर्ष 2020 में भारतीय पर्यटन क्षेत्र का 31.8 मिलियन रोज़गार में योगदान रहा, जो देश में कुल रोज़गार का 7.3% था।  
    • वर्ष 2029 तक यह लगभग 53 मिलियन रोज़गार प्रदान कर रहा होगा।
  • सेवा क्षेत्र: यह सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देता है। एयरलाइन, होटल, भूतल परिवहन जैसे सेवा क्षेत्र से संबद्ध व्यवसायों की एक बड़ी संख्या का विकास पर्यटन क्षेत्र के विकास के साथ-साथ होता है। 
  • विदेशी पर्यटक भारत को शुद्ध विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद करते हैं। 
  • पर्यटन क्षेत्र पर्यटन स्थलों के महत्त्व और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित कर राष्ट्रीय विरासत और पर्यावरण के संरक्षण में मदद करता है।  
  • पर्यटन ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायता करता है, लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ाता है और इस प्रकार भारत एवं अन्य देशों के बीच मित्रता व सहयोग को बढ़ावा देता है। 

पर्यटन क्षेत्र में बाधाएँ:

  • आधारभूत संरचना और संपर्क (कनेक्टिविटी): आधारभूत संरचना की कमी और अपर्याप्त संपर्क विभिन्न विरासत स्थलों तक पर्यटकों की पहुँच को बाधित करते हैं।  
    • इसके अलावा, भारत में पर्यटन स्थल तो पर्याप्त संख्या में हैं, परंतु उन्हें जोड़ने वाले स्वर्ण त्रिभुज (दिल्ली-आगरा-जयपुर) जैसे कुछ ही सर्किट या खंड मौज़ूद हैं।  
  • प्रचार और विपणन: यद्यपि इसका विस्तार हो रहा है, ऑनलाइन मार्केटिंग/ब्रांडिंग अभी सीमित ही है और अभियान समन्वित नहीं हैं।  
    • पर्यटक सूचना केंद्र कुप्रबंधन का शिकार हैं, जिससे घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों के लिये सरलता से सूचनाएँ पाना कठिन हो जाता है।
  • कौशल की कमी: पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिये पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी आगंतुकों को विश्वस्तरीय अनुभव दे सकने के मार्ग में एक उल्लेखनीय चुनौती है।  
    • बहुभाषी प्रशिक्षित गाइड्स की सीमित संख्या और पर्यटन विकास से जुड़े लाभों एवं ज़िम्मेदारियों के संबंध में सीमित स्थानीय जागरूकता एवं समझ पर्यटन क्षेत्र के विकास में बाधाओं के रूप में कार्य करती हैं।
  • पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं: विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ‘यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट’ 2019 के अनुसार, 140 देशों की सूची में भारत सांस्कृतिक संसाधनों एवं व्यापारिक यात्रा के मामले में 8वें, मूल्य प्रतिस्पर्द्धात्मकता के मामले में 13वें और प्राकृतिक संसाधनों के मामले में 14वें स्थान पर था।  
    • अलग-अलग विषयों में इस शानदार रैंकिंग के बावजूद समग्र पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता में भारत का 34वें स्थान पर होना यह इंगित करता है कि भारत अन्य देशों की तरह अपनी विरासत में निहित मूल्यवान आस्तियों का मुद्रीकरण या विपणन करने में पूर्ण सफल नहीं रहा है।

आगे की राह:

  • एक सुदृढ़ परिवहन नेटवर्क: यात्रा एवं पर्यटन सड़क, रेलवे एवं हवाई मार्ग पर संचालित एक सुदृढ़ परिवहन नेटवर्क पर अत्यधिक निर्भर होते हैं।  
    • अंतिम-दूरी संपर्क को बेहतर बनाने के लिये अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
    • रेलवे के मामले में यातायात गतिहीन बना रहा है। 
      • रेलवे को आमूलचूल सुधारों की आवश्यकता है। यात्री ट्रेन सेवा में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिये सरकार द्वारा एक आरंभिक पेशकश की गई है, लेकिन समय की आवश्यकता है कि इस विषय में व्यापक सुधार लाया जाए।
    • हवाई यात्रा के मामले में बेहतर कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के अनछुए पर्यटन संभावनाओं को उभारने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान में उड़ान (UDAN) योजना के अंतर्गत शामिल कुल मार्गों के 50% से भी कम परिचालन में हैं।  
      • इन मार्गों को परिचालित करना और एयरलाइनों के लिये व्यवहार्य बनाना महत्त्वपूर्ण है ताकि सिक्किम में ज़ुलुक, अरुणाचल में ज़ीरो, असम में माजुली जैसे अब तक अनछुए बेहद आकर्षक पर्यटन स्थलों को वाणिज्यिक उड़ानों, हेलीकॉप्टरों और हवाई टैक्सियों के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी मिल सके।  
  • अवसंरचनात्मक क्षमता का उन्नयन: शीर्ष पर्यटन स्थलों की अवसंरचनात्मक क्षमता के उन्नयन की अत्यंत आवश्यकता है।  
    • पर्यटकों का अधिक आगमन, लेकिन बदतर अवसंरचनात्मक समर्थन के कारण भारत के शीर्ष पर्यटन स्थल चरमरा रहे हैं।
    • शिमला में जल की कमी और बुनियादी ढाँचे की समस्या सर्वविदित है और इस बार कोविड-19 की दो लहरों के बीच यह समस्या और प्रकट हुई है।
    • महामारी से पहले वर्ष 2018 में लगभग 26 मिलियन भारतीयों ने विदेश यात्रा की जिसमें लगभग 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये।
    • इस प्रकार, अवसंरचनात्मक बाधाओं को दूर करना समय की बड़ी ज़रूरत है।
  • अनदेखे स्थलों में संभावना की तलाश: हमें भारत में विभिन्न कम अनदेखे पर्यटन स्थलों के बारे में जागरूकता पैदा करने की भी आवश्यकता है। पर्यटन मंत्रालय ने 'देखो अपना देश अभियान' के साथ इस विषय में एक मज़बूत कदम बढ़ाया है, लेकिन सरकार और निजी क्षेत्र को ऐसे अभियानों के विकास की दिशा में आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है जो उभरती यात्रा प्राथमिकताओं के अनुरूप घरेलू यात्रा को बढ़ावा देंगे।     
    • इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिये भारत के अनदेखे पर्यटन स्थलों की पहचान करना, उनका विकास करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है ताकि अत्यधिक उजागर लोकप्रिय स्थानों पर पर्यटकों के बोझ को कम किया जा सके। उल्लेखनीय है कि चरम पर्यटन मौसम में ये अधिक लोकप्रिय स्थल ही पर्यटकों की 90% से अधिक संख्या का वहन करते हैं।
  • प्रोत्साहन और रियायतें: इस विश्वास के साथ कि यात्रा और पर्यटन क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तथा रोज़गार सृजन में महत्त्वपूर्ण योगदान देना जारी रखेंगे, यह उपयुक्त समय है कि घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन एवं रियायतें प्रदान की जाएँ।  
    • हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया है। यह कदम केंद्र और राज्य, दोनों को ऐसी नीतियाँ बनाने का अवसर देंगी जो इस क्षेत्र को लाभान्वित कर सकें।  
    • इस कदम से पर्यटन क्षेत्र को विशेष रूप से लाभ प्राप्त हो सकता है क्योंकि इससे संपत्ति एवं अन्य करों का युक्तिकरण होगा, समग्र रूप से उन्हें औद्योगिक दर्जा प्राप्त होगा और बिजली एवं पानी की दरें कम होंगी। 

निष्कर्ष

अपनी निहित संभावनाओं के साथ पर्यटन क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास के पुनरुद्धार के इंजन के रूप में कार्य कर सकता है, बल्कि विश्व के समक्ष ‘ब्रांड इंडिया’ की पेशकश भी कर सकता है।

Advantage-India

अभ्यास प्रश्न: कोविड-19 महामारी से उत्पन्न संकट ने हमें पर्यटन क्षमता को पुनर्सृजित करने का एक अवसर भी प्रदान किया है। टिप्पणी कीजिये।

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