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वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स

  • 22 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट, वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स

मेन्स के लिये:

भारत में शिक्षा से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (The Economist Intellligence Unit) नामक संस्था द्वारा जारी वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स (Worldwide Educating for the Future Index), 2019 में भारत को 35वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह सूचकांक छात्रों को कौशल-आधारित शिक्षा से लैस करने की देशों की क्षमताओं के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
  • यह रिपोर्ट कौशल आधारित शिक्षा के परिप्रेक्ष्य से महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण, समस्या को सुलझाने की क्षमता, नेतृत्व, सहयोग, रचनात्मकता और उद्यमशीलता तथा डिजिटल एवं तकनीकी कौशल जैसे क्षेत्रों में शिक्षा प्रणाली का विश्लेषण करती है।
  • इस रिपोर्ट में दी जाने वाली रैंकिंग तीन श्रेणियों पर आधारित है:
    • नीतिगत वातावरण
    • शैक्षणिक वातावरण
    • समग्र सामाजिक-आर्थिक वातावरण
  • वर्ष 2019 में सूचकांक का विषय "नीति से अभ्यास तक” (From Policy to Practice) है।

वर्ल्ड वाइड एजुकेटिंग फॉर द फ्यूचर इंडेक्स

  • इस सूचकांक (इंडेक्स) और रिपोर्ट को येडान प्राइस फाउंडेशन (Yidan Prize Foundation) द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
  • तेज़ी से बदलते परिदृश्य में कार्य और बेहतर जीवनयापन के लिये छात्रों को तैयार करने में शिक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता का आकलन करने हेतु इसे विकसित किया गया था।

सूचकांक के मुख्य बिंदु

  • फिनलैंड इस सूचकांक में शीर्ष पर है जबकि स्वीडन दूसरे स्थान पर है।
  • वर्ष 2019 में तीनों श्रेणियों (नीतिगत वातावरण, शैक्षणिक वातावरण और समग्र सामाजिक-आर्थिक वातावरण) के आधार पर 53 के कुल स्कोर के साथ भारत समग्र सूचकांक में 35वें स्थान पर रहा। वर्ष 2018 में इन्हीं श्रेणियों में 41.2 के समग्र स्कोर के साथ भारत 40वें स्थान पर था।
  • भारत का स्कोर नीतिगत वातावरण के संदर्भ में वर्ष 2018 में 61.5 की तुलना में वर्ष 2019 में घटकर 56.3 हो गया है। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक वातावरण श्रेणी एवं समग्र सामाजिक-आर्थिक वातावरण श्रेणी में भारत का स्कोर वर्ष 2018 में क्रमशः 32.2 एवं 33.3 की तुलना में बढ़कर क्रमशः 52.2 और 50.1 हो गया है।

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सूचकांक में भारत की स्थिति में सुधार के कारण

  • रिपोर्ट के अनुसार, सूचकांक की ‘शैक्षणिक वातावरण’ श्रेणी में भारत के बेहतर प्रदर्शन का प्रमुख कारण सरकार द्वारा शुरू की गई नई शिक्षा नीति है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2019 की शुरुआत में प्रकाशित एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण, संचार और उद्यमिता जैसे भविष्योन्मुखी कौशल का उल्लेख करते हुए नीतिगत माहौल में प्रगति की है।
    • केंद्रीय बजट 2020 में ‘एस्पिरेशनल इंडिया’ के तहत नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला गया है जिसका उद्देश्य प्रतिभावान शिक्षकों को आकर्षित करने के लिये वित्त की अधिक से अधिक प्राप्ति, नई प्रयोगशालाओं का निर्माण और नवाचार करना है।
  • साथ ही 150 उच्च शिक्षण संस्थानों में अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री या डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के साथ डिग्री स्तर के पूर्ण-ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का भी प्रस्ताव है जो मार्च 2021 तक शुरू हो जाएगा।

गौरतलब है कि ये सभी कारण भारत के इस सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन के लिये ज़िम्मेदार हैं।

भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • वर्ष 2018 की रिपोर्ट में उच्च शिक्षा प्रणाली के अंतर्राष्ट्रीयकरण के अवसर का उपयोग करने से संबंधित भारतीय शिक्षा प्रणाली की अक्षमता पर प्रकाश डाला गया था।
  • वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, विकेंद्रीकृत शिक्षा प्रणाली भी भारतीय शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी चुनौती है।
    • कौशल विकास से संबंधित सुविचारित नीतिगत लक्ष्य अक्सर ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुँच पाते हैं जो कि अमेरिका और भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में एक बड़ी समस्या है।

समाधान:

  • भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली को विकसित करना चाहिये ताकि वह उच्च शिक्षा के लिये पसंदीदा स्थान बन जाए।
  • भारतीय शिक्षा पद्धति में व्यापक बदलाव किया जाना चाहिये एवं शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने का प्रयास किया जाना चाहिये।

आगे की राह

  • भारत को अपने शैक्षणिक वातावरण, नीतिगत वातावरण एवं समग्र सामाजिक-आर्थिक वातावरण में सुधार के प्रयास करने चाहिये।
  • ध्यातव्य है कि भारत द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर गंतव्य बनने के लिये स्टडी इन इंडिया (Study In India) एवं वज्र योजना के अंतर्गत प्रयास किया जा रहा है किंतु इसे और व्यापक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन

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