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भारतीय राजव्यवस्था

जम्मू-कश्मीर में लागू हुआ राष्ट्रपति शासन

  • 20 Dec 2018
  • 9 min read

संदर्भ


19 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की 6 माह की अवधि समाप्त होने बाद केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अधिसूचना के बाद 20 दिसंबर की रात से राज्य की विधायिका शक्तियाँ संसद के अधिकार के तहत आ गई हैं। गौरतलब है कि राज्य में 22 साल बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है।

पृष्ठभूमि


जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार के स्थायित्व का हवाला देते हुए 21 नवंबर को विधानसभा भंग कर दी थी। इससे पहले 18 जून को सरकार गिर जाने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ था।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज़ा

  • अन्य राज्यों में धारा 356 के तहत सीधे राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में शुरुआती 6 महीनों के लिये राज्यपाल शासन लागू होता है।
  • राज्यपाल शासन के दौरान सभी विधायी शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती हैं। इसके बाद यदि ज़रूरी हुआ तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
  • राज्य के संविधान के तहत 6 महीने से अधिक समय के लिये राज्यपाल शासन लागू नहीं किया जा सकता।
  • राष्ट्रपति शासन के दौरान यदि संभव हुआ तो राज्य में चुनाव करवाए जाते हैं या फिर इसकी अवधि और 6 महीनों के लिये बढ़ा दी जाती है।

जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता

  • कानूनी मामलों में अदालतें भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के तहत कार्रवाई करती हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर में भारतीय दंड संहिता इस्तेमाल नहीं होती। वहाँ इसके बजाय रणबीर दंड संहिता (Ranbir Penal Code) का इस्तेमाल किया जाता है। इसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता है।
  • भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राज्य में केवल रणबीर दंड संहिता का प्रयोग होता है, जो ब्रिटिश काल से इस राज्य में लागू है।
  • भारत के आज़ाद होने से पहले जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत था और उस समय वहाँ डोगरा राजवंश का शासन था। महाराजा रणबीर सिंह जम्मू-कश्मीर के शासक थे; इसलिये 1932 में उन्हीं के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी।

क्या है राष्ट्रपति शासन?

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत ऐसे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है जहाँ संवैधानिक रूप से चुनी हुई सरकार चलने की सभी संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं।
  • राज्य विधानसभा भंग कर दी जाती है और केंद्र सरकार के द्वारा नियुक्त राज्यपाल राज्य में कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करता है।
  • इस दौरान राज्य की सभी प्रशासनिक और विधायी शक्तियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जाता है और राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन' लागू माना जाता है।

क्यों लागू होता है राष्ट्रपति शासन?

  • जब किसी राज्य की विधानसभा मुख्यमंत्री का चुनाव करने में असमर्थ रहती है
  • जब राज्य में चल रही गठबंधन सरकार फूट पड़ने की वज़ह से गिर जाती है
  • जब किसी अपरिहार्य कारणवश राज्य में विधानसभा चुनाव समय पर न करवाए जा सकें
  • जब कोई राज्य संविधान में निर्धारित कायदे-कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन करता प्रतीत हो

उच्च अदालतें कर सकती हैं राष्ट्रपति के इस अधिकार की समीक्षा

Presidents Rule

1994 तक राष्ट्रपति के पास राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे किसी भी राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्विवाद अधिकार था।

एस.आर. बोम्मई मामला बना नज़ीर

1994 में एस.आर. बोम्मई मामले में दिये गए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने स्थिति बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने बोम्मई केस में दिये अपने फैसले में केंद्र की ओर से अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग की बात का जिक्र किया था।

उस मामले में अदालत ने कहा था...

  • राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 356 (1) के तहत किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा की वैधता न्यायिक समीक्षा के दायरे में है।
  • अदालत इसकी जाँच कर सकती है कि क्या राष्ट्रपति शासन लगाने की कोई ठोस वज़ह थी?
  • क्या वह वज़ह प्रासंगिक थी?
  • क्या इसके लिये सत्ता का दुरुपयोग किया गया?
  • यदि प्रथम दृष्ट्या राष्ट्रपति शासन की घोषणा को चुनौती योग्य पाया जाता है तो केंद्र सरकार पर यह साबित करने की ज़िम्मेदारी होगी कि उसके पास अपने फैसले के संदर्भ में प्रासंगिक और ठोस तथ्य मौजूद थे।
  • अदालत राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक और अवैध करार देने के साथ-साथ बर्खास्त, निलंबित या भंग की गई राज्य सरकार को बहाल कर सकती है।

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन का इतिहास

  • 26 मार्च 1977 से 9 जुलाई 1977=105 दिन (राज्यपाल एल.के. झा)
  • 6 मार्च 1986 से 7 नवंबर 1986=246 दिन (राज्यपाल जगमोहन)
  • 9 जनवरी 1990 से 9 अक्तूबर 1996=6 साल 246 दिन (राज्यपाल जगमोहन)
  • 18 अक्तूबर 2002 से 2 नवंबर 2002=15 दिन (राज्यपाल जी.सी. सक्सेना)
  • 11 जुलाई 2008 से 5 जनवरी 2009=178 दिन (राज्यपाल एन.एन. वोहरा)
  • 9 जनवरी 2015 से 1 मार्च 2015=51 दिन (राज्यपाल एन.एन. वोहरा)
  • 8 जनवरी 2016 से 4 अप्रैल 2016=87 दिन (राज्यपाल एन.एन. वोहरा)
  • 18 जून 2018 से........ (राज्यपाल सत्यपाल मलिक)

(नोट: उपरोक्त सभी मामलों में जहाँ अवधि 6 महीने से अधिक रही, वहाँ पहले 6 महीने राज्यपाल शासन और उसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ)

राज्यपाल शासन और राष्ट्रपति शासन में अंतर


राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने के बाद राज्यपाल की सारी विधायी शक्तियाँ संसद के पास चली जाती हैं। कानून बनाने का अधिकार भी संसद के पास होगा। नियमानुसार राष्ट्रपति शासन में बजट भी संसद से ही पास होता है, यही कारण है कि राज्यपाल शासन में ही लगभग 89 हज़ार करोड़ रुपए का बजट पास करा लिया गया। राज्यपाल शासन में कानून बनाने तथा बजट पास करने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है। राष्ट्रपति शासन में अब राज्यपाल अपनी मर्ज़ी से नीतिगत और संवैधानिक फैसले नहीं कर पाएंगे। इसके लिये उन्हें केंद्र से अनुमति लेनी होगी। 


स्रोत: Economic Times, Greater Kashmir

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