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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

युवा और खाद्य प्रणाली

  • 09 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

विश्व खाद्य सुरक्षा समितिम MAYA रोडमैप, ARYA कार्यक्रम, खाद्य और कृषि संगठन, संयुक्त राष्ट्र, 

मेन्स के लिये

वैश्विक स्तर पर युवाओं की स्थिति, खाद्य प्रणाली में युवाओं के जुड़ाव की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

युवाओं और कृषि पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) की एक नई रिपोर्ट में वैश्विक खाद्य सुरक्षा एवं पोषण के भविष्य को सुरक्षित करने हेतु कृषि-खाद्य प्रणालियों को युवाओं के लिये अधिक आकर्षक बनाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।

  • विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (Committee on World Food Security-CFS) द्वारा 'प्रमोटिंग यूथ इंगेजमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट इन एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम’ शीर्षक से यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
  • विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS) सभी हितधारकों के लिये खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु साथ कार्य करने के लिये एक समावेशी अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर-सरकारी मंच है। ‘विश्व खाद्य सुरक्षा समिति’ की मेज़बानी संयुक्त राष्ट्र (UN) के ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (FAO) द्वारा की जाती है।

प्रमुख बिंदु

वैश्विक स्तर पर युवाओं की स्थिति 

  • आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2019 में 15 से 24 वर्ष तक के युवाओं का कुल आबादी में 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व था।
  • इस मामले में मध्य और दक्षिण एशिया (361 मिलियन) पहले स्थान पर है, जिसके बाद पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र (307 मिलियन) तथा उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र (211 मिलियन) शामिल हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का अनुमान है कि वर्ष 2015 और वर्ष 2030 के बीच अफ्रीकी महाद्वीप के 440 मिलियन युवा श्रम बाज़ार में प्रवेश करेंगे।

प्रमुख निष्कर्ष

  • खाद्य प्रणालियाँ सबसे बड़ी नियोक्ता: रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य प्रणालियाँ विकासशील देशों में सबसे बड़ी नियोक्ता हैं, किंतु इसके बावजूद वे सार्थक काम या पर्याप्त आजीविका के अवसर प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, साथ ही विभिन्न पीढ़ियों की ज़रूरतों और अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने में भी सक्षम नहीं हैं।
    • खाद्य प्रणाली उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, वितरण, विपणन, पहुँच, खरीद, खपत, खाद्य हानि और अपशिष्ट के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय परिणामों सहित इन गतिविधियों के आउटपुट से जुड़ी गतिविधियों का एक जटिल वेब है।
  • अधिक रोज़गार के अवसर: कोविड-19 ने पूरे विश्व के श्रम बाज़ारों को प्रभावित किया है, जिससे युवाओं के रोज़गार पर अधिक प्रभाव पड़ा है। वैश्विक स्तर पर वयस्कों (Adult) के  3.7% की तुलना में वर्ष 2020 में युवाओं (Youth) के रोज़गार में 8.7% की गिरावट आई है।
    • यदि कृषि-खाद्य प्रणाली को युवाओं के लिये अधिक आकर्षक एवं न्यायसंगत बनाया जाए तो यह रोज़गार के और अधिक अवसर प्रदान कर सकती है।
  • विकासशील देशों पर ध्यान केंद्रित करने का महत्त्व: विश्व में लगभग 1.2 अरब युवा हैं जो बहुत कम आमदनी पर जीवन निर्वहन करते हैं जैसे- अफ्रीका में जहाँ 70% से अधिक युवा प्रतिदिन 2 अमेरिकी डॉलर या उससे कम पर निर्वाह करते हैं।
  • सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना: सतत् कृषि-खाद्य प्रणालियों में युवा जुड़ाव और रोज़गार एक साथ साकार होने वाले लक्ष्य हैं  तथा सतत् विकास लक्ष्यों एवं आर्थिक कल्याण की उपलब्धि के साधन हैं।
  • युवा जलवायु परिवर्तन, सामाजिक और आर्थिक असमानताओं तथा राजनीतिक जोखिमों को वहन करते हुए भविष्य की खाद्य प्रणालियों के निर्माण के लिये अग्रिम पंक्ति में हैं।

अनुशंसाएँ:

  • खाद्य प्रणालियों में युवा जुड़ाव और रोज़गार को मज़बूत करने के लिये दृष्टिकोण, पहल और नीतियों को अधिकारों, इक्विटी, एजेंसी तथा मान्यता के स्तंभों पर आधारित होने की आवश्यकता है।
  • युवा केंद्रित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों, श्रम कानूनों और विनियमों तथा संसाधनों (भूमि, वन, मत्स्य पालन आदि), वित्त, बाज़ार, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, ज्ञान एवं सूचना तक युवाओं की पहुँच में सुधार करना।
  • युवा नेतृत्व वाली स्टार्ट-अप पहलों का समर्थन करना भी महत्त्वपूर्ण है जिसके लिये एक सहायक नीति वातावरण की आवश्यकता होती है।
  • संसाधनों, ज्ञान और अवसरों का पुनर्वितरण युवाओं हेतु रोज़गार के अवसर पैदा करने में योगदान दे सकता है, साथ ही स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों का समर्थन कर सकता है।

भारतीय परिदृश्य

 युवाओं की संख्या:

  • भारत की जनसंख्या में युवाओं (18-29 वर्ष) की कुल संख्या 22% है जो 261 मिलियन से अधिक है।
  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, भारतीय जनसंख्या की औसत आयु वर्ष 2021 में लगभग 28 वर्ष है तथा वर्ष 2031 तक यह 31 वर्ष हो जाएगी।
  • भारत भी जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) के चरण से गुज़र रहा है।
  • मुश्किल से 5% युवा कृषि में लगे हुए हैं, हालांँकि 60% से अधिक ग्रामीण लोग अपनी आजीविका को  पूरी तरह या आंशिक रूप से खेती और इससे संबंधित गतिविधियों से प्राप्त करते हैं।
    • जाहिर है आधुनिक युवा कृषि कार्यों में रुचि नहीं ले रहे हैं तथा इस पेशे को छोड़ रहे हैं।

संबंधित पहलें:

  • MAYA रोडमैप, 2018: ‘मोटीवेटिंग एंड अट्रेक्टिंग यूथ इन एग्रीकल्चर’ (Motivating and Attracting Youth in Agriculture- MAYA) को  नई दिल्ली में एक सम्मेलन में तैयार किया गया था।
    • MAYA रोड मैप में युवाओं को आर्थिक विकास, सामाजिक सम्मान, खेती और संबद्ध गतिविधियों में आधुनिक तकनीकों के अनुप्रयोग हेतु कई प्रकार के अवसर प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
  • ARYA (अट्रेक्टिंग एंड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर): इस कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) द्वारा की गई है। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को विभिन्न कृषि संबद्ध सेवा क्षेत्रों में शामिल करने हेतु  प्रोत्साहित करना और उन्हें सशक्त बनाना।
    • संसाधन और पूंजी गहन गतिविधियों जैसे- प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन तथा विपणन हेतु नेटवर्क समूह स्थापित करने के लिये युवाओं, कृषकों को सक्षम करना।
  • किसानों के लिये राष्ट्रीय नीति, 2007: इस नीति के तहत ऐसे उपायों को शुरू करना जो युवाओं को खेती, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के प्रति आकर्षित करने और बनाए रखने में मदद कर सकें, ताकि यह युवाओं के लिये बौद्धिक एवं आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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