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भारत में व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा

  • 02 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014

मेन्स के लिये:

व्हिसलब्लोअर सुरक्षा कानून की विशेषताएँ, कमियाँ तथा कमियों को दूर करने के उपाय, वित्तीयन से संबंधित नैतिक मुद्दे, निजी

चर्चा में क्यों ?

इंफोसिस कंपनी में अनियमित लेखांकन से संबंधित गतिविधियों की व्हिसलब्लोइंग के बाद व्हिसलब्लोअर (Whistle Blowers) और इनकी सुरक्षा से संबंधी मुद्दे प्रकाश में आ गए।

भारत में व्हिसलब्लोइंग की परिभाषा

  • कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार- व्हिसलब्लोइंग (Whistleblowing) एक ऐसी कार्रवाई है जिसका उद्देश्य किसी संगठन में अनैतिक प्रथाओं (जैसे कि अनियमित लेखांकन) के लिये हितधारकों का ध्यान आकर्षित करना हैं। केंद्रीय कानून के तहत, यह लोकसेवको के विरुद्ध कथित भ्रष्टाचार या शक्ति या स्वविवेक के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतों को प्राप्त करने का एक तंत्र है। व्हिसलब्लोअर कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो गलत प्रथाओं को उजागर करता है। ये संगठन के भीतर या बाहर से हो सकते हैं, जैसे- वर्तमान और पूर्व कर्मचारी, शेयरधारक, बाहरी लेखा परीक्षक और अधिवक्ता।

व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा के प्रावधान

  • भारत में व्हिसलब्लोअर को व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम, 2014 (WhistleBlowers Protection Act, 2014) द्वारा संरक्षित किया जाता है। कानून में उनकी पहचान की सुरक्षा के साथ-साथ उत्पीड़न को रोकने के लिये कठोर मानदंडों को शामिल किया गया है।
  • व्हिसलब्लोअर लगाये गए आरोपों की जाँच लंबित रहने तक उसके खिलाफ संगठन द्वारा कोई भी कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती है।
  • कंपनी अधिनियम तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के गवर्नेंस मानदंडों द्वारा इन प्रावधानों को अपनाया गया है।
  • यह अधिनियम सभी सूचीबद्ध और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों से व्हिसलब्लोअर नीति की अपेक्षा रखता है, जो शिकायतकर्त्ताओं के लिये प्रक्रियाओं को रेखांकित करती हो और उनका मार्गदर्शन करती हो।

व्हिसलब्लोइंग से संबंधित मुद्दे:

  • व्हिसलब्लोइंग का उपयोग कभी-कभी व्यक्तिगत प्रतिशोध या शेयर बाज़ार में हेर-फेर करने के लिये किया जा सकता है।
  • इन गतिविधियों को रोकने के लिये ऑडिट समिति शिकायतों की जाँच करती है। यदि कोई शिकायत गलत साबित होती है, तो शिकायतकर्त्ता के लिये दो वर्ष की जेल और 30000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के प्रावधान

  • इनसाइडर ट्रेडिंग से निपटने के मामले में भारत का रिकॉर्ड खराब रहा है। हाल ही में सफलता दर में सुधार के लिये, सेबी (SEBI- Securities and Exchange Board of India) ने टिपिंग प्रणाली (यह इनसाइडर ट्रेडिंग से संबंधित सूचना देने वालों को पुरुस्कृत करने अर्थात् टिप देने की प्रणाली है) की शुरुआत की है।
  • सेबी द्वारा इनसाइडर ट्रेडर्स के खिलाफ सफल कार्यवाही की जाएगी साथ ही इससे संबंधित सूचना देने पर 1 करोड़ रुपए तक का पुरस्कार दिया जाएगा।
  • सेबी द्वारा एक ‘सहयोग और गोपनीयता’ तंत्र भी बनाया गया है। इसका अर्थ है कि यदि कोई प्रतिभूति कानून के उल्लंघन करने का दोषी है और जाँच में सहायता करने के लिये तैयार है तो व्यक्ति को दंडात्मक कार्रवाई से छूट दी जाएगी तथा उसकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

व्हिसलब्लोअर सुरक्षा कानून की सीमाएँ:

  • अभी तक व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को क्रियान्वित नहीं किया गया है, जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
  • इसके साथ ही 2015 का संशोधन विधेयक भ्रष्टाचार के साथ-साथ व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा के साथ भी समझौता करता है।
  • 2014 के अधिनियम में व्हिसलब्लोअर के साथ होने वाले अत्याचार (Victimization) को परिभाषित नहीं किया गया है जो इससे व्हिसलब्लोअर के खिलाफ हेरफेर की संवेदनशीलता बनी रहती है।
  • यद्यपि भारत में व्हिसलब्लोअर को कानून के तहत संरक्षित किया गया है, लेकिन यह अमेरिका की तरह प्रभावी नहीं है, जहाँ एक अलग इकाई इस तरह की घटनाओं का निपटारा करती है।

आगे की राह

  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को जल्द-से-जल्द क्रियान्वित किया जाना चाहिये।
  • 2015 के संशोधन विधेयक को पारित करने से पूर्व व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिये।
  • व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अमेरिका जैसे देशों की तर्ज़ पर संस्थागत उपाय किये जाने की आवश्यकता है।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 के तहत अत्याचार को परिभाषित किया जाना चाहिये।
  • इसके अतिरिक्त व्हिसलब्लोअर के लिये वित्तीय प्रोत्साहन के प्रावधान के साथ-साथ पहचान रहित शिकायतों को स्वीकार कर इसे व्यापक बनाया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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