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‘पॉवर्टी एंड शेयर प्रॉस्पेरिटी’ रिपोर्ट: विश्व बैंक

  • 09 Oct 2020
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये

विश्व बैंक, रिपोर्ट संबंधी मुख्य बिंदु, वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक

मेन्स के लिये

रिपोर्ट के निहितार्थ, भारत में गरीबी की स्थिति, कारण और सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में आगाह किया है कि महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2021 तक तकरीबन 150 मिलियन लोग ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आ सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित ‘पॉवर्टी एंड शेयर प्रॉस्पेरिटी’ रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 20 वर्षों में यह पहली बार होगा जब वैश्विक गरीबी दर में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा महामारी के कारण शहरी गरीब लोग सबसे अधिक प्रभावित होंगे, साथ ही महामारी का सबसे अधिक प्रभाव अनौपचारिक और विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत लोगों पर अधिक देखने को मिलेगा।

वैश्विक स्तर पर गरीबी में वृद्धि

  • कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2020 में 88 मिलियन से 115 मिलियन तक लोग गरीबी के दुश्चक्र में फँस जाएंगे। वहीं वर्ष 2021 तक ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 150 मिलियन पर पहुँच जाएगी।
    • महामारी और उसके कारण उत्पन्न हुई वैश्विक मंदी के परिणामस्वरूप विश्व की लगभग 1.4 प्रतिशत जनसंख्या ‘अत्यंत गरीब’ की श्रेणी में आ सकती है। 
    • विश्व बैंक के अनुसार, प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर से कम आय स्तर पर जीवन-यापन करने की स्थिति को ‘अत्यंत गरीबी’ के रूप में परिभाषित किया गया है।

विकासशील देशों पर अधिक प्रभाव

  • ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आने वाले अधिकांश लोग ऐसे क्षेत्रों, जैसे- उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया आदि से होंगे, जहाँ गरीबी का स्तर पहले से ही काफी चिंताजनक है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के कारण अत्यंत गरीबी के दुश्चक्र में फँसने वाले 82 प्रतिशत लोग मध्यम आय वाले देशों (MICs) से होंगे।
  • अनुमान के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र के गरीब लोगों पर महामारी का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है और इसके कारण 49 मिलियन लोगों का ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आने का अनुमान है।
  • इसके अलावा महामारी का प्रभाव उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र पर भी देखने को मिलेगा, जहाँ अनुमान के अनुसार तकरीबन 26 - 40 मिलियन लोग ‘अत्यंत गरीबी’ की श्रेणी में आ जाएंगे।
    • ध्यातव्य है कि गरीबी और उसके कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएँ पहले से ही इस क्षेत्र को काफी प्रभावित कर रही थीं। विश्व बैंक के आँकड़े बताते हैं कि दुनिया के सबसे अधिक 20 गरीब देशों में से तकरीबन 18 देश उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र से हैं।

निहितार्थ

  • यदि जल्द-से-जल्द कोई नीतिगत कार्रवाई नहीं की गई तो वैश्विक संघर्ष/विवादों और जलवायु परिवर्तन सहित कोरोना वायरस महामारी के दबाव की वजह से वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक गरीबी को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करना काफी मुश्किल हो जाएगा।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के प्रभाव के कारण अधिक-से-अधिक लोग गरीबी के दुश्चक्र में फँस जाएंगे और गरीबी को समाप्त करने के लिये अब तक वैश्विक समुदाय द्वारा किये गए सभी प्रयास कमज़ोर पड़ जाएंगे।
  • चूँकि महामारी के परिणामस्वरूप ‘अत्यंत गरीबी’ के दुश्चक्र का सबसे अधिक प्रभाव दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका पर अधिक देखने को मिला है, इसलिये ये क्षेत्र अब विकास की दृष्टि से अन्य देशों की तुलना में और अधिक पिछड़ जाएंगे।
    • यदि अतिशीघ्र कोई उपाय नहीं किया गया तो इन क्षेत्रों में लंबे समय तक महामारी का प्रभाव देखने को मिलेगा।

सुझाव

  • रिपोर्ट बताती है कि महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर गरीबी के स्वरूप में परिवर्तन आ रहा है और अब ग्रामीण तथा अशिक्षित लोगों के साथ-साथ शहरी और पढ़े-लिखे लोग भी गरीबी के इस दुश्चक्र फँस रहे हैं। 
    • ऐसे में गरीबी उन्मूलन संबंधी नीतिगत उपायों का प्रावधान करने और उनका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु ऐसे लोगों की पहचान करना भी आवश्यक है, जो गरीबी की पारंपरिक परिभाषा में शामिल नहीं होते हैं।
  • इसके अलावा हमें वैश्विक संघर्ष/ विवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी मूलभूत समस्याओं को समाप्त करने की ओर ध्यान देने आवश्यकता है।

भारत में गरीबी 

  • वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)  2019 के अनुसार, भारत ने वर्ष 2006-2016 के बीच 271 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
  • वैश्विक गरीबी सूचकांक के अनुसार, वर्ष 2005-2006 में संपूर्ण भारत में 640 मिलियन से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी की स्थिति में जीवन-यापन कर रहे थे, जबकि वर्ष 2016-2017 ऐसे लोगों की संख्या घटकर 369.55 मिलियन हो गई।
  • अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में भारत की 27.9 फीसदी आबादी गरीब थी। अन्य देशों की तरह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भी गरीबों की संख्या शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। 

भारत में गरीबी का कारण

  • जनसंख्या विस्फोट: विगत कुछ वर्षों में भारत की जनसंख्या में काफी तेज़ी से वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, किंतु जल्द ही भारत इस मामले में चीन को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। भारत की जनसंख्या वृद्धि देश में गरीबी के स्तर को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित कर रही है।
  • कम कृषि उत्पादकता: कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता विशेष तौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों में गरीबी का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य न मिल पाना भी ग्रामीण इलाकों में गरीबी बढ़ाने में सहायक है।
  • संसाधनों का अप्रभावी उपयोग: जानकार मानते हैं कि भारत के कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोज़गारी काफी प्रबल मात्रा में मौजूद है, जिसके कारण मानव संसाधन का सही उपयोग संभव नहीं हो पाता है।
  • बेरोज़गारी: बेरोज़गारी भारत में बढ़ती गरीबी का एक अन्य मुख्य कारण है। लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण काम मांगने वाले लोगों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है, जबकि रोज़गार के अवसरों में तुलनात्मक रूप से विस्तार नहीं हो पाया है। इसका परिणाम हमें बेरोज़गारी के रूप में देखने को मिला है।
  • पूंजी की कमी: पूंजी की कमी के चलते अर्थव्यवस्था में निवेश भी काफी कम है, जिसके कारण निजी क्षेत्र में रोज़गार सृजित करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
  • सामाजिक कारक: आर्थिक कारकों के अलावा भारत में गरीबी के कुछ सामाजिक कारक जैसे- विरासत संबंधी नियम, जाति प्रथा और रूढ़िवादी परंपराएँ आदि भी हैं, जो गरीबी को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।

गरीबी उन्मूलन हेतु सरकार के हालिया प्रयास

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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